कांग्रेस के मुस्लिम तुष्टिकरण पर मोदी वार
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। यहीं नहीं मोदी ने कहा कि मुसलमान कांग्रेस के लिये वोट बैंक से ज्यादा कुछ नहीं।
अब तक तो आपने ये जुमला सुना होगा कि पॉलिटिक्स गटर में जा रही है लेकिन अब गटर से पॉलिटिक्स बाहर निकल रही है। ये दावा नहीं बल्कि पिछले 24 घंटों की सियासी तस्वीर है। बयान हैं, जिसे आपने भी महसूस किया होगा। दो दिन से पीएम लगातार कांग्रेस को घेर रहे हैं। कल लोकसभा में जहां उन्होंने शाहबानो मामले के हवाले से मुसलमानों को लेकर कांग्रेसी सोच का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने आरिफ मोहम्मद खान के घटनाक्रम का जिक्र करते हुए मुसलमानों को आगाह करने की कोशिश की तो वहीं आज राज्यसभा में बहुमत न होने की बात कह कर मुस्लिम महिलाओं के हक से जुड़े ट्रिपल तलाक बिल पर कांग्रेस के अड़ंगे को लेकर इशारों इशारों में वार कर दिया।
दो दिन में पीएम देश को ये बताने से नहीं चूके कि देश में सबसे लंबे समय तक राज करने वाली पार्टी किस तरह मुसलमानों का इस्तेमाल अपने हक में करती रही और उसकी सोच क्या थी ? पीएम के हमले के बाद कांग्रेस बैकफुट पर है तो वहीं मुस्लिमों को लेकर होने वाली सियासत के चेहरे पीएम के बयानों के अलग मतलब निकाल रहे हैं, जिनमें ओवैसी जैसे नाम शामिल हैं। सवाल उठ रहे हैं कि
'गटर पॉलिटिक्स' से होगा मुस्लिमों का भला ?
मुस्लिमों के पिछड़ेपन के लिए कांग्रेस जिम्मेदार ?
वोट के लिए मुस्लिमों को आज भी इस्तेमाल कर रही हैं पार्टियां ?
सदन में अपने इसी एक वार से पीएम मोदी ने मुसलमानों के वोट पर खड़ी कांग्रेस की एक और सियासी दीवार को ढहा दिया। सबका विश्वास जीतने की वकालत करने मुसलमानों के साथ छल में छेद करने की बात कहने वाले पीएम मोदी का मुस्लिमों को लेकर होने वाली सियासत पर तीसरा वार थाजिसमें निशाना कांग्रेस थी।
ज़ाहिर है प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद हड़कंप मचना ही था...प्रधानमंत्री ने जिस वाकये का ज़िक्र किया। इसका खुलासा करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और कभी कांग्रेस के नेता रहे आरिफ मोहम्मद खान खुद सामने आ गए।
मुसलमानों को लेकर कांग्रेस पर तुष्टीकरण के आरोप लगते रहे हैं लेकिन ये भी सच है कि इन आरोपों ने कांग्रेस को परेशान नहीं किया लेकिन पीएम मोदी के बयानों का असर कांग्रेस दो आम चुनावों में देख चुकी है लिहाजा इसे वो नजरअंदाज नहीं कर सकती है।
रात ढलने से पहले कही गई पीएम की बात पर दिन चढ़ते ही सियासत गरमाने लगी। मुस्लिम वोटों की सियासत करने वाले नेताओं में शुमार किए जाने वाले असदुद्दीन ओवैसी भी सामने आए और सवालों की नई फेहरिस्त बीजेपी और पीएम के सामने रख दी।
ज़ाहिर है जिस तरह से अमेठी में राहुल की हार हुई और वायनाड में जीत, सियासी पंडित मान रहे हैं कि मोदी का बयान कांग्रेस से मुसलमानों को आगाह करने से है और ये बताने से है कि मुसलमानों से कांग्रेस का मतलब सिर्फ उस सियासी फसल से है जिसे वो सत्ता के लिए काटती रही है।
मुसलमानों को लेकर होने वाली सियासत में पार्टियां अपना हित पहले उनका हित बाद में देखती आई हैं। यहां तक कि उनके अधिकारों की बात करने वाली मुस्लिम पार्टियां भी उनके भले के लिए कुछ करते नहीं दिखाई दी हैं। साफ है कि मुसलमानों का सियासत के लिए इस्तेमाल होता रहा है। ऐसे में मोदी मुसलमानों को इस्तेमाल के किए जाने वाली सोच से आगाह कर रहे हैं, तो इसमें गलत कुछ नहीं है। मुसलमानों को भी समझना चाहिए कि मजहबी मसले अलग हैं और अपनी जरूरतें अलग। शिक्षा, रोजगार और बुनियादी जरूरतें मजहबी आधार पर नहीं बल्कि मजबूत सरकार के जरिए पूरी होंगी।