अब ये बात तो शीशे की तरह साफ है कि अमरिंदर सिंह कांग्रेस में नहीं रहेंगे. फिलहाल बीजेपी में जाएंगे या अपनी पार्टी बनाएंगे, ये तय नहीं है. लेकिन इतना तय है कि नरेंद्र मोदी के केंद्र में आने के बाद से ही देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस अपने सबसे मुश्किल वक्त से गुजर रही है. चाहे वो सत्ता से बेदखली का मसला हो या फिर नेताओं की बेरुखी का, इतनी फजीहत कांग्रेस की कभी नहीं हुई थी और यही वजह है कि साल 2014 से अब तक महज सात साल के अंदर कांग्रेस के 150 से भी ज्यादा पूर्व विधायक-सांसद और नेता पार्टी को छोड़ चुके हैं. कैप्टन अमरिंदर ने कांग्रेस छोड़ने का ऐलान कर दिया है. अपने ट्विटर से कांग्रेस भी हटा दिया है. लेकिन वो पहले ऐसे नेता नहीं हैं, जिन्होंने कांग्रेस छोड़ी है. पिछले सात साल में कांग्रेस छोड़ने वालों की एक लंबी फेहरिस्त है, जिन्होंने पार्टी को तो अलविदा कहा ही, पार्टी के ऊपर गंभीर आरोप भी लगाए. इस कड़ी में कैप्टन अमरिंदर सिंह सिर्फ एक हालिया नाम हैं. उन्होंने कहा है कि अगर कांग्रेस को मेरे ऊपर यकीन ही नहीं है, तो मेरे यहां रहने का फायदा ही क्या.
इससे पहले अभी हाल ही में गोवा के कांग्रेस विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री लुईजिन्हो फलेरियो ने कांग्रेस छोड़कर टीएमसी का दामन थाम लिया है. उन्होंने तो कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए यहां तक कह दिया कि 2017 में 17 सीटें जीतने और पांच अन्य विधायकों का समर्थन होने के बाद भी कांग्रेस के गोवा प्रभारी ने उन्हें सरकार बनाने से रोक दिया. फलेरियो से पहले असम कांग्रेस के दिग्गज नेता और सांसद रहे संतोष मोहन देव की बेटी सुष्मिता देव भी कांग्रेस छोड़कर टीएमसी में शामिल हो गई थीं. सुष्मिता के कद का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि साल 2014 में मोदी लहर के बावजूद वो असम में लोकसभा का चुनाव जीत गई थीं और कांग्रेस ने उन्हें अखिल भारतीय महिला कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर भी नियुक्त किया था.
अगर इससे थोड़ा और पहले चलें तो कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे और सोनिया गांधी के खिलाफ अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ चुके जितेंद्र प्रसाद के बेटे जितिन प्रसाद ने भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था. अब तो वो योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बन गए हैं. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे कमलापति त्रिपाठी के परिवार से आने वाले यूपी कांग्रेस के उपाध्यक्ष ललितेश त्रिपाठी ने भी हाल ही में कांग्रेस को अलविदा कह दिया है. कांग्रेस के सबसे कद्दावर नेताओं में शुमार और देश के राष्ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने भी हाल ही में कांग्रेस छोड़ टीएमसी का दामन थाम लिया है.
थोड़ा और पीछे चलें तो इस फेहरिस्त में एक और बड़ा नाम दिखता है ज्योतिरादित्य सिंधिया का. यूपीए सरकार में मंत्री रहे हैं. जब प्रियंका गांधी वाड्रा को आधिकारिक तौर पर लॉन्च किया गया तो प्रियंका को पूर्वी यूपी की जिम्मेदारी दी गई, जबकि ज्योतिरादित्य के जिम्मे पश्चिमी यूपी था. उन्होंने कांग्रेस छोड़ी, बीजेपी में गए और अब मोदी सरकार में मंत्री हैं और वो अकेले ही नहीं गए थे. अपने साथ 22 विधायकों को लेकर बीजेपी में गए, जिससे मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार भी गिर गई और शिवराज सिंह चौहान फिर से मुख्यमंत्री बन पाए. मणिपुर में कांग्रेस से विधायक रहे एन बीरेन सिंह ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा तो मणिपुर के मुख्यमंत्री बन गए. यही हाल हिमंता बिस्वा सरमा का हुआ. उन्होंने भी कांग्रेस छोड़ी तो अब असम के मुख्यमंत्री हैं. अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू का भी ऐसा ही उदाहरण है.
केरल में कांग्रेस के कद्दावर नेता पीसी चाको कांग्रेस छोड़कर शरद पवार की एनसीपी के साथ आ गए. प्रियंका चतुर्वेदी को कैसे भूल सकते हैं. हर टीवी डिबेट में कांग्रेस को डिफेंड करती रहती थीं. लेकिन वो भी कांग्रेस छोड़कर शिवसेना के साथ चली गईं. नारायण राणे की गिनती महाराष्ट्र के कद्दावर नेताओं में होती थी. लेकिन वो भी कांग्रेस में नहीं रहे और अब तो बीजेपी से राज्यसभा के सांसद और मोदी सरकार में मंत्री हैं. यूपी में तो बहुगुणा परिवार की पूरी राजनीति कांग्रेस के इर्द-गिर्द घूमती थी. हेमवती नंदन बहुगुणा यूपी के मुख्यमंत्री रहे थे, बेटे विजय बहुगुणा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे. बेटी रीता बहुगुणा जोशी यूपी कांग्रेस की अध्यक्ष थीं. अब दोनों भाई-बहन बीजेपी में हैं. रीता बहुगुणा बीजेपी से सांसद हैं. विजय बहुगुणा के बेटे विधायक हैं.
इनके अलावा महाराष्ट्र के राधाकृष्ण विखे पाटिल, एसएम कृष्णा से लेकर यूपीए सरकार में मंत्री रहीं जयंती नटराजन, जीके मूपनार के बेटे जीके वासन, सोनिया गांधी के करीबी रहे टॉम वडक्कन, महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके रंजीत देशमुख, हरियाणा कांग्रेस के कद्दावर नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह, 2019 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लडने वाली उर्मिला मातोंडकर, एक्ट्रेस खुशबू सुंदर समेत 150 से भी ज्यादा ऐसे नेता हैं, जिन्होंने लंबे समय तक कांग्रेस की राजनीति की है, लेकिन अब वो उस पार्टी का हिस्सा नहीं हैं.
हालांकि कुछ ऐसे भी उदाहरण हैं, जो कांग्रेस में शामिल हुए हैं, लेकिन वो उंगलियों पर गिनती करने लायक हैं. जैसे महाराष्ट्र में नाना पटोले बीजेपी से कांग्रेस में आए हैं. अभी हाल ही में कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवाणी कांग्रेस में शामिल हुए हैं. लेकिन ये लिस्ट बड़े नेताओं के नाम के साथ दहाई का भी आंकड़ा पार नहीं कर पाती है. वजह क्या है, ये तो खुद कांग्रेस के कद्दावर नेता कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद के साथ ही पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह बता ही चुके हैं.
नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.