चेन्नई में महेंद्र सिंह धोनी का मीटर डाउन हो गया है
कुछ बातें तो पहले से तय थीं. मसलन ये तय था कि चेन्नई सुपरकिंग्स की आईपीएल के इस सीजन में वापसी होगी. ये भी तय था कि महेंद्र सिंह धोनी को फ्रेंचाइजी ‘रीटेन’ करेगी. साथ ही साथ धोनी का कप्तान बनना भी तय था.
कुछ बातें तो पहले से तय थीं. मसलन ये तय था कि चेन्नई सुपरकिंग्स की आईपीएल के इस सीजन में वापसी होगी. ये भी तय था कि महेंद्र सिंह धोनी को फ्रेंचाइजी ‘रीटेन’ करेगी. साथ ही साथ धोनी का कप्तान बनना भी तय था. शुक्रवार से महेंद्र सिंह धोनी का अपनी फ्रेंचाइजी के लिए मीटर डाउन हो जाएगा, मतलब वो काम पर लग गए हैं. चूंकि आईपीएल का एक सीधा संबंध खिलाड़ियों की कमाई से है इसलिए भी धोनी का मीटर डाउन हो गया है.
शुक्रवार को उन्होंने टीम के एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया. अपनी टीम की रणनीतियों के बारे में बात की. उन्होंने ये भी बताया कि इस सीजन के लिए वो किस तरह टीम के पुरानी तस्वीर को ही बनाए रखना चाहते हैं. चेन्नई सुपरकिंग्स ने महेंद्र सिंह धोनी के साथ साथ सुरेश रैना और रवींद्र जडेजा को भी ‘रीटेन’ किया है. धोनी की चुनौतियों पर चर्चा करने से पहले आपको याद दिला दें कि आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग के मामले की जांच के बाद चेन्नई सुपरकिंग्स और राजस्थान रॉयल्स की टीम को दो साल के लिए बैन कर दिया गया था. अब दो साल बाद इनकी वापसी हो रही है.
सबकुछ तो पहले जैसा है पर धोनी बदल गए क्या?
आर अश्विन को छोड़ दिया जाए तो धोनी के पास लगभग पहले जैसी टीम है. रैना और जडेजा तो हैं ही स्टीफन फ्लेमिंग भी पहले की तरह ही एक बार फिर टीम के कोच की जिम्मेदारी निभाएंगे. एल बालाजी पहले गेंदबाजी करते थे अब गेंदबाजों की कोचिंग करेंगे. टीम के सपोर्ट स्टाफ को भी साथ रखा गया है. कुछ कसर इस बात की है कि आर अश्विन फिलहाल टीम के साथ नहीं हैं.
आर. अश्विन का आईपीएल अच्छा रिकॉर्ड है. धोनी उन्हें अपने ट्रंपकार्ड की तरह इस्तेमाल करते रहे हैं. खिलाड़ियों के ऑक्शन में चेन्नई सुपरकिंग्स के पास आर अश्विन को लेने का मौका होगा, लेकिन मुमकिन है अश्विन को दूसरी फ्रेंचाइजी भी खरीदना चाहें. ऐसे में आर अश्विन को लेकर धोनी सौ फीसदी आश्वस्त नहीं रह सकते हैं. इतनी समानताओं के बाद भी एक चीज ‘मिसिंग’ है. वो है धोनी का खुद का रूतबा. धोनी अब टीम इंडिया के कप्तान नहीं हैं. टीम इंडिया के लिए वो वनडे और टी-20 खेलते जरूर हैं, लेकिन टी-20 टीम में उनकी जगह को लेकर हाल में काफी सवाल उठे थे.
धोनी के सामने बतौर बल्लेबाज उन सवालों का जवाब देने की चुनौती होगी. अच्छी बात ये है कि धोनी की फिटनेस और उनकी विकेटकीपिंग को लेकर किसी को कोई शंका नहीं है. वो अब भी शानदार कीपिंग कर रहे हैं और फिटनेस में तो उनका कोई जवाब ही नहीं है. अपनी बल्लेबाजी को लेकर उन्हें जरूर कुछ करना होगा. चुनौतियां यहीं खत्म नहीं होतीं.
बतौर कप्तान भी सामने आएंगी चुनौतियां
आईपीएल अलग अलग देश के खिलाड़ियों के साथ मिलकर खेलने का नाम है. आईपीएल में उन्हीं टीमों का प्रदर्शन अच्छा रहा है जिसके खिलाड़ियों में सही तालमेल रहा हो. धोनी को ये टीम दो साल के बाद मिल रही है. ऐसे में खिलाड़ियों में तालमेल बिठाने की प्रक्रिया एक बार फिर नए सिरे से शुरू करनी होगी. स्पॉट फिक्सिंग के ‘आफ्टर इफेक्ट्स’ से भी टीम को बचाना होगा. खिलाड़ियों को उस समय की उन बुरी यादों से निकालना होगा जब चेन्नई की पूरी की पूरी टीम पर सवालों की बौछार शुरू हो गई थी.
धोनी की तरह ही चेन्नई की टीम की भी इस टूर्नामेंट में एक ‘रेप्यूटेशन’ है. 2010 और 2011 में धोनी अपनी कप्तानी में चेन्नई सुपरकिंग्स को चैंपियन बना चुके हैं. इसके अलावा 4 बार चेन्नई की टीम रनर-अप टीम रही है. इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता है कि धोनी अपने करियर के आखिरी पड़ाव पर हैं. टेस्ट क्रिकेट से वो पहले ही संन्यास ले चुके हैं. 2019 विश्व कप में खेलना शायद उनका सबसे बड़ा लक्ष्य होगा. इस लक्ष्य के वो काफी करीब भी हैं. बावजूद इसके सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि क्या धोनी पहले जैसे करिश्माई कप्तानी कर पाएंगे?