विराट ‘कंफर्ट जोन’ से बाहर निकले तो धोनी की हो जाएगी छुट्टी
शनिवार को धोनी को लेकर चर्चाओं का दौर करवटें लेता रहा. शुरूआत इस चर्चा से हुई कि उन्हें चयनकर्ताओं ने टी-20 टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. फिर कहा जाने लगा कि उन्हें आराम दिया गया है.
शनिवार को धोनी को लेकर चर्चाओं का दौर करवटें लेता रहा. शुरूआत इस चर्चा से हुई कि उन्हें चयनकर्ताओं ने टी-20 टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. फिर कहा जाने लगा कि उन्हें आराम दिया गया है. जैसे ही मैच शुरू हुआ तो चर्चा ने नई शक्ल अख्तियार की. हुआ यूं कि महेंद्र सिंह धोनी ने एक लाजवाब करने वाला कैच लपका.
उसके बाद उनकी चुस्ती फुर्ती की बात होने लगी. इस बीच उन्होंने एक कैच और एक स्टपिंग और की. जाहिर है हवा उनके रूख में बहने लगी. क्रिकेट प्रेमियों से लेकर मैच में कॉमेंट्री कर रहे पूर्व खिलाड़ियों ने विकेट के पीछे उनकी तेजी को लाजवाब बताया. चर्चा यहीं खत्म नहीं हुई. जैसे ही वेस्टइंडीज के खिलाफ 284 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम का टॉप और मिडिल ऑर्डर लड़खड़ाया धोनी फिर चर्चा में आ गए.
धोनी जब बल्लेबाजी करने आए तो टीम इंडिया को जीत के लिए 112 रनों की जरूरत थी. 113 गेंद मैच में फेंकी जानी बाकि थीं. विकेट के दूसरे छोर पर विराट कोहली शानदार बल्लेबाजी कर रहे थे. यानि कुल मिलाकर ऐसा कोई दबाव नहीं था जो धोनी पर भारी पड़े. उन्हें सिर्फ विराट कोहली का साथ देना था. अफसोस, बल्ले से बुरी तरह जूझ रहे महेंद्र सिंह धोनी अपनी इस जिम्मेदारी पर एक बार फिर फेल हो गए.
लिहाजा चर्चा ने एक बार फिर नई शक्ल ले ली. अब चर्चा ये हो गई कि क्या सिर्फ विकेटकीपिंग के दम पर महेंद्र सिंह धोनी टीम इंडिया में बने रहेंगे? क्या सिर्फ विकेटकीपिंग के दम पर वो 2019 का विश्व कप खेलेंगे? क्या विराट कोहली और टीम मैनेजमेंट इस बात के लिए तैयार है?
दुनिया की बड़ी टीमों के विकेटकीपरों का प्रदर्शन
आधुनिक क्रिकेट में सिर्फ विकेटकीपिंग के दम पर टीम में किसी भी खिलाड़ी की जगह नहीं बनती. प्रदर्शन का लेखाजोखा तैयार करें तो भारतीय विकेटकीपर धोनी ने इस साल अब तक 18 वनडे मैच खेले हैं. इसमें उन्होंने 252 रन बनाए हैं. उनकी औसत 25.20 की है. जो उनके करियर औसत 50.24 की ठीक आधी है.
इस दौरान शतक तो छोड़िए उन्होंने अर्धशतक भी नहीं लगाया है. 16 कैच और 9 स्टंपिंग उन्होंने की है. लगे हाथ दुनिया की बाकि टीमों के विकेटकीपर्स का प्रदर्शन देखिए. दुनिया की नंबर एक वनडे टीम इंग्लैंड के विकेटकीपर बटलर ने इस साल खेले गए 23 मैचों में 671 रन बनाए हैं. उनकी औसत 51.61 की है. उन्होंने 2 शतक लगाए हैं. 26 कैच और 9 स्टंपिंग भी की है. वनडे रैंकिंग में चौथे नंबर की टीम दक्षिण अफ्रीका में क्विंटन डी कॉक ग्लव्स संभालते हैं. उन्होंने 7 मैच में 267 रन बनाए हैं. उनकी औसत 38.14 की है. 15 कैच लपके हैं और 1 स्टपिंग की है. यानि विकेट के पीछे के रोल में भी कोई धोनी से कमजोर नहीं है.
विराट क्यों नहीं कर पा रहे धोनी को लेकर कोई फैसला
टेस्ट क्रिकेट और वनडे की कप्तानी को लेकर धोनी ने सही समय पर फैसला लिया था. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहा. इसके बाद वनडे टीम की कमान छोड़ी. उनके ये दोनों फैसले भारत की क्रिकेट परंपरा से उलट थे. देश में तमाम बड़े खिलाड़ियों ने संन्यास का फैसला बड़ा रो-धोकर लिया था. उन्हें हटाने की नौबत आ गई थी. धोनी को लेकर ऐसा लगता था कि वो इस नौबत को किसी हाल में नहीं आने देंगे. लेकिन कड़वा सच ये है कि बल्ले से उनका प्रदर्शन अब अपनी गिरावट के चरम पर है.
विराट कोहली को बतौर कप्तान धोनी की जरूरत शायद सिर्फ इसलिए है क्योंकि वो तमाम फैसलों में उनकी मदद करते हैं. डीआरएस से लेकर गेंदबाजी और फील्डिंग परिवर्तन में धोनी की राय दूसरों से अलग होती है. जिसका फायदा भी होता है. धोनी एक तरह से विराट कोहली के लिए कप्तानी का ‘कंफर्ट-जोन’ बन गए हैं. विराट कोहली जिस दिन इस ‘कंफर्ट-जोन’ से बाहर निकलेंगे उन्हें धोनी की जरूरत महसूस होना बंद हो जाएगी. सवाल सिर्फ ये है कि वो दिन 2019 विश्व कप के पहले आता है या बाद में.