भारतीय क्रिकेट टीम के किन्ही पांच खिलाड़ियों के नाम बताओ ? किसी ने नहीं पूछा पुरुष टीम के या महिला टीम के. भारतीय क्रिकेट टीम मतलब पुरुष टीम. खैर छोड़िए. इस सवाल का जवाब जानिए. विराट, धोनी, युवराज, रहाणे, रैना, अश्विन वगैरह वगैरह. अच्छा अब भारतीय महिला क्रिकेट टीम की किन्ही पांच खिलाड़ियों के नाम बताओ ? इस बार जवाब शायद न ही मिले.

क्यों जवाब क्यों नहीं है किसी के पास. चलिए छोड़िए, पांच खिलाड़ियों के नाम न सही तो टीम की कप्तान का नाम ही बता दो. जवाब अब भी शायद ही मिले. किसी के पास जवाब क्यों नहीं है. इस देश में तो क्रिकेट को पूजा जाता है न. राष्ट्रीय खेल बनाने की बातें भी हुईं थीं. फिर भी नहीं पता.

हम ये कैसे भूल जाते हैं कि सिर्फ पुरूष क्रिकेट टीम ही नहीं बल्कि महिला क्रिकेट टीम भी देश का नाम रोशन करती है. इस टीम को भी दुनिया का सबसे ज्यादा पैसा वाला बोर्ड ही चलाता है. मतलब बीसीसीआई. फिर भी क्यों हम नहीं जानते की महिला क्रिकेट टीम की कप्तान कौन है. जवाब सीधा साधा है. क्योंकि, हम जानना ही नहीं चाहते. हमें तो सिर्फ पुरूषों के क्रिकेट में दिलचस्पी है. क्योंकि चौके-छक्के तो वहीं मारते हैं, हमारा मनोरंजन भी बस वही करते हैं, पैसा भी उन्हें ही ज्यादा मिलता है. महिला क्रिकेट का क्या है जब कोई नहीं देखता तो हम भी नहीं देखते. जरूरत क्या है इनके बारे में जानने की. इतनी लोकप्रिय थोड़ी न हैं, जितने पुरूष खिलाड़ी हैं.

आपको ये तो पता ही होगा कि भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने जून में होने वाले आईसीसी वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई कर लिया है. अगर नहीं पता तो पता करिए. ये उन लोगों के लिए शर्म की बात है जो क्रिकेट को जीते हैं. दिन-रात बस क्रिकेट की बातें करते हैं.

इसी साल फरवरी में श्रीलंका में हुए आईसीसी वर्ल्ड कप क्वालीफाई राउंड में भारत की महिला टीम अजेय रही है. उसने इस टूर्नामेंट में आठ मैच खेले थे और सभी मैचों में विरोधी टीम को धूल चटा दी थी. इस टूर्नामेंट का आखिरी मैच तो बेहद रोमांचक रहा. जिसमें भारत के सामने दक्षिण अफ्रीकी टीम थी और आखिरी दो गेंदों पर भारत को आठ रन चाहिए थे. जिसके बाद कार्यवाहक कप्तान हरमनप्रीत कौर ने आखिरी दो गेंदों पर छक्का और फिर दो रन लेकर भारत को आईसीसी महिला विश्व कप क्वालीफायर के फाइनल में जीत दिलाई. क्या आपको ये सब पता था. अच्छा है अगर पता हो औऱ अगर नहीं तो फिर आपको बहुत सोचने की भी जरूरत है.



देश में महिला क्रिकेट की ऐसी स्थिति के लिए हम सब जिम्मेदार हैं, सरकार भी, बोर्ड भी और मीडिया भी. बीसीसीआई खुद भी महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए कभी उतावला नहीं दिखा. क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए यहां आईपीएल खेला जाता है, लेकिन ये भी सिर्फ पुरुषों के लिए है. महिलाओं के लिए नहीं. अखबारों में भी महिला क्रिकेट टीम की जीत की खबर एक छोटे से कोने में सिमट कर रह जाती है. वहीं, न्यूज़ चैनलों में भी महिला टीम से जुड़ी खबरों को ज्यादा तवज्जों नहीं दी जाती.

देश में महिला हॉकी, बॉक्सिंग और पहलवानी पर फिल्में बन जाती हैं. हिट भी हो जाती हैं. लेकिन उसके बाद क्या. उन उपलब्धियों को हम भूल जाते हैं, जिन उपलब्धियों के लिए हमने सिनेमा हॉल में ताली पीटी थीं. उन मुद्दों को भी हम भूल जाते हैं जिनके लिए फिल्म का निर्माण किया गया था. यानी महिला सशक्तिकरण जैसे खेल में महिलाओं को बढ़ावा देना और लोगों को जागरुक करना.

रियो ओलंपिक में कुश्ती खिलाड़ी साक्षी मलिक ने कांस्य पदक और बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु ने सिल्वर मेडल जीतकर पूरे देश का नाम रोशन किया था. जिसके बाद पूरे देश ने इस जीत का जश्न मनाया था. लेकिन क्या अब हम जानते हैं साक्षी मलिक या पीवी सिंधु अपना अगला मैच कब खेलेंगी. शायद नहीं. क्योंकि हमें सिर्फ क्रिकेट में दिलचस्पी है. या यूं कहे कि हमें सिर्फ पुरुषों के क्रिकेट से प्यार है.

पुरुष टीम ने साल 1983 में क्रिकेट वर्ल्ड कप जीता, साल 2007 में टी-20 वर्ल्ड कप जीता और साल 2011 में एक बार फिर 50 ओवर का वर्ल्ड कप जीता. लेकिन महिला टीम ने भी कम खिताब अपने नाम नहीं किए हैं. भले ही टीम ने अभी तक कोई वर्ल्ड कप नहीं जीता हो लेकिन महिला टीम ने ऐसे कई खिताब जीते हैं जिनसे देश की नाक ऊंची हुई है.

महिला क्रिकेट टीम ने अब तक खेली गईं एशिया कप की सभी ट्राफी अपने नाम की हैं. टीम 2004 में शुरू हुए इस टूर्नामेंट में अबतक अजेय रही है. साल 2009 और 2010 में खेले गए आईसीसी टी-20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइन में भी टीम ने जगह बनाई थी. वहीं साल 2000 में टीम ने आईसीसी वर्ल्ड कप में सेमीफाइनल और साल 2005 में फाइनल तक का सफर पूरा किया था. हालांकि फाइनल में टीम को ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन फिर भी टीम का फाइनल तक का सफर करना कोई मामूली बात नहीं है.

खैर, महिला दिवस के दिन देश में महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए एक टूर्नामेंट शुरू किया जा रहा है. इस टूर्नामेंट का नाम महिला क्रिकेट लीग है. इसको महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने और पुरुष क्रिकेट के समान लोकप्रियता दिलाने के लक्ष्य के तौर पर देखा जा रहा है. ये अच्छी खबर है, लेकिन ये टूर्नामेंट बीसीसीआई के सौजन्य से नहीं हो रहा है. अब सवाल यही है कि क्या इस टूर्नामेंट को आईपीएल की तर्ज पर लोकप्रियता हासिल होगी. क्या इस टूर्नामेंट को देखने के लिए हमारे अंदर उसी तरह की दिलचस्पी पैदा होगी जो आईपीएल के लिए होती है.

सवाल कई है लेकिन जवाब हर किसी के पास नहीं है. इन सभी सवालों के जवाब ढूंढना हम सभी की जिम्मेदारी है. अरे भई हमारी छोरियां छोरों से कम थोड़ी न हैं.

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