(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
पूर्वोत्तर की जीत ने बीजेपी को दे दिया लोकसभा चुनाव का सियासी टॉनिक?
पूर्वोत्तर के दो राज्यों त्रिपुरा और नागालैंड में तो बीजेपी ने जोरशोर से वापसी की है, लेकिन मेघालय में महज दो सीट मिलने के बावजूद वहां बीजेपी गठबंधन की सरकार बन रही है. यानी तीनों ही राज्यों में बीजेपी ने अपना परचम लहरा दिया है. त्रिपुरा में वह अपने दम पर ही दोबारा सरकार बना रही है तो नागालैंड और मेघालय में पिछली बार की तरह ही वह गठबंधन सरकार का अहम हिस्सा होगी. बीजेपी के लिये ये जीत बेहद मायने रखती है तो कांग्रेस,लेफ्ट समेत ममता बनर्जी की टीएमसी के लिए भी ये नतीजे निराश करने वाले ही हैं. बेशक पूर्वोत्तर के राज्य छोटे हैं लेकिन बीजेपी के लिए ये जीत किसी टॉनिक से कम नहीं है.
इस साल होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने पूरी ताकत लगा रखी थी कि वह इनमें से किसी भी एक राज्य में सरकार बनाने से चूक न जाये और इसमें वह कामयाब भी हुई. महज नौ साल के भीतर ही पूर्वोत्तर के आठ में से सात राज्यों में भगवा परचम लहराने के मायने यही हैं कि साल 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद से इन राज्यों का कायाकल्प हुआ है और अपनी कट्टर हिंदुत्व की छवि होने के बावजूद वहां के लोगों ने बीजेपी के प्रति अपना भरोसा जताया है. हालांकि आमतौर पर यही माना जाता है कि केंद्र में जिस पार्टी की सरकार होती है, उसका ही पूर्वोत्तर में राज होता है. साल 2014 तक सभी आठ राज्यों में कांग्रेस या लेफ्ट की ही सरकार थी.उससे पहले इन राज्यों में न बीजेपी की कोई पहचान थी और न ही जनाधार ही था.साल 2003 में सिर्फ अरुणाचल प्रदेश इकलौता ऐसा अपवाद बना था,जब कांग्रेस के दिग्गज नेता ने पार्टी के कई विधायकों के साथ बीजेपी का दामन थाम लिया था. तब वह पहला मौका था,जब बीजेपी ने पूर्वोत्तर के किसी राज्य में अपनी सरकार बनाई थी.
साल 2014 में जब केंद्र में मोदी सरकार आई, तब पूर्वोत्तर के आठ में से पांच राज्यों असम, मेघालय, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में कांग्रेस की सरकार थी. जबकि त्रिपुरा में सीपीआई(एम) और सिक्किम में एसडीएफ की सरकार थी और नगालैंड में एनपीएफ का राज था, लेकिन वहां 2016 से सरकारें बदलने का जो सिलसिला शुरु हुआ ,उसने 2019 आते-आते पूरी तरह से पूर्वोत्तर का सियासी नक्शा ही बदलकर रख दिया.यानी बीजेपी ने कांग्रेस और लेफ्ट के समीकरण को ध्वस्त करके रख दिया.देखते ही देखते आठ में से सात राज्यों में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने सरकार बना ली जिसके बारे में कांग्रेस या वाम दलों ने कभी सोचा भी नहीं था.बीजेपी इतनी ताकतवर हो गई कि असम और त्रिपुरा में उसने अकेले दम पर सरकार बनाई, जबकि मेघालय, नगालैंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में क्षेत्रीय दलों के गठबंधन के साथ.केवल मिजोरम में एमएनएफ गठबंधन की सरकार रही.
अब पूर्वोत्तर का सियासी नक्शा पूरी तरह से बदल चुका है. सियासी विश्लेक मानते हैं कि बीजेपी जहां भी एक बार सरकार बना लेती है, उस राज्य को आसानी से अपने हाथ से खोने नहीं देती है. पूर्वोत्तर में भी वह कुछ यही दोहरा रही है. चार राज्यों में पहले से ही बीजेपी का का राज कायम है. बाकी तीन राज्यों के चुनावी नतीजों ने भी साफ कर दिया है कि यहां फिर से उसकी सत्ता में वापसी हो रही है. सातों राज्यों में अपना जादू बरकरार रखने का सीधा-सा मतलब है कि वहां के लोग मोदी सरकार की नीतियों से खुश हैं.
हालांकि पुर्वोत्तर में बीजेपी को लगातार मिल रही इस जीत की कुछ खास वजह भी है. देश के बाकी हिस्सों की तरह मोदी ने पूर्वोत्तर के लोगों के बीच भी अपने चेहरे को बेहद तेजी से विश्वसनीय बना लिया.मतलब कि वहां की आबादी में ये भरोसा बैठा दिया कि जो कहूंगा,वो करके दिखाऊंगा. इसकी सबसे बड़ी मिडल है कि पीएम बनते ही मोदी ने पूर्वोत्तर राज्यों के विकास के लिए सरकार ने अपने बजट में अलग से प्रावधान किया, जो कि पहली बार हुआ.साथ ही उन्हें केंद्र सरकार की तमाम योजनाओं का सीधे फायदा मिलने लगा और इसमें आवास योजना अव्वल रही.मोटे अनुमान के मुताबिक तीनों चुनावी राज्यों में 60 फीसदी से ज्यादा लोगों को अब तक आवास योजना का लाभ मिल चुका है.
केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से पूर्वोत्तर के राज्यों में जिस तेजी से विकास हुआ है,उससे लोगों को रोजगार मिलने के अलावा राज्यों की आमदनी भी बढ़ गई. सभी राज्यों को एयर, रेल और रोड कनेक्टिविटी के जरिए देश के बाकी हिस्सों से जोड़ा गया.मोदी सरकार ने इन राज्यों के बीच बरसों से चले आ रहे विवाद को भी खत्म कराया.मसलन, मेघालय और असम का 50 साल पुराना सीमा विवाद खत्म कराया,तो वहीं नगालैंड-असम सीमा विवाद को सुलझाने के लिए भी सरकार ने कई कदम उठाए.इसके अलावा त्रिपुरा, असम और मेघालय में राजनीतिक हिंसा में काफी कमी आई. पीएम मोदी के एजेंडे में नार्थ ईस्ट के राज्य कितने अहम हैं,इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि बीते दिनों पीएमओ की तरफ से जारी हुई एक सूचना के मुताबिक साल 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से लेकर अब तक मोदी नॉर्थ ईस्ट के इन राज्यों में 97 बार दौरा कर चुके हैं.इसके अलावा केंद्र सरकार ने नॉर्थ ईस्ट के लिए मंत्रियों की एक अलग टीम भी बनाई है.इन तीन राज्यों के चुनाव को देखते हुए ही केंद्र सरकार ने 2024-25 के लिए नार्थ ईस्ट के बजट को बढ़ाकर 5892 करोड़ रुपये किया है,जो कि 2022-23 के मुकाबले 113 फीसदी ज्यादा है.
जाहिर है कि इन सब कारणों ने भी बीजेपी की जीत में बड़ी भूमिका निभाई है.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)