एक्सप्लोरर

कभी मीठी तो कभी कड़वी, कुछ अलग ही तासीर है नीतीश और मोदी के सम्बन्धों की

पिछले केवल आठ वर्षों में देख लें तो नीतीश-मोदी का रिश्ता कभी सर्द और कभी गर्म रहा है. नीतीश कब रूठ जाएं, और भाजपा कब उनको मनाकर वापस ले आये, कोई कह नहीं सकता. इन आठ वर्षों में नीतीश कुमार तीन बार अपने पद से इस्तीफा देकर, भाजपा से दामन छुड़ाकर भागे हैं. काफी पहले (1994 में) नीतीश कुमार जब जनता दल से दूर हुए, तभी वो जॉर्ज फर्नांडिस के साथ भाजपा के निकट आने लगे थे और जब वाजपेयी जी के नेतृत्व में 1998 में एनडीए की सरकार बनी तो उन्हें रेल मंत्री भी बनाया गया था.

नीतीश और भाजपा का साथ

भारत में अभी पहली-दूसरी बार मतदान कर रहे युवाओं की एक बड़ी संख्या है, और उनके लिए नीतीश कुमार के पुराने सम्बन्ध नयी बात हो जायेंगे. इन संबंधों में विशेष बात बीच की कड़ी के रूप में जॉर्ज फर्नान्डिस का होना है. पहली बार जब लालू यादव मुख्यमंत्री बने थे तो जनता पार्टी के पास बिहार में पूर्ण बहुमत नहीं था और उस समय लालू का विरोध भाजपा न करे, यानि लालू को बाहर से भाजपा का समर्थन भी जॉर्ज फर्नांडिस ने ही नानाजी देशमुख की मदद से दिलवाया था, ऐसा माना जाता है. 

बहुत बाद में, यानी 2000 में जब नीतीश कुमार ने भाजपा की सहायता से पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो सात दिन में ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ गया. उनके पास उस समय बहुमत नहीं था, लेकिन 2003 में समता पार्टी को तोड़कर, उसमें जनता दल के लोगों को मिलकर नीतीश कुमार ने जनता दल (यूनाइटेड) बना ली. उस दौर में दूसरे समाजवादी नेता मोदी की बुराई कर रहे होते थे और आदिपुर (कच्छ) में एक रेलवे प्रोजेक्ट का केन्द्रीय सरकार में मंत्री के रूप में उद्घाटन करते हुए नीतीश कुमार ने लीक से हटकर मोदी के काम की जमकर प्रशंसा की. नीतीश कुमार उस वक्त नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका निभाने कह रहे थे जबकि उसके काफी बाद तक कांग्रेसी नेता सोचते और कहते रहे कि मोदी को गुजरात के बाहर जानता कौन है?

गुजरात के छोटे-मोटे दौरों में ही उस समय के नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी का किया काम भांप लिया था. दूसरी बार बिहार में नीतीश कुमार ने 2005 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और उस बार सीधे तौर पर जद(यू) को भाजपा के समर्थन वाली एनडीए की सरकार बनी थी. बिहार के लोगों से पूछें तो नीतीश कुमार को उसी 2005 से 2010 के दौर वाले सुशासन के लिए जाना जाता है.

नीतीश कई बार पलटे

उस 2005 वाले चुनाव से लेकर अबतक गंगा में बहुत सा पानी बह चुका है, लेकिन बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही हैं. तब से अबतक 2005, 2010, 2015, और 2020 के जो चार चुनाव हुए हैं उनमें से एक बार 2015 में जद(यू) चुनावों में राजद के साथ गठजोड़ करके उतरी थी, बाकी तीन चुनावों में भाजपा ही उसकी सहयोगी रही है. मोदी-नीतीश के सम्बन्ध 2009 तक तो बहुत अच्छे रहे लेकिन 2010 आते-आते नीतीश कुमार को समझ में आने लगा कि उनका प्रधानमंत्री बनने का जो सपना है, उसकी राह में नरेंद्र मोदी रुकावट बनकर सामने आ रहे हैं.

राष्ट्रीय राजनीति में मोदी का उभारना नीतीश कुमार को खटकने लगा. जून 2010 में पटना में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक थी और नीतीश कुमार उस समय पुराने भाजपाई दिग्गजों आडवानी, महाजन, जेटली और सुषमा स्वराज के साथ तो दिखे लेकिन मोदी से उन्होंने दूरी बनाई. अख़बारों में जो मोदी के साथ उनकी तस्वीर दिखी उसपर आपत्ति जताते हुए, नीतीश कुमार ने गुजरात से बाढ़ राहत के लिए मिले पांच करोड़ रुपये भी वापस कर दिए. नीतीश ने उसी दौर में भाजपा नेताओं के साथ भोज को भी रद्द कर दिया था. 

मोदी को माना प्रतिद्वंद्वी

गोवा की भाजपा की बैठक में जब जून से दिसम्बर 2013 के बीच हुए बदलावों में मोदी को 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए मोदी को पार्टी का मुखिया चुना गया तो नीतीश कुमार को स्पष्ट समझ आ गया कि उनके सामने एक सहयोगी नहीं, प्रतिद्वंदी है. एक तरफ मोदी 2014 में प्रधानमंत्री पद की शपथ ले रहे थे तो दूसरी ओर नीतीश जद(यू) उम्मीदवारों की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे रहे थे.

इसी इस्तीफे के बाद कुर्सी पर जीतन राम मांझी को बिठाने की कवायद हुई थी, लेकिन जब उन्हें बुरी तरह बेइज्जत करके निकालने के बाद नीतीश दोबारा फ़रवरी 2015 में मुख्यमंत्री बने तो उनकी साख और गिर गयी. यहाँ से नीतीश का पतन शुरू हो गया. वो विधानसभा चुनावों में राजद के साथ उतरे और सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी राजद ने नीतीश को मुख्यमंत्री बनाया. इस गठबंधन के चलने में इतनी मुश्किलें थीं, कि इसके बाद से कब वो राजद के साथ हैं और कब भाजपा के साथ, इसका कयास लगाना मुश्किल होता है.

एक तरफ राजद के लोग उन्हें पलटू चाचा बुलाने लगे हैं तो दूसरी तरफ आम आदमी भी जद(यू) के प्रचार “नीतीश सबके हैं” को व्यंग के रूप में लेने लगा. हाल में एक विपक्षी महागठबंधन में नीतीश की जगह, फिर उनका भाजपा के साथ आ जाना आदि ऐसे कदम थे जिसने जद(यू) का राजनैतिक भविष्य करीब करीब समाप्त कर दिया है. अगले विधानसभा चुनावों में नीतीश आगे रहेंगे या संन्यास लेंगे, ये भी संभवतः तय हो जायेगा.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Delhi Assembly Elections: BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
Axis My India Exit Poll 2024: मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
Nana Patekar ने 'गदर' के डायरेक्टर अनिल शर्मा को मजाक-मजाक में कह दिया 'बकवास आदमी', वजह भी खुद बताई
नाना पाटेकर ने बॉलीवुड के इस बड़े डायरेक्टर का उड़ाया मजाक!
IND vs AUS: बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में क्यों नहीं खेल रहे हार्दिक पांड्या? टेस्ट टीम में कब तक हो पाएगी वापसी
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में क्यों नहीं खेल रहे हार्दिक पांड्या? टेस्ट टीम में कब तक हो पाएगी वापसी
ABP Premium

वीडियोज

Maharahstra assembly elections 2024: महाराष्ट्र की 47 सीटों के नए Exit Poll में महायुति को मिल रही 38+ सीटें | Elections 2024Arvind Kejriwal News: Delhi चुनाव से पहले शराब घोटाले में केजरीवाल को बड़ा झटका! | ABP NewsBJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?बाबा बागेश्वर की 'सनातन हिन्दू एकता' पदयात्रा शूरू | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Delhi Assembly Elections: BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
Axis My India Exit Poll 2024: मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
Nana Patekar ने 'गदर' के डायरेक्टर अनिल शर्मा को मजाक-मजाक में कह दिया 'बकवास आदमी', वजह भी खुद बताई
नाना पाटेकर ने बॉलीवुड के इस बड़े डायरेक्टर का उड़ाया मजाक!
IND vs AUS: बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में क्यों नहीं खेल रहे हार्दिक पांड्या? टेस्ट टीम में कब तक हो पाएगी वापसी
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में क्यों नहीं खेल रहे हार्दिक पांड्या? टेस्ट टीम में कब तक हो पाएगी वापसी
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
ठंड शुरू होते ही ऐसे बनाएं मक्के दी रोटी और सरसों का साग, ये रही रेसिपी
ठंड शुरू होते ही ऐसे बनाएं मक्के दी रोटी और सरसों का साग, ये रही रेसिपी
10 मिनट स्पॉट जॉगिंग या 45 मिनट वॉक कौन सी है बेहतर, जानें इसके फायदे
10 मिनट स्पॉट जॉगिंग या 45 मिनट वॉक कौन सी है बेहतर, जानें इसके फायदे
'बैलिस्टिक मिसाइल हमले पर चुप रहना', जब रूसी प्रवक्ता को लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस में आया कॉल
'बैलिस्टिक मिसाइल हमले पर चुप रहना', जब रूसी प्रवक्ता को लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस में आया कॉल
Embed widget