आखिर किस नए सियासी ठिकाने की तलाश में हैं अब नवजोत सिंह सिद्धू ?
अपनी जिद के चलते पंजाब में कांग्रेस का किला ढहाने में सबसे अहम रोल अदा करने वाले नवजोत सिंह सिद्धू अब फिर से एक नई भूमिका में आने की तैयारी में हैं. कभी वे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की तारीफ में अपने कसीदे पढ़ रहे हैं, तो कभी मुख्यमंत्री भगवंत मान की तारीफ करते हुए थकते नहीं दिखते. कांग्रेस से लेकर बाकी सियासी गलियारों में भी कोई ये नहीं जानता कि आखिर सिद्धू क्या बोल रहे हैं, वे चाहते क्या हैं और अब उनका नया सियासी ठिकाना कौन-सा होगा?
सद्धू को लेकर कैप्टन ने की थी भविष्यवाणी
सब जानते हैं कि सिद्धू ने पिछले साल जून-जुलाई में कुछ विधायकों को भड़काकर अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ बगावत का परचम अगर नहीं उठाया होता, तो न तो कैप्टन अमरिंदर सिंह सीएम पद से इस्तीफा देने पर मजबूर होते और न ही विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की इतनी बुरी गत ही होती. पिछले साल जुलाई में प्रियंका-राहुल गांधी ने जब सिद्धू को पंजाब कांग्रेस की कमान सौंपी थी, तो उसके फौरन बाद ही कैप्टन ने बयान दिया था कि - " सिद्धू एक अनगाइडेड मिसाइल हैं और वे पार्टी को किस गर्त में ले जाएंगे, इसका अहसास आलाकमान को भी उसी दिन होगा, जब जहाज डूब जायेगा." जिसके बाद पंजाब के चुनाव-नतीजों ने उनके बयान के उस सच को उजागर करके रख दिया.
लेकिन कांग्रेस से खुंदक निकालने की अपनी रही-सही कसर को सिद्धू अब पूरा करने के लिए मानो तैयार बैठे हैं. चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने तीन दिन पहले ही अपनी पार्टी बनाकर राजनीति में उतरने का ऐलान किया है. उन्हें इसकी बधाई देने वालों में सिद्धू सबसे पहले कांग्रेस नेता थे, ये जानते हुए भी कि उन्हीं प्रशांत किशोर ने पिछले हफ्ते ही कांग्रेस में शामिल होने के सोनिया गांधी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.
कांग्रेस के जहाज से कूदने की तैयारी में सिद्धू?
ऐसे में, राजनीति की समझ रखने वाला कोई भी शख्स इतना अनजान तो है नहीं कि जो ये न समझ सके कि सिद्धू अब कांग्रेस को डूबता हुआ जहाज मानते हुए उससे कूदने की तैयारी में हैं. वह इसलिये भी कि सिद्धू सिर्फ़ बधाई तक ही नहीं रुके. उन्होंने प्रशांत किशोर से मुलाकात भी की और अपनी पार्टी के आला नेताओं को चिढ़ाने के लिए उस बारे में ट्वीट करके गांधी परिवार के सदस्यों के जख्मों पर नमक तो छिड़का ही लेकिन साथ ही ये भी बता दिया कि वे कितने बड़े अवसरवादी हैं, जिसे समझने में पार्टी आलाकमान गलत ही साबित हुआ.
सिद्धू ने बधाई देते हुए ट्वीट किया था- " पहला झटका आधी लड़ाई है मेरे दोस्त... एक अच्छी शुरुआत हमेशा एक अच्छा अंत बनाती है... हमारे संविधान की भावना का सम्मान करने के आपके ईमानदार प्रयासों में हमेशा सर्वश्रेष्ठ... ‘लोगों की शक्ति कई गुना करके लोगों को लौटानी चाहिए...’" उसके बाद सिद्धू ने प्रशांत किशोर से मुलाकात की और उन्हें अपना पुराना दोस्त बताते हुए ट्वीट किया था कि "अपने पुराने दोस्त पीके के साथ एक शानदार मुलाकात हुई. पुरानी शराब, पुराना सोना और पुराने दोस्त आज भी सबसे बढ़िया."
प्रदेश प्रभारी ने लिखी सोनिया गांधी को चिट्ठी
सिद्धू के बड़बोले बयानों से परेशान होकर ही पिछले दिनों पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश चौधरी ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर सिद्धू के खिलाफ शिकायत करते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की मांग की थी. हाईकमान को लिखे अपने पत्र में हरीश चौधरी ने कहा था, "नवजोत सिंह सिद्धू को खुद को पार्टी से बड़ा नहीं समझना चाहिए. सिद्धू के खिलाफ जरूरी एक्शन लिया जाना चाहिए." उन्होंने आगे लिखा, "नवंबर से अब तक पंजाब में कांग्रेस प्रभारी होने के नाते मेरा मानना है कि सिद्धू ने लगातार कांग्रेस सरकार के कामकाज की आलोचना की और इसे भ्रष्ट बताया. अकाली दल के साथ हाथ मिलाने की भी बात कही. इस तरह की गतिविधियों से बचने के लिए मेरी तरफ से बार-बार दी गई सलाह के बावजूद वह लगातार सरकार के खिलाफ बोलते रहे."
टीवी के पर्दे पर मसखरियां करके शोहरत बटोरने वाले ये वही सिद्धू हैं जो पंजाब चुनाव में कांग्रेस के लिए तो 'फ्लॉप शो' साबित हुए ही लेकिन खुद अपनी सीट भी नहीं बचा पाये. उन्हें आम आदमी पार्टी की उन जीवनज्योत कौर ने हरा दिया, जिन्हें चुनाव लड़ने से पहले राजनीति में कोई जानता तक नहीं था. अब वही सिद्धू कांग्रेस को ये पाठ पढ़ा रहे हैं कि राज्य में माफिया राज के कारण ही पार्टी पंजाब में चुनाव हारी है और अब उसे खुद को नए स्वरूप में ढालने का प्रयास करना चाहिए. अब वे मुख्यमंत्री भगवंत मान को छोटा भाई और ईमानदार व्यक्ति बताकर उनकी तारीफ़ करने में भी कोई कंजूसी नहीं बरत रहे.
सिद्धू ने किसी का नाम लिए बगैर कांग्रेस की पांच साल की सरकार में मुख्यमंत्री रहे अमरिंदर सिंह और चरनजीत सिंह चन्नी पर माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने में असफल रहने का आरोप भी लगाया है. सिद्धू ने ये भी ऐलान किया है कि अगर सीएम भगवंत मान माफिया के खिलाफ लड़ते हैं तो वे खुलकर उनका साथ देंगे. अब सवाल ये है कि बिहार से अपनी सियासी पारी शुरू करने वाले प्रशांत किशोर सिद्धू को अपना सारथी बनाएंगे या फिर आप संयोजक अरविंद केजरीवाल एक पिटे हुए मोहरे को अपने साथ लेने की जोखिम मोल लेंगे?
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)