(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
संदेह में मदरसे, मंशा साफ... NCERT सिलेबस से पढ़ाई के पीछे योगी सरकार का ये है उद्देश्य
उत्तर प्रदेश के अंदर मदरसों में एनसीईआरटी सिलेबस लागू करने का फैसला बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था. किसी भी व्यक्ति की उन्नत का आधार शिक्षा है. युगों से ही ज्ञान व्यक्ति की उन्नति का पथ प्रदर्शक रहा है. ऐसे में जो बच्चे मदरसे में पढ़ रहे हैं, उन्हें वर्तमान के अनुकूल ज्ञान मिलना चाहिए. ये सरकार की भी जिम्मेदारी है कि उनको वर्तमान की दुनिया के प्रतिस्पर्धा के अनुकूल उनके ज्ञान का वर्धन हो. वर्तमान युग टेक्नोलॉजी की और विज्ञान की है.
ऐसे में मदरसों में विज्ञान की टेक्नोलॉजी की शिक्षा हो. वो बच्चे भी कंप्यूटर की शिक्षा हासिल कर पाए और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के काबिल बन सके. इसके लिए यह आवश्यक था कि एनसीईआरटी का सिलेबस लागू हो. जिसके चलते वहां पर बच्चे विज्ञान, गणित और अन्य शिक्षा पाएं और वो बच्चे भी इंजिनियर और वैज्ञानिक जैसे क्षेत्रों में आगे बढ़ सके.
एक वर्ग के बच्चों को प्रगति पर लाने का फैसला
इसलिए जब 2014 में योगी आदित्यनाथ की राज्य में जब सरकार आई तो उन्होंने ये फैसला किया कि मदरसों में विज्ञान-टेक्नोलॉजी का एजुक्शन लागू करेंगे. उन बच्चों को भी कंप्यूटर-लैपटॉप की सुविधाएं भी मुहैया करायी जाएंगी, ताकि वो बच्चे भी ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ सके. एक वर्ग के बच्चे अगर शिक्षा में अगर पिछड़े होंगे तो प्रगति का पैमाना अधूरा रह जाएगा. इसलिए एक पीढ़ी के भविष्य को सुधारने का यह फैसला किया गया है.
मदरसों का सर्वे क्यों नहीं?
कोई भी संस्था जो काम कर रही है, वो राज्य के अंदर ही कर रहा है. ऐसे में राज्य सरकार को ये अधिकार बनता है कि वे जानें कि वहां का माहौल कैसा है. प्रबंधन कैसा है, शिक्षा जहां पर दी जा रही है, बच्चों के बैठने और क्लास की क्या व्यवस्था है. खेल के संसाधन हैं भी या नहीं है. इसलिए किसी भी शिक्षण संस्थान के लिए जो आवश्यक संसाधन हैं, अगर सर्वे नहीं होगा तो फिर कैसे ये सब पता चल पाएगा. कई मदरसों ने इसका स्वागत किया. कुछ दुष्प्रचार भी इसका किया गया.
राजनीति में कुछ लोग हैं जो इस तरह का विवाद करते हैं. उनको न शिक्षा से मतलब है और न ही समाज की उन्नति से. उनको सिर्फ राजनीति की रोटी सेंकनी है और एक वर्ग विशेष को कट्टर पंथ में बनाए रखना ताकि वो अपनी राजनीति चलाते रहें. लेकिन वास्तविकता ये है कि सरकार की मंशा बहुत साफ है.
संदेह में मदरसे
यूपी के कई स्थानों पर मदरसों में कुछ इस तरह की गतिविधियां मिली, जिसे कोई भी कानून परमिट नहीं कर सकता. अगर कहीं आतंकी या इस तरह के लोगों को संरक्षण मिला, या इस तरह के तत्व पाया गया तो ये गलत था.
कई बार लोग फैसले को लेकर अनावश्यक विवाद खड़े करते रहते हैं. लेकिन सवाल ये है कि बच्चों को सही शिक्षा मिलनी चाहिए. बेहतर नागरिक बन सके, वो बेहतर प्रगति का हिस्सा बन सके.
[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]