शरद पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से अपना इस्तीफा वापस ले लिया है. वे अब पार्टी के अध्यक्ष बने रहेंगे. 2 मई को शरद पवार ने पार्टी के अध्यक्ष पद को छोड़ने का एलान किया था और 5 मई को उन्होंने ये फैसला वापस ले लिया. उन्होंने ये निर्णय करते हुए कहा कि मैं फिर से अध्यक्ष पद स्वीकार कर रहा हूं और कार्यकर्ता का अनादर नहीं कर सकता. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पवार ने आगे कहा कि कार्यकर्ताओं के प्यार के चलते उस मांग का सम्मान करता हूं, जिसमें मुझे मेरे इस्तीफा वापस लेने की मांग की गई थी.


एनसीपी सुप्रीमो से जब ये पूछा गया कि प्रेस कॉन्फ्रेस में अजीत पवार की गैर-मौजूदगी क्यों हैं? उन्होंने इसके जवाब में कहा कि समिति ने इस बारे में फैसला किया है और इस फैसले के बाद मैंने इस्तीफा वापस लेने का निर्णय किया. सभी एक हैं और इस पर चर्चा हुई है. पार्टी के वरिष्ठ नेता इस समिति में थे.


समिति ने पवार के इस्तीफे को किया था खारिज


इससे पहले, पवार के इस्तीफे के एलान के बाद कैडर्स की तरफ से इमोशनल विरोध प्रदर्शन और आत्मदाह की कोशिशें की गईं. इसके बाद मुंबई में पार्टी के सीनियर नेताओं ने बैठक की और सर्वसम्मति से शरद पवार के इस्तीफे को खारिज कर दिया.


साल 1999 में एनसीपी का गठन करने वाले 82 वर्षीय शरद पवार को उनके पार्टी नेताओं ने फैसले पर पुनर्विचार के लिए कहा. प्रफुल्ल पटेल की अगुवाई में समिति की बैठक में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले और भतीजे अजीत पवार शामिल हुए थे, जहां उत्तराधिकारी पर फैसला लेना था. समिति में सीनियर लीडर जैसे सुप्रिया सुले, अजीत पवार, प्रफुल्ल पटेल, जयंत पाटिल, छगन भुजबल, दिलिप वालसे पाटिल, छगन भुजबल, अनिल देशमुख, राजेश टोपे समेत अन्य नेता शामिल थे.


प्रफुल्ल पटेल ने इस बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि समिति ने आज की बैठक में सर्वसम्मति से फैसला किया. इसमें ये संकल्प लिया गया कि शरद पवार पार्टी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना रहना चाहिए. पार्टी के अध्यक्ष पद से उनके इस्तीफे को फैसले की सभी ने एक राय से विरोध किया. उन्होंने आगे कहा कि हम सभी चाहते थे कि शरद पवार पार्टी के अध्यक्ष बने रहें. उन्हें हम लाखों लोगों की भावनाओं का आदर करना चाहिए और अध्यक्ष बने रहना चाहिए. बाद में पटेल ने कहा कि उन्होंने पवार को समिति के फैसले के बारे में बता दिया है और आगे उन्होंने कहा कि वे शरद पवार ने कहा कि उन्हें इस बारे में सोचने के लिए थोड़ा वक्त चाहिए.


कई तरह की लग रही थीं अटकलें


शरद पवार के इस्तीफे के एलान के बाद से ही कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थी. ऐसा कहा जा रहा था कि उनकी बेटे सुप्रिया सुले पार्टी अध्यक्ष बन सकती हैं जबकि अजीत पवार को महाराष्ट्र में पार्टी का चेहरा बनाया जा सकता है. हालांकि, अजीत पवार को भूमिका स्पष्ट नहीं थी. ये ये भी कयास लगाया जा रहा था कि बीजेपी में अजीत पवार के जाने की अटकलों के चलते शरद पवार ने ये हैरानी भरा कदम उठाया. ऐसे में शरद पवार का आज का ये फैसला साफ जाहिर करता है कि पार्टी में अब भी पवार का प्रभुत्व पूरी तरह से बना हुआ है.


दरअसल पिछले दो-तीन महीने से अजित पवार को लेकर जिस तरह की खबरें सामने आ रही थी, वो शरद पवार को परेशान कर रहा था. कभी ये कहा जा रहा था कि एनसीपी के बहुत सारे विधायक अजित पवार के साथ हैं और अजित पवार एनसीपी से बाहर भी जा सकते हैं. कुछ लोगों ने तो ये भी दावा किया था कि 30 से लेकर 40 विधायक अजित पवार के साथ है. हालांकि अजित पवार एनसीपी छोड़ने की खबरों का हमेशा ही खंडन करते रहे हैं. इसके बावजूद शरद पवार को ये तो आशंका रहा ही होगा कि उनके बाद पार्टी पर किसकी कमान रहेगी, अजित पवार से जुड़ी खबरों के पीछे ये वजह हो सकती है. हम सब जानते हैं कि शरद पवार उम्र के जिस पड़ाव पर है और उनकी जिस तरह की सेहत हैं, वे चाहते हैं कि पार्टी में उनके बाद का नेतृत्व अभी से जिम्मेदारी संभालने लगे.


अब शरद पवार के बाद एनसीपी की कमान किसके हाथ में जाएगी ये तो अब भविष्य में ही पता चलेगा. लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति पर पकड़ रखने वाले सियासी जानकारों का मानना है कि इस रेस में अजित पवार के साथ ही शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले भी शामिल हैं. शरद पवार के इस्तीफे के प्रकरण को इस तौर से भी देखा जा रहा है कि आने वाले वक्त में सुप्रिया सुले को जिम्मेदारी सौंपने पर एनसीपी के बाकी नेता और कार्यकर्ता किस तरह की प्रतिक्रिया देंगे, शरद पवार इसकी टोह लेना चाहते थे.


एक और नाम है जो पिछले कुछ सालों में एनसीपी में तेजी से उभर कर सामने आया है. पार्टी में उनका कद तेजी से बढ़ा है. हम रोहित पवार की बात कर रहे हैं, जो शरद पवार के बड़े भाई अप्पा साहेब के बेटे राजेंद्र पवार के पुत्र हैं. इस तरह से रोहित, शरद पवार के पोते हुए.  37 साल के रोहित को शरद पवार और सुप्रिया सुले दोनों का बेहद करीबी माना जाता है. कहा ये भी जा रहा है कि अजित पवार की काट के तौर पर शरद पवार और सुप्रिया सुले, रोहित पवार को तैयार कर रहे हैं. रोहित पवार 2019 से कारजात-जमखेड़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. वे महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं. जिस तरह से पिछले पांच साल में कारोबारी रहे रोहित पवार को पार्टी में मौका दिया जा रहा है, उससे अनुमान लगाया जा सकता है कि सुप्रिया सुले अपनी दावेदारी को मजबूत करने के लिए घर में से ही किसी को आगे बढ़ा रही हैं, जो बाद में अजित पवार की काट बन सके.


शरद पवार के हृदय परिवर्तन पीछे एक वजह ये है उन्होंने इस्तीफे के बहाने से साबित कर दिया है कि एनसीपी में अब भी उनका उतना ही वर्चस्व है. उन्होंने इस बहाने अजीत पवार को ये मैसेज देने का प्रयास किया है कि वे अगर भविष्य में कोई कदम उठाते भी है तो उन्हें उन कदमों के खिलाफ क्या सामना करना पड़ सकता है. इसके साथ ही, शरद पवार ने इस इस्तीफे के बहाने उद्धव गुट को भी साफ संदेश दिया है कि पार्टी पूरी तरह से उनके काबू में हैं और उनका फैसला ही सर्वमान्य है.


शरद पवार ने अपना इस्तीफा देकर ये संदेश दिया कि एनसीपी पूरी तरह से उनके ही छत्रछाया में है. उसके साथ ही शरद पवार ने बीजेपी को भी ये बताने की कोशिश की है कि अजित पवार को लेकर जो भी कयास लगाए जाएं, उनकी पार्टी के विधायक और नेता पूरी तरह से शरद पवार से ही जुड़े हुए हैं.


[ये आर्टिकल निजी विचारों पर आधारित है.]