धनतेरस से शुरू होने वाले 5 दिन के दीपावाली के पर्व का आगाज़ बस होने ही वाला है लेकिन इन खुशियों के बीच एक ऐसा आंकड़ा आया जो यकीनन उत्तर प्रदेश सरकार और हमको-आपको भी फिक्र में डालने वाला है...ये आंकड़ा है साल 2017 में देशभर में हुए अपराधों का आंकड़ा...जिसमें उत्तर प्रदेश में अपराध की तस्वीर चौंकाने वाली है...ये आंकड़े नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी NCRB ने जारी किए हैं...अपराध कम हो या छोटा..वो गलत ही होता है..और हर नागरिक को फिक्र में डाल देता है...NCRB के आंकड़े चौंकाते इसलिए भी हैं क्योंकि इस वक्त उत्तर प्रदेश में और उससे सटे उत्तराखंड-बिहार जैसे राज्यों में भी भाजपा या भाजपा गठबंधन की सरकार है। यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तो साल 2017 में सत्ता संभालते ही अपराधियों के खिलाफ सख्त मुहिम छेड़ रखी है..2017 में भाजपा को यूपी में मिले प्रचंड बहुमत की एक बड़ी वजह पिछली अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी की सरकार में बढ़ते अपराध भी थे, जिनसे जनता त्रस्त थी...लेकिन हैरानी की बात ये है कि NCRB ने अपराध के जो आंकड़े जारी किए हैं वो साल 2017 के ही हैं और इनमें साल 2016 के मुकाबले इज़ाफा हुआ है।
एनसीआरबी के मुताबिक 2017 में उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा चार हजार तीन सौ चौबीस हत्याएं दर्ज की गईं...इसके अलावा दहेज के लिए की जाने वाली हत्याओं का आंकड़ा दो हजार पांच सौ चौबीस रहा...अपहरण की वारदातों में उत्तर प्रदेश अव्वल रहा...और साल 2017 में उन्नीस हजार नौ सौ इक्कीस अपहरण की घटनाओं के साथ यूपी पहले पायदान पर रहा...जहां तक बात रेप की घटनाओं की है तो उत्तर प्रदेश चार हजार दो सौ छियालीस मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है...जबकि जिन दंगों से उत्तर प्रदेश की सरकार मुकरती रही है...उसमें आठ नौ सौ नब्बे घटनाओं के साथ यूपी दूसरे पायदान पर है।
अपराध का ये तुलात्मक ग्राफ हमने ये समझने के लिए दिखाया है कि सरकार बदलने के साथ-साथ प्रदेश में अपराध की क्या सूरत रही....इस ग्राफ से निकलकर यही आया कि सरकार चाहे जिस भी पार्टी की रही हो....मुख्यमंत्री कोई भी हो...अपराध की तस्वीर कमोबेश एक जैसी ही है...जबकि मुख्यमंत्री योगी ने सत्ता संभालते ही अपराधियों को दो टूक चुनौती दी थी कि या तो वो गुनाह का रास्ता छोड़ दें या फिर उत्तर प्रदेश छोड़ दें।
2019 में जब 2017 की बात हो रही है तो हमें ये याद रखना होगा कि ये वही साल है...जब उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभाली थी...और सत्ता संभालते ही योगी आदित्यनाथ ने कई मंचों से यूपी में अपराधियों को सख्त मैसेज भी दिया...लेकिन मैसेज कितना कारगर रहा...ये तस्वीर भी साफ है...हां ये बात सही है कि योगी आदित्यनाथ अपराधियों पर लगातार शिकंजा कसने की बात करते रहे हैं...और सरकार के एक्शन को बताते रहे हैं...
सत्ता में आते ही योगी सरकार ने सबसे पहला वादा महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ा किया था...जिसमें एंटी रोमियो स्क्वॉयड का गठन कर मनचलों और शोहदों के खिलाफ अभियान चलाया...इसके अलावा योगी सरकार का बड़ा दावा कानून व्यवस्था और बेहतर पुलिस को लेकर 39 नए थानों और 15 नई चौकियों की स्थापना से है । योगी सरकार ने अपराध पर काबू पाने के लिए ऑपरेशन क्लीन के तहत एनकाउंटर मुहिम शुरू की...जिसमें 96 दुर्दांत अपराधियों के मारे जाने का दावा किया, जबकि एक हजार छह सौ इकतीस अपराधियों के जख्मी होने का दावा है। इसके अलावा दस हजार दो सौ बावन अपराधियों के गिरफ्तार होने का दावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया है। सीएम ने ये भी बताया है कि इसमें छह हजार सात सौ उनसठ अपराधियों पर इनाम था।
अपराध पर नकेल कसने के योगी सरकार के इन प्रयासों के साथ ही पुलिस ने एक और मुहिम भी शुरू की है...जिस तरह हमारी -आपकी कॉलोनी या गांव में चौकीदार रात को आवाज़ लगाते हुए पहरेदारी करता है, यूपी की पुलिस ने उसी तर्ज पर पहरेदारी की पहल भी की है।
विपक्ष के आरापों के बीच अपराध के बढ़ते आंकड़ों के बीच आपको एक और तस्वीर दिखाते हैं...ये तस्वीर बागपत की है...जहां मलकपुर गांव के एक शख्स ने प्रधान के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई...आरटीआई से उसके गुनाहों का राजफाश किया...होना तो ये चाहिए था कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेता...लेकिन हुआ कि अब प्रधान की हरकतों के खिलाफ गांव के लोगों ने पलयान का फैसला कर डाला...दरअसल प्रधान पर आरोप है कि उसने साजिशन आरटीआई डालने वाले को मुकदमे में फंसा दिया है...जिसके बाद पुलिस ने दबाव बनाना शुरू कर दिया।
विपक्ष के लिए बेशक ये एक मौका हो सकता है...लेकिन सरकार और आम आदमी के लिए ये बेहद फिक्र की बात है..फिक्र की बात इसलिए भी है कि...जिन पर अपराध रोकने का जिम्मा है...उनसे अपराधी नहीं डर रहे हैं, बल्कि आम लोग उनसे डर रहे हैं...अब सवाल ये है कि पढ़ाई में फिसले, अपराध में उछले तो यूपी कैसे बनेगा उत्तम प्रदेश? योगी की तमाम सख्ती के बावजूद आखिर कैसे बढ़ा अपराध का ग्राफ? सरकारी आंकड़ों की इस चुनौती से कैसे निपटेगी योगी सरकार?
अपराध को लेकर सत्ता या विपक्ष एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का खेल तो खूब खेलती हैं, कई बार अपराध के आंकड़े सत्ता में बदलाव तक करवा देते हैं। लेकिन हर पार्टी, हर सत्ता अपराध पर पूरी तरह नकेल कसने में नाकाम ही नजर आती है। NCRB के ताजा आंकड़े एक आईना हैं। इन आंकड़ों के बाद योगी सरकार को नए सिरे से सोचना होगा और समझना होगा कि आखिर उनकी तमाम सख्ती के बावजूद अपराध पर लगाम क्यों नहीं लग पा रही है। इस क्रम में सरकार को ये भी गंभीरता से देखना होगा कि जिस पुलिस अमले पर कानून का पालन करवाने की जिम्मेदारी है वो अमला कितनी ईमानदारी से अपना फर्ज निभा रहा है।