साल 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले विपक्ष को एकजुट करने के मकसद से तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने आज पटना में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से हुई मुलाकात में नई रणनीति पर चर्चा की है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या वाकई ऐसा कोई नया समीकरण बन रहा है और अगर ये मान भी लें कि वह बन जायेगा, तो क्या कोई गुल खिला भी पायेगा? क्योंकि फ़िलहाल तो विपक्ष के हर नेता की अपनी ढपली और अपना राग है.


हालांकि मोदी सरकार को चुनौती देने की कसरत कर रहे विपक्षी नेताओं ने इस मुलाकात को दक्षिण और उत्तर भारत की एकता का मिलन बताया है, लेकिन बीजेपी ने तंज कसा है कि दिन में सपना देखने वालों दो नेताओं की ये ऐसी मुलाकात है, जो अपने-अपने राज्य में जनाधार खो रहे हैं. उधर, मुंबई में एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने एक बार फिर विपक्षी एकता की वकालत करते हुए कहा है कि मोदी सरकार के खिलाफ सभी को एक साथ आना होगा. एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत सभी को एक साथ आने और मोदी सरकार का मुकाबला करने के बारे में सोचना चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत एक साथ चुनाव लड़ने पर विचार कर सकते हैं.


लेकिन सवाल फिर वही है कि शरद पवार के इस सुझाव को क्या समूचा विपक्ष इतनी आसानी से मान लेगा? इसलिये कि हर नेता की पीएम पद का उम्मीदवार बनने की अपनी महत्वाकांक्षा होने के साथ ही दूसरे दल से आपसी मतभेद भी हैं. तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी की कांग्रेस से खुंदक है, तो वामपंथी दलों को ममता का साथ पसंद नहीं है. दूसरी बात ये भी कि पीएम मोदी से मुकाबले के लिये चुनाव से काफी पहले ही संयुक्त विपक्ष को पीएम पद के लिए अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान करना होगा. 


वह कौन होगा और किस पार्टी से होगा, इस पर ही आम सहमति बनाने में विपक्ष को इतनी माथापच्ची करनी पड़ेगी कि उसके मतभेद उजागर होने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा. वह इसलिये कि इस पर कांग्रेस और टीएमसी तो दावा करेगी ही लेकिन अब नीतीश कुमार भी इस रेस में शामिल होते दिख रहे हैं. वे भले ही बयान देते रहें कि वे इस दौड़ में शामिल नहीं हैं लेकिन केसीआर से हुई उनकी इस मुलाकात को सियासी गलियारों में उसी तैयारी के रूप में देखा जा रहा है कि दक्षिणी राज्यों के विपक्षी दलों को भी उनके नाम पर ऐतराज नहीं है.


हालांकि विपक्ष की एकजुटता में आने वाली ऐसी तमाम अड़चनों की हक़ीक़त जाने बगैर उसके नेता तमाम तरह के दावे कर रहे हैं. जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता और बिहार विधान परिषद सदस्य नीरज कुमार ने कहा, ‘‘बीजेपी को हराने के लिए यह दक्षिण और उत्तर के बीच एकता होगी. केसीआर निस्संदेह दक्षिण के एक प्रमुख नेता हैं और बीजेपी के खिलाफ एक महत्वपूर्ण आवाज हैं. नीतीश कुमार में विपक्ष को नई उम्मीद नजर आ रही है. दोनों नेताओं के बीच बैठक का राष्ट्रीय असर होना तय है.”


वहीं आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने भी जेडीयू के सुर में सुर मिलाते हुए कहा, ‘‘केसीआर और नीतीश के बीच बैठक निश्चित रूप से महत्वपूर्ण है. विपक्ष के बीच एकता कायम करने में दोनों नेताओं की अहम भूमिका होगी. एनडीए से नीतीश का बाहर आना, हाल के दिनों में बीजेपी के लिए सबसे बड़ा झटका है.’’पार्टी के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने तो ऐलान ही कर दिया कि,‘‘2024 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी के बीच मुकाबला होगा.” 


उनका दावा है कि नीतीश के नाम पर विपक्ष के सभी दल सहमत होंगे. लेकिन बीजेपी ने साफ कर दिया कि ऐसी मुलाकातों से उसकी सियासी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है.पूर्व डिप्टी सीएम व बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने दोनों नेताओं की मुलाकात पर तंज कसते हुए कहा कि यह अपने-अपने राज्यों में जनाधार खो रहे हैं लेकिन इसके बावजूद दोनों नेता प्रधानमंत्री बनने की लालसा कर रहे हैं.मोदी के मुताबिक यह दिन में सपना देखने वाले दो नेताओं की मुलाकात है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने कहीं नहीं ठहरते.


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