पिछले कई दिनों से यूपी में नागरिकता कानून का मुद्दा सियासी गलियारों से लेकर सड़क तक हावी है। रोजमर्रा की जिंदगी पर इसका असर इंटरनेट सेवा और धारा 144 के तौर पर महसूस किया जा रहा है। प्रदेश के कई शहरों में विरोध के दौरान हुए बवाल से कई सवाल उठे, सरकार की तैयारियों को लेकर, विरोध में हिंसा से होने वाले नुकसान के साथ ही इसे हवा देने वालों को लेकर अब सरकार कह रही है कि इसके पीछे आतंकी संगठनों सिमी जैसे संगठन का हाथ होने से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। ये बात डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कही है।


इससे पहले सरकार इसका आरोप सपा नेताओं और दूसरे विपक्षी पार्टियों पर मढ़ती रही। जबकि विपक्ष इसका आरोप सरकार पर लगा रहा है। इसी माहौल के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने भी रविवार को कानून को लेकर काफी कुछ साफ कर दिया। जिसमें उन्होंने साफ कहा कि कानून नागरिकता देने के लिए है...नागरिकता लेने के लिए नहीं...और लोगों का व्यावहार कुछ इस तरह का है कि कौआ कान ले गया...लोग कौए के पीछे दौड़ रहे हैं...पीएम तो सीधे आरोप लगा रहे कि विपक्ष के साजिश ने विरोध को तांबे का रंग दिया है...यानी नासमझी में शुरु हुए विरोध को सोची समझी साजिश के तहत हवा दी गई...जिसका नतीजा कई शहरों में हिंसा के रूप में दिखाई दिया...


कांग्रेस लगातार सरकार को सीएए पर घेर रही है...वो भाजपा सरकार पर हमला कर रही है...इससे पहले प्रियंका बिजनौर भी जा चुकी हैं...जहां वो हिंसा में मारे गए शख्स सुलेमान के परिवार को सात्वंना दे आईं...उसी वक्त प्रियंका ने सरकार पर हमला बोलते हुए..कानून को गैर जरूरी बताया...सोमवार को तो पूरी कांग्रेस राजघाट पहुंच गई...संविधान बचाने के लिए...आपको सुनवाते हैं क्या हैं प्रियंका का आरोप...


दूसरे विपक्षी दलों की बात करें तो...पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी यूपी में हुई हिंसा पर भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया है... और कहा कि देश में संविधान से छेड़खानी की कोशिश हो रही है....देश में बेरोजगारी है, अर्थव्यवस्था का बुरा हाल है... ना महिलाएं सुरक्षित हैं.... उससे ध्यान भटकाने की कोशिश है।


उधर बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रदेश में हुई हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.. मायावती ने ट्वीट कर कहा है कि जैसा कि विदित है कि बीएसपी हिंसक प्रदर्शन आदि के हमेशा विरोध में रही है.. लेकिन पिछले कई दिनों से देश के अधिकांश भागों में और खासकर उत्तर प्रदेश में सीएए और एनआरसी के विरोध में हिंसक घटनाएं हुई हैं.. वो अति दुखद और दूर्भाग्यपूर्ण है.. किन्तु इस दौरान बिजनौर सहित दूसरे जिलों में जो लोग मारे गए हैं.. पार्टी इस दुख की घड़ी में उनके साथ खड़ी है.. और जो लोग गिरफ्तार किए गए हैं.. उनकी जांच पड़ताल करके निर्दोषों को जरूर छोड़ा जाए.. ये सरकार से मांग है और कानून भी वही कहता है..


ऐसे में सवाल उठता है...वोटबैंक की सियासत के लिए CAA के भ्रम का जाल फैलाया गया? और सवाल तो ये भी उठेगा न कि हिंसा में आतंकी कनेक्शन जैसा कि डिप्टी सीएम दावा कर रहे तो नागरिकों को नोटिस क्यों थमाया जा रहा है...और सवाल तो ये भी है कि हिंसा पर काबू पाने के लिए विपक्ष की खामोशी को क्यों न सियासी अवसरवाद माना जाए।