लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने 72 उम्मीद्वारों की सूची जारी की है. उसमें तीन पूर्व मुख्यमंत्री, 15 महिलाएं शामिल है. कुल मिलाकर भाजपा ने अभी तक 267 उम्मीद्वारों की सूची जारी कर दी है. अगर पूरे तौर पर देखे तो पार्टी ने बहुत से उम्मीद्वारों के परिर्वतन करने की अभी तक मानसिकता नहीं दिखाई है. दिल्ली को अपवाद में छोड़ दिया जाए तो बाकी अन्य जगहों पर मात्र काफी कम परिवर्तन किया गया है. दिल्ली में सात में से छह सीटों पर उम्मीद्वार बदले गए हैं. 267 प्रत्याशियों की सूची में से पांच पूर्व मुख्यमंत्री, और राज्यसभा में चुनकर आने वाले मंत्री हैं.
पीयूष गोयल भी उनमें से है. हालांकि अब महाराष्ट्र की सूची आ गई है तो उसमें नीतीन गडकरी का नाम है और पार्टी ने उन्हें नागपुर से प्रत्याशी बनाया है. 11 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 72 की सूची आई है. जिसमें 15 महिलाएं भी है. इस बार भाजपा ने 370 पार का नारा दिया है. अभी तक की सूची से ऐसा लगता है कि पार्टी ने मान लिया है कि उनके विरूद्ध विरोधी पार्टियों का रूझान नहीं है. ना तो सरकार के विरूद्ध रूझान है और ना ही मंत्रियों के विरूद्ध. इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली में काफी परिवर्तन किया गया है. दिल्ली में सीट के बदलाव के और भी कारण हो सकते हैं. भविष्य में होने वाले दिल्ली के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर भी भाजपा लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रही है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव के समय बदल सकता समीकरण
दिल्ली में अभी जिस तरह से आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में गठबंधन हुआ है. अगर शायद विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस की ओर से गठबंधन की जाए. अगर दिल्ली में छोटी पार्टी बनने को कांग्रेस तैयार हो गई तो दिल्ली में दोनों पार्टियों को फायदा हो सकता है. ऐसे में भाजपा पूरी तरह से सतर्क है. हालांकि अरविंद केजरीवाल ऐसे इंसान नहीं है कि वो अपनी राजनीतिक हितों की बलि चढ़ाकर कांग्रेस से समझौता करें और उसको मौका दें. क्योंकि उनको पता है कि वो बहुमत हासिल अकेले कर सकते हैं. दिल्ली में दोनों पार्टियों के मिलने के बाद भी वो भाजपा के वोट के आसपास कहीं नहीं पहुंचते हुए दिख रही. करीब इसमें 15-16 प्रतिशत का अंतर देखा जा सकता है.
लेकिन विधानसभा में दोनों पार्टियों के वोट ज्यादा है. तो भाजपा को उसमें दिक्कत हो सकते हैं. लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी का चेहरा है. कई राष्ट्रीय मुद्दे हैं. राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा और धारा 370 और अब नागरिकता संशोधन बिल आदि जैसे विषय हैं. लेकिन विधानसभा में ये सब बदल जाते हैं. अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा को ध्यान में रखकर ही लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी की जा रही है. उस प्रकार से बिजली और पानी के वायदे किए जा रहे हैं. इन सब मुद्दों को ध्यान में रखकर भाजपा ने नये चेहरों को मौका दिया है. ताकि आगे भी इन नए चेहरों के सहारे विधानसभा चुनाव में उतरा जा सके.
हरिद्वार के पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा उतर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरीवाल का टिकट कट गया है. अब वो केंद्रीय मंत्री नहीं है. उनके वजह से नए शिक्षा नीति को लागू करने में काफी देरी हो रही थी. बाद में उनको हटा दिया गया था, उससे माना जा रहा था कि पीएम उनके काम से खुश नहीं थे. मंत्रिमंडल से बाहर किया जाना और पार्टी में उनको कोई काम ना दिया जाने का मतलब था कि शीर्ष नेतृत्व को उनका काम पसंद नहीं आ रहा था.
कई लोगों को दी गई नई जिम्मेदारी
दूसरी ओर उतरांखड के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को चुनाव मैदान में उतार दिया है. अभी तीन दिन पहले हरियाणा में सीएम को इस्तीफा दिलवाकर नया सीएम चुनकर मनोहर लाल खट्टर को केंद्र में लाया जा रहा है. उनको करनाल से टिकट दी गई है. हरियाणा में ज्यादा समय तक कोई सीएम रहेगा तो आंतरिक कलह होना स्वभाविक है. इसको ध्यान में रखकर वहां नये मुख्यमंत्री और नये मंत्रिमंडल को पूरा काम करने को अवसर मिले, और मनोहर लाल खट्टर और उनके मंत्रिमंडल को लेकर पार्टी के अंदर को कलह की स्थिति बन रही थी, उसको न बने रहने देने को ध्यान में रखकर उनको इस्तीफा दिलवाया गया.
अगर उनके अंदर योग्यता है तो उसका भविष्य में उपयोग करना, उसी दृष्टि से मनोहर लाल खट्टर को केंद्र में लाया जा रहा है. सबसे मुख्य बात है कि पहली बार पीयूष गोयल उतर मुंबई से चुनाव लड़ रहे हैं. पूरे देश को याद है कि संसद के अंदर धुंआ बम छोड़े गए थे. प्रताप सिंहा जो मैसूर से सांसद थे, उनकी जगह यदुवीर कृष्णदत्त चामराज वाडियार को टिकट दिया है. प्रताप सिंहा पर आरोप लगे थे कि उनके विजिटिंग पास से आरोपी संसद में दाखिल हुए थे. स्मोग बम कांड के बाद पुलिस ने काफी पूछताछ प्रताप सिंहा से की गई थी. बीजेपी की इस बात पर काफी किरकिरी हुई थी. इससे भाजपा के छवि पर भी सवाल उठने लगे थे. इस बात को ध्यान में रखकर टिकट काटा गया है. अनुराग ठाकुर को हमीरपुर से,पकंजा मुंडे को महाराष्ट्र के सीट से उतरना आपेक्षीत था.
भाजपा ने छोड़ा पार्टियों को पीछे
भाजपा ने उम्मीद्वार की घोषणा के बाद ये सवाल उठता है कि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस पार्टी जो मुख्य रूप से विपक्ष पार्टी है. कोरोना के बाद से कांग्रेस के नेता राहुल गांधी नरेंद्र मोदी, आरएसएस और विभिन्न चीजों पर आरोप लगाते रहे हैं. अभी तक उम्मीद्वार की घोषणा नहीं कर पाए. ये तो बताता है कि ये तैयारी किस प्रकार की है. जिन राज्यों में गठबंधन है वहां पर तो बात समझ में आती है लेकिन जिन राज्यों में गठबंधन नहीं है वहां अकेले फैसला करना है वहां भी लेट हो रहा है. जिन राज्यों में गठबंधन है वहां भी फैसला अब तक हो जाना चाहिए था. तो उम्मीद्वार की घोषणा में भी भाजपा ने सबको पीछे छोड़ दिया है.
इससे पता चलता है कि बोलने में ही नहीं बल्कि चुनाव की रणनीतियों और तैयारियों में भी भाजपा अक्रामक रूख रखते हुए तैयारियां पूरी कर के रखी है. इसमें सभी पार्टियां पीछे छूट गई हैं. भाजपा की सूची में अभी तक ऐसा कोई नाम नहीं आया है, जिसमें भाजपा को शर्मिंदा होना पड़े और जवाब देना पड़े. जो एक समय में भाजपा के उम्मीद्वार पवन सिंह ने ट्वीट कर दिया था कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगे. लेकिन अब वो शायद आसनसोल से चुनाव लड़ने के मूड में है. भाजपा की एक समस्या जो थी उसका निदान अब हो गया है. अब आने वाले दिनों में बिहार के सीटों की घोषणा होनी है. सारी बातें हो चुकी है. यूपी में भी सभी सीटों पर सब ठीक है,कुछ उम्मीद्वार बदले जा सकते हैं. हालांकि आने वाले कुछ दिनों में सभी सीटों पर प्रत्याशियों के नाम सामने आ जाएंगे.