एक्सप्लोरर

यूपी चुनाव: जातिगत जनगणना न कराना, बीजेपी के लिए 'स्पीड ब्रेकर' तो नहीं बनेगा?

जाति के आधार पर जनगणना नहीं कराए जाने के मोदी सरकार के फैसले ने बिहार के साथ ही उस उत्तर प्रदेश की सियासत को भी और भड़का दिया है, जहां अगले पांच महीने के भीतर विधानसभा के चुनाव हैं. सियासी गलियारों में सिर्फ विपक्षी दल ही नहीं बल्कि सत्तारूढ़ पार्टी के नेता भी नहीं समझ पा रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट में ये हलफनामा देने की सलाह आखिर केंद्र सरकार को किसने दी?

यूपी बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी तो खुलकर ये वकालत कर चुके हैं कि जनगणना में पिछड़े वर्ग को भी शामिल किया जाए, ताकि ये पता लग सके कि देश के हर राज्य में ओबीसी की संख्या कितनी है, सो उसी हिसाब से उन्हें सामाजिक योजनाओं का फायदा मिल सके. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तो इस मुद्दे पर तमाम दलों के दस नेताओं को साथ लेकर प्रधानमंत्री मोदी से मिलने दिल्ली आ धमके थे. उस मुलाकात के बाद नीतीश ने कहा था कि " प्रधानमंत्री ने हमारी बात को बेहद गंभीरता से सुना है और उम्मीद है कि वे इस मांग को नामंजूर नहीं करेंगे."

बीजेपी के नेता ही उठा रहे सवाल
यूपी बीजेपी के नेता ही अब सवाल उठा रहे हैं कि  चुनाव से ऐन पहले ये फैसला लेने की आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी क्योंकि बीजेपी तो ओबीसी समुदाय को अपना एक मजबूत वोट बैंक माने बैठी है.इस आकलन को काफी हद तक सही इसलिये भी मान सकते हैं कि 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव और उसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी ओबीसी वर्ग का खासा समर्थन हासिल करने में कामयाब हुई थी.इसलिये पार्टी नेताओं की ये आशंका जायज है कि इससे पिछड़ा वर्ग बीजेपी से नाराज़ होगा और आगामी चुनाव में वो बीजेपी को सबक सिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा.

दरअसल, चुनाव से पहले लिया गया ये ऐसा फैसला है, जो बीजेपी को बैकफुट पर लाने और विपक्ष, खासकर समाजवादी पार्टी को और ज्यादा आक्रामक होने का मौका देगा. क्योंकि सपा नेता अखिलेश यादव पिछले कई महीने से जातिगत जनगणना कराये जाने का मुद्दा उठाते हुए पार्टी से छिटक गए ओबीसी वोट बैंक को दोबारा हासिल करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं.

'जातिगत जनगणना एक अहम फैसला'
हालांकि यूपी बीजेपी के एक नेता के मुताबिक "ये एक बेहद अहम व नीतिगत फैसला है, लिहाज़ा इसे सरकार के शीर्ष नेतृत्व के स्तर पर ही लिया गया होगा. लेकिन हैरानी की बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट में ऐसा हलफनामा अगर देना ही था, तो उसे किसी न किसी बहाने कुछ वक्त के लिए और टाला जा सकता था, ताकि चुनाव में पार्टी पर इसका प्रतिकूल असर न पड़े. अब इस नुकसान की भरपाई कैसे होगी, ये कोई नहीं बता सकता लेकिन इतना तय है कि हमारी सीटें पहले के मुकाबले कम हो जाएंगी और इस सच्चाई को स्वीकारना ही होगा.

'संघ ने खुलकर जाहिर नहीं की अपनी राय'
दरअसल,ये आम धारणा बन चुकी है कि बीजेपी सरकार (चाहे केंद्र हो या प्रदेश) की नीतियां तय करने और उसे प्रभावी रुप से लागू करवाने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की महत्वपूर्ण व निर्णायक भूमिका रहती है. लेकिन जातिगत जनगणना का मुद्दा एक ऐसा अपवाद है, जिस पर संघ ने कभी भी खुलकर अपनी राय सार्वजनिक नहीं करी कि इसे कराये जाने के क्या फायदे या नुकसान हो सकते हैं. आमतौर पर समाज के हर ज्वलंत मुद्दे पर मुखर होकर अपने विचार व्यक्त करने वाले संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी कभी इस मुद्दे पर नहीं बोला. लिहाज़ा, पार्टी नेता यही मानते हैं कि जिस विषय पर संघ की तरफ से कोई स्पष्ट राय या दिशा-निर्देश नहीं होता,उस पर सरकार में बैठे जिम्मेदार लोग स्वतंत्र रुप से अपना निर्णय लेते हैं और फिर संघ भी उसमें किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करता है.

'कुछ सीटों का हो सकता है नुकसान'
वैसे बीजेपी में ये सोच रखने वाले भी बहुत नेता हैं, जिनका मानना है कि इस फैसले के बावजूद ओबीसी वर्ग में पार्टी का जनाधार कम नहीं होने वाला है. उनकी दलील है कि विपक्ष तो पिछले कई साल से इसे मुद्दा बनाने में लगा हुआ है लेकिन न तो 2017 में और न ही 2019 में ये इतना बड़ा मुद्दा बन पाया कि बीजेपी को उससे नुकसान हो. हालांकि पार्टी के कुछेक नेता ऐसे भी हैं, जिन्हें लगता है कि ये फैसला दूरदृष्टि को ध्यान में रखकर लिया गया है, इसलिए वे किसी भी लिहाज से इसे गलत नहीं मानते.उनका मानना है कि बीजेपी की पहचान अन्य दलों से अलग सिर्फ इसीलिए ही है कि यहां संगठन ही सर्वोपरि है,कोई व्यक्ति नहीं. इसलिए राजनीति में कुछ अवसर ऐसे भी आते हैं, जब ऐसे निर्णय सिर्फ तात्कालिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि समूचे समाज के भविष्य के हितों को ध्यान में रखते हुए लिए जाते हैं. उनके मुताबिक एक राजनीतिक दल होने के नाते बीजेपी का लक्ष्य भी सत्ता पाना है लेकिन वह हमारे लिए समाज की सेवा करने का माध्यम है, न कि साधन जुटाने का. हो सकता है कि इस निर्णय के बाद आगामी चुनाव में कुछ सीटों पर नुकसान उठाना पड़े लेकिन सरकार बीजेपी की ही बनेगी.

बीजेपी नेताओं के दावे उनके आकलन के मुताबिक बेशक ठीक हो सकते हैं लेकिन हक़ीक़त तो यही है कि केंद्र सरकार के इस फैसले से यूपी की सियासत में एक ऐसा नया मोड़ आएगा,जो बीजेपी के लिए स्पीड ब्रेकर की शक्ल भी ले सकता है.अब देखना ये है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी पार्टी इससे कैसे पार पाती है.

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
Delhi Assembly Elections: BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
Axis My India Exit Poll 2024: मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
जब होटल में वरुण धवन ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए ऐसा क्या कर बैठे थे अनुष्का शर्मा के पति
जब होटल में वरुण ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए दिलचस्प किस्सा
ABP Premium

वीडियोज

America में अनमोल बिश्नोई की गिरफ्तारी, भारत लाने की तैयारी! | ABP NewsChitra Tripathi : ट्रंप की वजह से अदाणी टारगेट ? । Gautam Adani Case ।  Maharashtra Election'The Sabarmati report' पर सियासत तेज, फिल्मी है कहानी या सच की है जुबानी? | Bharat Ki BaatAdani Bribery Case: अदाणी पर अमेरिकी केस की इनसाइड स्टोरी! | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
Delhi Assembly Elections: BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
Axis My India Exit Poll 2024: मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
जब होटल में वरुण धवन ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए ऐसा क्या कर बैठे थे अनुष्का शर्मा के पति
जब होटल में वरुण ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए दिलचस्प किस्सा
Border Gavaskar Trophy: ट्रेनिंग में ही दो टी20 मैच खेल जाते हैं विराट कोहली, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले बड़ा खुलासा
ट्रेनिंग में ही दो टी20 मैच खेल जाते हैं विराट कोहली, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले बड़ा खुलासा
बुजुर्गों को अक्सर निमोनिया क्यों होता है? जानें इस गंभीर इंफेक्शन  के लक्षण और बचाव का तरीका
बुजुर्गों को अक्सर निमोनिया क्यों होता है? जानें इस गंभीर इंफेक्शन के लक्षण और बचाव का तरीका
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
10 मिनट स्पॉट जॉगिंग या 45 मिनट वॉक कौन सी है बेहतर, जानें इसके फायदे
10 मिनट स्पॉट जॉगिंग या 45 मिनट वॉक कौन सी है बेहतर, जानें इसके फायदे
Embed widget