क़रीब दो महीने पहले की बात है. भारतीय टीम इंग्लैंड दौरे के लिए रवाना हो रही थी. रवानगी से पहले कप्तान विराट कोहली ने कहा था कि इंग्लैंड में खेलना हमारे लिए ‘होम अवे होम’ जैसा है. इसका आशय ये था कि इंग्लैंड में भी उन्हें भारत जैसा ही महसूस होगा. कप्तान तो कप्तान कोच रवि शास्त्री ने भी बयानों में कहा कि कंडीशंस मायने नहीं रखती हैं. कुल मिलाकर दावों में ऐसे बातूनी पुल बाँधे गए थे जिससे लगा कि भारतीय टीम इंग्लैंड की पिचों पर खेलने के लिए मानसिक तौर पर पूरी तरह तैयार है.


टी-20 और वनडे सीरीज़ के दौरान उनके दावों का सही इम्तिहान हो नहीं पाया. लेकिन जैसे ही टेस्ट सीरीज़ शुरू हुई दावों की पोल खुल गई. लॉर्ड्स टेस्ट में भारतीय टीम पारी और 159 रनों से हार गई. क़रीब डेढ़ दिन का खेल बारिश से चौपट होने के बाद भी पाँचवे दिन की शक्ल नहीं देख पाया. ऐसा इसलिए क्योंकि भारतीय टीम दोनों पारियों को मिलाकर 82 ओवर ही बल्लेबाज़ी कर पाई. लॉर्ड्स टेस्ट में गेंदबाज़ी भी थोड़ी सुस्त नज़र आई.


बल्लेबाज़ी नाकाम, गेंदबाज़ी रही सुस्त


लॉर्ड्स टेस्ट में भारतीय बल्लेबाज़ी बेदम रही. दोनों ही पारियों में भारतीय बल्लेबाज़ों ने घुटने टेके. पहली पारी में 107 और दूसरी पारी में 130 रन बताते हैं कि भारतीय बल्लेबाज़ों की लॉर्ड्स में क्या दुर्गति हुई है. भारतीय बल्लेबाज़ों में सबसे ज्यादा 33 रन आर अश्विन ने बनाया.रोना इस बात का है कि इस बार भारतीय गेंदबाज़ भी पिच के मिज़ाज से गच्चा खा गए. जिस पिच पर इंग्लैंड के गेंदबाज़ों ने ज़बरदस्त प्रदर्शन किया उसी पिच पर भारतीय गेंदबाज़ फिसड्डी साबित हुए.


इंग्लैंड के बल्लेबाजों में खासकर बटलर और बेयरस्टो ने भारतीय गेंदबाज़ों की जमकर धुनाई की. बटलर ज्यादा देर तक टिके नहीं लेकिन उन्होंने ईशांत और हार्दिक पांड्या की लाइनलेंथ ही बिगाड़ दी थी. इसके


बाद क्रिस वोक्स ने तो कमाल की बल्लेबाज़ी की और शतक लगाया. बाद में हार्दिक तो जाने किस झोंक में ये भी कह गए कि जब वो लोग गेंदबाज़ी कर रहे थे तब गेंद ने स्विंग करना ही बंद कर दिया था. ये बात बेतुकी इसलिए लगती है क्योंकि सवाल स्विंग कराने की क़ाबिलियत का है पिच के मिज़ाज का नहीं. पिच के मिज़ाज का होता तो इंग्लिश गेंदबाज़ों की गेंदबाज़ी में इतनी धार नहीं दिखती.


इन आँकड़ों में ही छुपी है हार की कहानी


लॉर्ड्स टेस्ट के तीसरे दिन के खेल में दूसरे सेशन में क़रीब डेढ़ सौ रन बने. इस दौरान भारतीय गेंदबाज़ों को सिर्फ़ एक विकेट मिला. फिर चाय के बाद तीसरे सेशन में भी भारतीय गेंदबाज़ों को क़रीब सवा सौ रन देकर एक विकेट ही मिला. टेस्ट क्रिकेट के बारे में हमेशा कहा जाता है कि यहाँ जीत और हार का फ़ैसला सेशन दर सेशन होता है. इंग्लैंड के बल्लेबाज़ों ने शुरूआती झटके के बाद इन दो सेशन में शानदार बल्लेबाज़ी की, जिसका नतीजा मैच पर पड़ा. भारतीय टीम के सभी गेंदबाज़ों ने प्रति ओवर क़रीब चार से ज्यादा की औसत से रन दिए. जो दिखाता है कि इस टेस्ट मैच में पिच के मिज़ाज से मिलने वाली मदद का फ़ायदा सिर्फ़ एक टीम को मिला. सीरीज़ में हार बचाना अब बहुत मुश्किल है. बहुत ही मुश्किल.