ओड़िया अस्मिता और डबल इंजन की सरकार है भाजपा का मुद्दा, बीजद के भ्रष्टाचार और मोदी के सुशासन की होगी तुलना
![ओड़िया अस्मिता और डबल इंजन की सरकार है भाजपा का मुद्दा, बीजद के भ्रष्टाचार और मोदी के सुशासन की होगी तुलना Odiya identity and double engine government will be the core issues of election in Odisha ओड़िया अस्मिता और डबल इंजन की सरकार है भाजपा का मुद्दा, बीजद के भ्रष्टाचार और मोदी के सुशासन की होगी तुलना](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/03/24/eaa973d89f1cda08e7ff8d55c1c38bd31711267621370702_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी के साथ बीजू जनता दल का गठबंधन नहीं हुआ. काफी शोर था कि इस बार गठबंधन हो जाएगा. प्रधानमंत्री मोदी और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की मुलाकात से इन कयासों को और बल मिला, लेकिन आखिरकार दोनों पार्टियों की राहें जुदा ही रहीं. ओडिशा में लोकसभा के साथ ही विधानसभा के भी चुनाव होने हैं, इसलिए खास तौर पर इस गठबंधन पर सबकी नजर थी. बीजद के एक नेता ने तो हालांकि यह बयान भी दिया कि मोदी को तीसरी बार पीएम बनने और नवीन पटनायक को छठी बार सीएम बनने के लिए गठबंधन की जरूरत नहीं है. एक और गौर करने वाली बात यह है कि बीजद अक्सर ही क्रिटिकल मसलों पर भाजपा के समर्थन में खड़ी हो जाती है. इस वजह से भी दोनों दलों के रिश्तों को लेकर कई तरह की बात होने लगती है.
गठबंधन नहीं तो गम नहीं
बातें चल रही थीं. मीडिया और कुछ राजनीतिक गलियारों में गठबंधन की बातें तेजी से हो रही थीं. हालांकि, जो भी हुआ और उसका नतीजा क्या हुआ, वह सबके सामने है और गठबंधन नहीं हुआ. हम अकेले लड़ रहे हैं. विधानसभा की 147 और 21 लोकसभा की सीटों पर भाजपा अकेले लड़ रही है. हम हरेक सीट पर अपनी पूरी ताकत से लड़ रहे हैं. जब गठबंधन की बातें हो रही थीं, तो भी हम दो प्रमुख मुद्दों पर ही उनसे (यानी बीजद से) सहमत नहीं हो पा रहे थे और यह हमारे आधिकारिक बयान में भी आय़ा है. पहला मुद्दा ओड़िया अस्मिता का था और दूसरा डबल इंजन की सरकार का मसला था. पिछले पांच साल में या उसके पहले पांच सालों में जो बीजू जनता दल की सरकार है, उन्होंने केंद्र की योजनाओं को लागू करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी और केंद्र की योजनाओं का लाभ हमारे लोगों को नहीं मिल पाया. इसको लेकर हमने कई बार सवाल खड़े किए और इन प्रश्नों को लेकर हम जनता के पास भी गए कि यहां एक विरोधाभासी सरकार होने के कारण ही मोदीजी के सुशासन का सुफल उनको नहीं मिल पाया. और भी कई मुद्दे हैं. भ्रष्टाचार का मुद्दा था और कई मसले थे, जिन पर हमारा विरोध था.
अस्मिता का मुद्दा सबसे बड़ा
ओडिशा की अस्मिता का, उसके परिचय का, उसकी पहचान का जो मुद्दा है, वह भी हमारी नजरों में था. ओडिशा पहला ऐसा राज्य था जो भाषा के आधार पर बना. आज दुर्भाग्य की बात है कि इस सरकार के जो भी मुखिया या उप-मुखिया हैं, उनका ओडिशा की भाषा को लेकर, ओडिशा की संस्कृति को लेकर, परंपरा को लेकर, पहचान को लेकर कोई आग्रह नहीं है. नवीन पटनायक जो मुख्यमंत्री हैं, वे 25 साल के बाद भी ओड़िया नहीं बोल पाते, बोलते भी नहीं है. दूसरे, उनके जो प्रिंसपल सेक्रेटरी कार्तिकन पांड्यन हैं, और जिनको उत्तराधिकारी के नाते उनकी पार्टी देख रही है, वो मूलतः तमिलनाडु से हैं. इस प्रकार जो ओडिशा की अस्मिता को चोट पहुंचाने वाली बात है, उससे हम सहमत नहीं थे. ये सारे मुद्दे भाजपा के रहेंगे और हम इनको आगे लेकर ही चुनाव में आएंगे. भाजपा ने पहले ही अपनी परंपरा और संस्कार में एक बात कही है. हम कहते आए हैं कि राजनीतिक विरोधी हो सकते हैं, कोई व्यक्तिगत शत्रुता नहीं है. हमने हमेशा माना है कि विरोधियों पर भी कमर के नीचे वार नहीं करना है. अटल जी से लेकर आज तक हमने इस बात को शब्दशः माना है, गुना है. राजनीति में एक तरह का पारस्परिक सम्मान तो होना ही चाहिए, मिठास होनी ही चाहिए, लेकिन राजनीतिक विरोध और देशहित के मुद्दों को लेकर कोई समझौता नहीं होगा.
एक और बात स्टेट्समैनशिप की आती है. भाजपा ने एक से बढ़कर एक स्टेट्समैन दिए हैं. आज भी मोदी जी की जो प्रतिष्ठा है, जो सम्मान है, वह पूरी दुनिया देख रही है, पूरी दुनिया उसका सम्मान कर रही है. भाजपा पूरी शालीनता से लड़ती है और स्टेट्समैनशिप पर कोई भूल-चूक हमसे न हुई है, न आगे होगी.
ओडिशा में भाजपा मजबूत
यहां लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ ही होते हैं, इसलिए यहां प्रदेश और देश के स्तर के मुद्दे लगातार बने रहेंगे. ओडिशा की अस्मिता का सवाल, डबल इंजन की सरकार नहीं होने के कारण लोगों को लाभ नहीं मिलने का मुद्दा, महिलाओं पर अत्याचार के मुद्दे, भ्रष्टाचार के मुद्दे और मोदीजी का जो सुशासन और विकास का एजेंडा है, वह सब हमारे मुद्दे रहेंगे. हम इन सबके साथ जनता के बीच जाएंगे और उनका आशीर्वाद मांगेंगे. मोदी जी के 10 साल के सुफल को भी हम बताएंगे, जो सीधे जनता को केंद्र से मिला है. एक तरफ मोदीजी का सुशासन और दूसरी तरफ भ्रष्टाचार से घिरी और नारी-विरोधी सरकार की तुलना भी हम करेंगे और जनता को भी बताएंगे. हमें पूरी उम्मीद है कि इस बार जनता का आशीर्वाद हरेक स्तर पर हमें मिलेगा.
[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.
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