इस टेस्ट मैच में सबकुछ मनमाफिक चल रहा था लेकिन टीम इंडिया के लिहाज से शायद 10-15 ओवर की गड़बड़ हो गई. मैच के दूसरे दिन भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 6 ओवर बल्लेबाजी करने का मौका दिया यही 6 ओवर अगर 16 ओवर होते तो मजा आ जाता. ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने गिरते पड़ते आखिरकार छ ओवर तक अपना विकेट बचा लिया. यूं तो ऑस्ट्रेलिया की टीम अब भी भारत से 435 रन पीछे है लेकिन इस टेस्ट मैच में दूसरे दिन के आखिरी सेशन का सीधा असर मैच के नतीजे पर होगा.


थोड़ी देर के लिए सोचिए कि अगर ऑस्ट्रेलियाई टीम को 6 की बजाए 16 ओवर बल्लेबाजी करनी होती तो क्या होता. ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम फील्डिंग के बाद थकी हारी थी. उसके बल्लेबाजों के पैरों में वो ताकत अपेक्षाकृत कम थी जो अब मैच के तीसरे दिन होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि अब मैदान में उतरने से पहले उन्हें एक अच्छी नींद नसीब हो चुकी होगी. भारतीय गेंदबाजों के लिहाज से सोचें तो उन्होंने मेलबर्न टेस्ट के पहले दोनों दिन आराम ही किया था. वो बिल्कुल तरोताजा थे. इस बात का परिचय उन्होंने दूसरे दिन के आखिरी सेशन में 6 ओवर की गेंदबाजी में ही दे दिया. जब जसप्रीत बुमराह ने कंगारुओं के होश उड़ा रखे थे. तो आखिर चूक कहां हुई?


विराट कोहली ने की धीमी बल्लेबाजी


अमूमन टेस्ट क्रिकेट में एक दिन के खेल में सवा तीन सौ रन बनने चाहिए. मेलबर्न टेस्ट में टीम इंडिया को शुरूआत भी अच्छी मिली थी. पहली बार ऐसा हुआ जब सीरीज में टीम इंडिया का पहला विकेट लेने के लिए ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को करीब बीस ओवर तक पसीना बहाना पड़ा. लेकिन इसके बाद विराट कोहली समेत बाकि सभी बल्लेबाजों में ‘गेमप्लान’ की कमी दिखाई दी. चेतेश्वर पुजारा को छोड़ भी दें क्योंकि वो परंपरागत तौर पर ऐसी ही बल्लेबाजी करते हैं तो बाकि बल्लेबाज भी धीमी गति से खेले.


खुद कप्तान विराट कोहली ने सिर्फ 40.19 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए. विराट कोहली ने 82 रनों की पारी 204 गेंदों पर खेली. जो विराट कोहली के स्वाभाविक खेल का सही परिचय नहीं है. इसके बाद अजिंक्य रहाणे ने 76 गेंद पर 43 रन बनाए. ऋषभ पंत का तो खेल ही नहीं समझ आया. इंग्लैंड में जब कुछ देर क्रीज पर टिककर टेस्ट मैच बचाना था तो वो हवाई शॉट्स खेल रहे थे. मेलबर्न में जब थोड़े तेज रन चाहिए थे तो उन्होंने 76 गेंद पर 39 रन बनाए. या तो टीम मैनेजमेंट ने इस टेस्ट मैच के लिए कोई अलग रणनीति बनाई थी या फिर भारतीय बल्लेबाजों के पास कोई ‘गेमप्लान’ ही नहीं था. कुल मिलाकर सच्चाई ये है कि भारतीय टीम ने करीब दो दिन बल्लेबाजी करने के बाद स्कोरबोर्ड पर 443 रन जोड़े. जो संख्या में तो बहुत ज्यादा हैं लेकिन शायद काम ना आएं.


अब गेंदबाज ही दिला सकते हैं जीत


मेलबर्न टेस्ट में अब जीत दिलाने के लिए गेंदबाजों की तरफ निगाहें टिकी रहेंगी. बल्लेबाजों ने रन बनाने में जो देरी की है उसकी भरपाई गेंदबाजों को करनी होगी. यानि भारतीय गेंदबाजों को ऑस्ट्रेलिया के सिर्फ 10 विकेट ही नहीं लेने हैं बल्कि कोशिश करनी है कि वो ये काम जल्दी से जल्दी कर सकें. भारतीय टीम इस टेस्ट मैच में तीन तेज गेंदबाज और एक स्पिनर के साथ उतरी है.


तेज गेंदबाज के तौर पर जसप्रीत बुमराह, ईशांत शर्मा और मोहम्मद शामी हैं और स्पिनर हैं रवींद्र जडेजा. भारतीय टीम के पक्ष में एक बात जरूर है कि टेस्ट मैच की चौथी पारी में ऑस्ट्रेलिया को बल्लेबाजी करनी है. अगर भारतीय गेंदबाजों ने पहली पारी में ऑस्ट्रेलिया को जल्दी समेट दिया तो उसका मनोवैज्ञानिक फायदा चौथी पारी में भी मिलेगा. चौथी पारी में बल्लेबाजी का स्वाभाविक दबाव रहेगा ही. और तो और इस टेस्ट मैच में टीम इंडिया के पास रवींद्र जडेजा भी हैं. यूं तो टेस्ट मैच में अभी तीन दिन का खेल बाकि है लेकिन टेस्ट मैच का नतीजा किस करवट जाएगा ये बात तीसरे दिन पहले दो सेशन के खेल से साफ हो जाएगी.