बशीर बद्र साहब का एक मशहूर शेर है...
सियासत की अपनी अलग इक ज़बां हैं,
लिखा हो जो इक़रार, इनकार पढ़ना.
चिदंबरम ने गुजरात में कश्मीर पर क्या बात कर दी बीजेपी नेताओं ने इसे गुजरात का चुनावी मुद्दा ही बना दिया. सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने ट्वीट कर कहा कि पी चिदंबरम का अलगाववादियों और आजादी का समर्थन करना हैरान करने वाला है, हालांकि मैं आश्चर्यचकित नहीं हूं क्योंकि उनके नेता ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ नारे का समर्थन करते हैं. वही कांग्रेस बचाव की मुद्रा में आ गई और चिदंबरम के बयान से पल्ला झाड़ते हुए कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिंदबरम के बयान से खुद को अलग कर लिया और कहा कि किसी व्यक्ति की राय जरूरी नहीं कि वह पार्टी की राय हो.
यहां यह बताना जरूरी है कि गुजरात के राजकोट में चिदंबरम ने संवाददाताओं से कहा था कि, 'कश्मीर घाटी में अनुच्छेद 370 का अक्षरश: सम्मान करने की मांग की जाती है, जिसका मतलब है कि वे अधिक स्वायत्तता चाहते हैं. जम्मू कश्मीर में लोगों से बातचीत से मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि वे आजादी के लिए कहते हैं, मैं यह नहीं कह रहा कि सभी बल्कि ज्यादातर लोग, वे स्वायत्तता चाहते हैं.'
कांग्रेस के प्रमुख प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और हमेशा यह निर्विवाद रूप से बना रहेगा. साथ ही, उन्होंने चिदंबरम की टिप्पणी पर कहा कि किसी व्यक्ति का विचार जरूरी नहीं कि कांग्रेस का भी विचार हो. यह सही भी है कि किसी कि व्यक्तिगत राय पार्टी की राय नहीं हो सकती, ऐसे कई बयान बीजेपी नेताओं ने भी दिए हैं जिसके बाद पार्टी को यह कहना पड़ा कि वह बीजेपी का बयान नहीं है जो अब कांग्रेस कह रही है.
बीजेपी का मानना है कि भारतीय संविधान के इस प्रावधान ने घाटी के लोगों के बीच अलगाववादी मानसिकता को मज़बूत किया है. हालांकि यह बेहद दिलचस्प है कि एक ओर तो बीजेपी अलग-अलग अवसरों पर इस मसले को उछालती रही है, ख़ासकर चुनाव के दौरान. दूसरी ओर उसने इस मुद्दे पर साल 1998 से 1999 और फिर 1999 से 2004 के बीच अपने शासन के दौरान चुप्पी साधे रखी. जबकि पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी.नरसिंह राव ने नवम्बर 2015 में अफ्रिकी देश बुर्कीना फासो की यात्रा के दौरान राष्ट्र को संबोधित करते हुए जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर 1953 वाली स्थिति में ही बात करने को सरकार तैयार है यह कहा था. वही वर्तमान केंद्र सरकार का कहना है कि राज्य को 1953 से पहले की स्थिति में ले जाने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता. तब जम्मू कश्मीर में मुख्यमंत्री नहीं प्रधानमंत्री पद होता था. इसके अलावा कई महत्त्वपूर्ण विभाग राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते थे, जबकि केन्द्र के क्षेत्राधिकार में रक्षा, संचार और वित्त (मुद्रा) जैसे प्रमुख क्षेत्र थे.
लेकिन चिदंबरम के इस बयान से बीजेपी को गुजरात चुनाव में वोटों के ध्रुवीकरण करने का एक और मुद्दा मिल गया. बीजेपी ने 2013 के आम चुनावों में कश्मीर से धारा 370 खत्म करने की बात कही थी. लेकिन तीन साल बीतने के बाद भी इस पर केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार कुछ नहीं कर सकी है, जबकि राज्य में पीडीपी के साथ उनकी साझा सरकार है. हाल ही में केंद्र सरकार ने खुफिया ब्यूरो के पूर्व निदेशक दिनेश्वर शर्मा को जम्मू-कश्मीर में सभी संबंधित पक्षों के साथ बातचीत के लिए विशेष प्रतिनिधि नियुक्त किया. बीजेपी को इस ओर भी चिंतन की जरूरत है कि जम्मू-कश्मीर में आखिर किन मुद्दों पर बात कि जाएगी और किससे क्योंकि अलगाववादियों से अभी तक बीजेपी बात करने में अपनी नाक सिकोड़ती रही है.
लोकसभा चुनाव के दौरान सोनिया गांधी ने मोदी को मौत का सौदागर कहा था और इसे कांग्रेस पार्टी की ओर से आया बयान माना गया था जिसके बाद सियासी पारा चढ़ा और बीजेपी ने इसे चुनावी मुद्दा बना लिया था. जबकि यहां समझने की बात यह है कि चिदंबरम, सोनिया या राहुल गांधी नहीं है, जिनके बयान को कांग्रेस पार्टी का बयान कहा जाए, यहां सवाल यह भी है कि आखिर चिदंबरम को ऐसी क्या सूझी के उन्होनें राजकोट में कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दे पर ऐसा बयान दे दिया जिसकी आवश्यकता नहीं थी. लगता है कि शायद यह दिल्ली के सियासी गलियारों में चलने वाली उठापटक का ही एक हिस्सा हो.
लेकिन गुजरात चुनाव में स्थानीय मुद्दों को छोड़कर राष्ट्रीय मुद्दों पर बीजेपी जंग जीतना चाहती है क्योंकि तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के केन्द्र में जाने और प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात में बीजेपी के लिए एक वैक्यूम तैयार हो गया है, जिसे न आनंदी बेन भर पाई और न ही वर्तमान सीएम विजय रूपाणी ही. पटेल आरक्षण से लेकर गुजरात के व्यापारियों के बीच नोटबंदी और जीएसटी पर बीजेपी के पास जवाब देने को कुछ है नहीं, वही कांग्रेस लगातार गुजरात चुनाव में बीजेपी पर हावी होती दिख रही है. कुल मिलाकर देखा जाए तो गुजरात से जुड़े असल मुद्दों पर बीजेपी लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है, जिसके लिए वह चिदंबरम के जम्मू कश्मीर पर दिए बयान को हवा दे रही है.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)