पाकिस्तान: इमरान सरकार गिराने में क्या रहेगा चीन का रोल ?
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान एक बार फिर अपने राजनीतिक इतिहास को दोहराने के मुहाने पर आ खड़ा हुआ है. इमरान खान की सरकार का तख्तापलट करने की तैयारी लगभग हो चुकी है, लेकिन इस बार ये काम वहां की सेना नहीं बल्कि विपक्षी गठबंधन करने वाला है. सेना फिलहाल खामोशी से ये सियासी ड्रामा देख रही है, लेकिन पाकिस्तान का सियासी इतिहास बताता है कि वहां अब तक हुए तीन तख्तापलट को सेना ने ही अंजाम दिया है. इसलिए कोई नहीं जानता कि इमरान सरकार के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव पास होते ही सरकार की कमान विपक्ष के हाथ में होगी या फिर सेना का कब्ज़ा हो जाएगा? शुक्रवार को ही पाक प्रमुख जनरल बाजवा ने चीनी दूतावास के आला अफसरों से मुलाकात की है, इसलिए सवाल उठ रहा है कि चीन की इसमें क्या भूमिका रहने वाली है क्योंकि मौजूदा विपक्षी नेताओं के चीनी शासन के साथ रिश्ते कोई बहुत अच्छे नहीं बताए जाते हैं.
दरअसल, इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के लगभग दो दर्जन सांसद बागी हो चुके हैं, जो खुलकर विपक्ष के साथ जाने का दावा कर रहे हैं. इनमें से कई सांसदों ने अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले ही इस्लामाबाद के सिंध हाउस में शरण ले ली है. सिंध हाउस इस्लामाबाद में सिंध सूबे की सरकार का आधिकारिक भवन है. सिंध प्रांत में दिवंगत प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) की सरकार है. लिहाज़ा इमरान से बगावत करने वाले ये सांसद सिंध हाउस को खुद के लिए सबसे महफ़ूज मान रहे हैं. पाकिस्तानी न्यूज़ चैनल जियो न्यूज से बात करते हुए पीटीआई के बागी सांसद राजा रियाज और एमएनए मलिक नवाब शेर वसीर ने बताया है कि पीटीआई के करीब 24 सदस्य अभी सिंध हाउस में रह रहे हैं. उनका दावा है कि आने वाले दिनों में इमरान खान कैबिनेट के कई मंत्री और सांसद भी सिंध हाउस में आ सकते हैं. रियाज ने पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर से बात करते हुए कहा कि असंतुष्ट सदस्य अपने विवेक के अनुसार पीएम इमरान खान के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के लिए अपना वोट करेंगे. जबकि, रियाज ने दावा किया कि सिंध हाउस में 24 सदस्य रह रहे हैं. लेकिन हामिद मीर का दावा है कि उनकी गिनती के अनुसार, 20 पीटीआई सांसद वर्तमान में सिंध हाउस में मौजूद हैं.
दरअसल, इमरान को सरकार गिराने के लिए विपक्ष को महज 10 सांसदों की जरूरत है लेकिन जो खबरें आ रही हैं, उसके मुताबिक विपक्ष ने सत्तापक्ष के दोगुने सदस्यों को अपने पाले में ले लिया है. जाहिर है कि पाकिस्तान की सियासत में कोई भी काम पैसों के बगैर होना नामुमकिन है. इसलिए कहा जा रहा है कि इन बागियों को दोनों प्रमुख विपक्षी दलों ने इफ़रात में पैसा बांटा है. उधर, प्रधानमंत्र इमरान खान ने कहा है कि इस्लामाबाद के सिंध हाउस को खरीद-फरोख्त का केंद्र नहीं बनने दिया जाएगा. विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को फेल करने के लिए इमरान खान ने कैबिनेट की एक बैठक भी बुलाई. पाकिस्तान की नेशनल असेंबली का सत्र 21 मार्च को बुलाये जाने की उम्मीद है, जबकि अविश्वास प्रस्ताव पर 28 मार्च को चर्चा होने की संभावना है. लेकिन विपक्ष सोमवार को ही प्रस्ताव पर चर्चा कराने की जिद पर अड़ गया है. पीपीपी के नेता बिलावल भुट्टो ने धमकी दी है कि अगर 21 मार्च को प्रस्ताव पर चर्चा शुरू नहीं हुई, तो विपक्षी सदस्य सदन नहीं छोड़ेंगे और वहीं धरने पर बैठ जाएंगे.
हालांकि सेना के रुख को लेकर पाकिस्तान की संसद में विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने कहा है कि शक्तिशाली सैन्य प्रतिष्ठान देश में न तो मौजूदा राजनीतिक संकट में किसी का पक्ष ले रहा है और न ही प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का ही पक्ष ले रहा है. ‘समा टीवी’ के शो ‘नदीम मलिक लाइव’ में शुक्रवार रात शरीफ ने मौजूदा राजनीतिक हालात में सेना की भूमिका समेत कई मुद्दों पर खुलकर बात की है.
वे पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष और तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके नवाज शरीफ के छोटे भाई हैं. शरीफ ने कहा कि विपक्षी दल उन्हें अंतरिम प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं, लेकिन अंतिम फैसला पीएमएल-एन प्रमुख नवाज शरीफ द्वारा ही लिया जाएगा. पीएमएल-एन और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के लगभग सौ सांसदों ने आठ मार्च को नेशनल असेंबली सचिवालय के समक्ष ही यह अविश्वास प्रस्ताव पेश किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) नीत खान के नेतृत्व वाली सरकार देश में मौजूदा आर्थिक संकट और बढ़ती महंगाई के लिए जिम्मेदार है.
अब जरा पाकिस्तान की संसद के गणित पर गौर करते हैं. वहां कुल 342 सांसद हैं, जिसमें से इमरान के पक्ष में 176 सांसद हैं (3 का बाहर से समर्थन है यानी 179). इन 176 सांसदों में से पीटीआई के 155, एमक्यूएम (पी) के 7, पीएमएल (क्यू) के 5 और बीएपी के 5 सांसद हैं. पीटीआई के पास कुल 155 प्लस का गणित है. जबकि सहयोगी दल 21 है जिसको जोड़कर आंकड़ा फिलहाल बहुमत में है. सरकार में बने रहने के लिए 172 का आंकड़ा चाहिए. वहीं विपक्षी दलों के 162 सांसद हैं. अगर इमरान के करीबी या सहयोगी दलों के 10 सांसद भी उनके खिलाफ वोट देते हैं तो इमरान कजान किसी भी सूरत में अपनी कुर्सी नहीं बचा सकते.
सियासी इतिहास देखें,तो वहां अब तक इस मुल्क में तीन सैन्य तख्तापलट हो चुके हैं लेकिन नाकामयाब कोशिशें बहुत हुई हैं. पहला तख्तापलट 1958 में हुआ था,जब पाक के पहले राष्ट्रपति मेजर जनरल इस्कंदर मिर्जा ने संवैधानिक सभा और पीएम फिरोज खान नून की सरकार बर्खास्त कर दी थी. उन्होंने कमांडर इन चीफ जनरल अयूब खान को चीफ मार्शल लॉ एडमिनिस्ट्रेटर बनाया लेकिन महज़ 13 दिन बाद ही अयूब खान ने मिर्जा को अपदस्थ कर दिया और खुद राष्ट्रपति बन गए.
उसके बाद जनरल जिया उल हक ने 5 जुलाई, 1977 को बग़ैर किसी खूनखराबे के सैन्य तख्तापलट किया और जुल्फिकार अली भुट्टो को प्रधानमंत्री की कुर्सी से हटा दिया.जिया उल हक पाक के तीसरे सैन्य शासक बने, जिसने मार्शल लॉ लागू किया. लेकिन 22 साल बाद फिर इस मुल्क में फिर वही इतिहास दोहराया गया. 12 अक्टूबर 1999 में तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ के वफादार अफसरों ने उस वक्त पीएम रहे नवाज शरीफ और उनके मंत्रियों को गिरफ्तार कर लिया. शरीफ श्रीलंका से पाकिस्तान लौट रहे मुर्शरफ को आर्मी चीफ के पद से बर्खास्त करने की फिराक में थे. मुशर्रफ को इसकी भनक लग चुकी थी, सो शरीफ के पाक में उतरते ही उनकी सरकार का तख्तापलट कर मुशर्रफ ने पाकिस्तान की कमान अपने हाथ में ले ली थी? सवाल है कि क्या पाकिस्तान में इस बार भी वैसा ही इतिहास दोहराया जायेगा?
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)