अपने छोड़ रहे साथ, पार्टी पर लग सकता है बैन... जानें क्या होगा पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान का सियासी भविष्य

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान राजनीतिक लड़ाई में लगातार अकेले पड़ते जा रहे हैं. 9 मई को उनकी गिरफ्तारी और उनके पार्टी समर्थकों की तरफ से भारी दंगा के बाद अब उनके अपना लगातार साथ छोड़ते जा रहे हैं. इस लिस्ट में सबसे ताजा नाम है पूर्व केन्द्रीय मंत्री और इमरान खान के बेहद करीबी फवाद चौधरी का. इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआई) के करीब 3 दर्जन से ज्यादा नेताओं ने अब तक पार्टी को बाय-बाय बोलकर उनका साथ छोड़ दिया है. इधर, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी कह दिया है कि पीटीआई पर बैन की तैयारी चल रही है. ऐसे में पाकिस्तान में उपजे इस हालात के बाद सवाल उठ रहा है कि आखिर क्या होगा इमरान खान का राजनीतिक भविष्य और क्या पीटीआई पर बैन लगाया जा सकता है?
फिलहाल पाकिस्तान के हालात को देखकर ऐसा लग रहा है कि शाहबाज शरीफ की सरकार इमरान खान की पार्टी पीटीआई को बैन करने में लगी हुई है और इसकी तैयारी की जा रही है. पाकिस्तान सरकार की तरफ से ये कहा जा रहा है कि पार्लियामेंट में प्रस्ताव लेकर जाएंगे, उसके बाद ये काम करेंगे. क्योंकि पहली दफा सेना के प्रतिष्ठानों पर, उनके दफ्तरों पर इमरान खान के समर्थकों ने हमला किया है. उनके खिलाफ कार्रवाई चल रही है. सरकार का कहना है कि इसी घटना को लेकर इमरान खान की पार्टी को बैन करेंगे.
इमरान खान को सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद
इधर इमरान खान की पार्टी कह रही है कि वे इसके खिलाफ कोर्ट चले जाएंगे. जिस तरह के निर्णय पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट से आ रहे हैं, उससे लगता है कि चीफ जस्टिस की तरफ से फैसला इमरान खान के पक्ष में दिया जा रहा है. ऐसे में ये देखना है कि आगे क्या होता है. ऐसा भी नहीं है कि अगर बैन होता है तो इमरान खान के समर्थक चुपचाप बैठे रहेंगे. वे आंदोलन करेंगे. वे सरकार के कई प्रतिष्ठानों पर हमला भी कर रहे थे.
पाकिस्तान इस वक्त काफी गंभीर स्थिति में खड़ा है. उसकी जितनी क्राइसिस थी, वो चाहे राजनीतक हो या आर्थिक हो, सबकी हालत खराब है. पहली बार सेना के विरुद्ध जनता को ओपिनियन इमरान खान के समर्थकों ने जगाया है. इससे पहले राजनीतिक दलों के खिलाफ पब्लिक ओपिनियन बनता था लेकिन सेना के खिलाफ नहीं बनता था. ये 1971 में भी जब बांग्लादेश, पाकिस्तान से टूट गया था, उस वक्त भी लोगों ने ऐसा नहीं किया कि सेना के प्रतिष्ठानों पर हमला किया हो. अब की बार सेना से ऊपर भी प्रभाव पड़ रहा है. इसी वजह से ये देखना होगा कि सरकार ये सेना स्थिति को संभाल पाएगी या स्थिति ऐसे ही चलेगी.
बैन हो सकती है पीटीआई
पाकिस्तान सरकार इमरान खान की पार्टी को 9 मई की घटना को आधार बनाकर उसे बैन कर सकती है, ये कहकर कि इमरान खान के समर्थकों ने सेना के प्रतिष्ठानों और सरकारी संस्थानों पर हमला किया गया है. पहले जब इमरान खान सत्ता में आए थे उस वक्त उन्हें सेना का सपोर्ट था. कई लोग तो यहां तक कहते थे कि इमरान खान को सेना ने ही आगे बढ़ाया है. अब इमरान खान सेना से लड़ रहे हैं. ऐसे में सेना के खिलाफ जाने से कई ऐसे लोग जो इनके साथ थे, वे इमरान खान का साथ छोड़कर जा रहे हैं. वे लोग नहीं चाहते हैं कि ऐसे माहौल में सेना के साथ लड़ाई हो जाए.
चूंकि, इमरान खान ने कहा कि अगर उनकी पार्टी पर बैन लगाया जाता है तो वे इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे. अभी तक सुप्रीम कोर्ट ने जितने भी निर्णय इमरान खान के मामले में दिया, जैसे गिरफ्तारी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें छोड़ दिया. भ्रष्टाचार के बाकी जो भी मामले चल रहे थे उसमें भी इमरान खान को राहत दे दी. ऐसे में ये संभव है कि सुप्रीम कोर्ट इमरान खान का ही पक्ष ले. ऐसे में उनकी पार्टी पर बैन लागू कैसे होगा.
पहली बात तो ये कि इमरान खान की पार्टी के खिलाफ बैन का प्रस्ताव संसद में पास होगा भी या नहीं. दूसरा ये कि इमरान खान सुप्रीम कोर्ट में जाते भी है या नहीं. तीसरा ये कि कोर्ट का निर्णय क्या होता है. अगर वे सरकार के पक्ष में जाता है तब तो कोई बात नहीं, लेकिन अगर सरकार के पक्ष में कोर्ट का फैसला नहीं जाता है तो फिर तनाव बना रहेगा.
इमरान खान को मिल रहा समर्थन
हालांकि, सवाल ये भी है कि अगर पार्टी पर बैन लगने के बाद इमरान खान का क्या वजूद रह जाएगा? लेकिन इमरान खान को अभी जनता का पंजाब और नॉर्थ-वेस्ट फ्रंटियर में काफी समर्थन मिल रहा है. अब ये देखना पड़ेगा कि इतने लोगों के पीटीआई छोड़ने से वो ठंडा पड़ेगा या नहीं, क्योंकि जो जनता का समर्थन मिल रहा है, वो इमरान खान को ही मिल रहा है. बाकी जिन नेताओं ने पार्टी छोड़ी है, उन नेताओं के खिलाफ इतना बड़ा आधार नहीं है.
इमरान खान जिस तरह से हिंसा का रास्ता अपना रहे हैं वो चाहे देश हो या फिर सेना के खिलाफ हो, ऐसे में शाहबाज सरकार कड़े कदम उठाने को मजबूर होना पड़ रहा है. इमरान खान तो कहते हैं कि चुनाव में आइये. लेकिन शाहबाज शरीफ नहीं चाहते कि चुनाव हो, क्योंकि इससे इमरान को फायदा होगा. ऐसे में ज्यादा संभव ये है कि पाकिस्तान में चुनाव फिलहाल टल जाए. अगर चुनाव टालते हैं और उसके बाद इमरान खान समर्थक हिंसा का रास्ता अपनाते हैं तो फिर पाकिस्तान के लिए तो मुश्किल वाले हालात पैदा हो जाएंगे. दूसरी तरफ सेना भी चाहती है कि कोई भी पार्टी सेना को चुनौती न दे. इसलिए सेना इमरान खान को काबू में लाने के लिए पूरी कोशिश करेगी.
[ये आर्टिकल निजी विचारों पर आधारित है.]
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