आतंकवाद की खेती करने वाला पाकिस्तान आखिर इतनी जल्द कैसे हो गया दिवालिया?
बेतहाशा आर्थिक तंगी की मार झेल रही पाकिस्तान की हुकूमत ने बेशक खामोशी ओढ़ रखी हो लेकिन मुल्क के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने ऐलानिया तौर पर कह दिया है कि पाकिस्तान दिवालिया हो चुका है. शहबाज शरीफ सरकार के एक दिग्गज मंत्री द्वारा मुल्क के कंगाल होने के इस कबूलनामे के जिगरे की तारीफ इसलिए की जानी चाहिए कि उन्होंने चिकनी-चुपड़ी बातों के जरिये अपने अवाम से हकीकत को छुपाने का कोई सियासी हथकंडा नहीं अपनाया.
उन्होंने अपनी ही सरकार को आगाह करते हुए ये भी कहा है कि मुल्क की समस्या का हल इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड यानी IMF के पास नहीं है, बल्कि मुल्क के भीतर ही है और अब पाकिस्तान को अपने पैरों पर खड़ा होने की जरूरत है. उनकी बातों से साफ है कि वे अपनी सरकार को कर्ज और भीख मांगने से रोक रहे हैं. लेकिन सवाल उठता है कि फिर इस मर्ज की ऐसी कौन-सी दवा है, जो मुल्क को कंगाली के दलदल से बाहर निकाल सके?
हालांकि रक्षा मंत्री आसिफ़ ने मुल्क को इस बदतर हालत से कुछ हद तक बाहर निकालने के लिए एक अच्छा सुझाव दिया है लेकिन सवाल यही है कि शरीफ सरकार क्या उसे मानेगी? पाकिस्तानी न्यूज चैनल समा टीवी को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि आईएमएफ से कड़ी शर्तों पर कर्ज लेने से देश का भला नहीं होगा. इसकी बजाय सरकार देश में कीमती जमीन पर बने सिर्फ दो गोल्फ क्लब ही बेच दे, तो उससे मिलने वाली रकम से ही देश का एक चौथाई कर्ज चुकाया जा सकेगा. इससे देश की आर्थिक स्थिति में सुधार आ जाएगा.
गौरतलब है कि वहां गोल्फ क्लब सरकारी जमीनों पर ही बनाए गए थे. वैसे तो आसिफ सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के वरिष्ठ नेता हैं और उनकी राय काफी मायने भी रखती है लेकिन दिक्कत यही है कि क्या सरकार कीमती जमीन बेचने का मोह छोड़ पाएगी. हालांकि उन्होंने मुल्क की इस बदहाली के लिए पिछली इमरान खान की सरकार को कसूरवार ठहराते हुए कहा है कि उसकी नीतियों के कारण ही आतंकवाद को जड़ें जमाने का मौका मिला जिसकी सजा देश अब भुगत रहा है.
दरअसल, आसिफ का यह बयान ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान को IMF से मिलने वाले $7 बिलियन डॉलर के राहत पैकेज की उम्मीद अब ना के बराबर है. उन्होंने सियालकोट में एक रैली के दौरान कहा कि पाकिस्तान पहले ही डिफॉल्ट हो चुका है. अब इस आर्थिक संकट के लिए राजनेताओं और नौकरशाही को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.
गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर महज़ 2.91 बिलियन डॉलर रह गया था, जिससे वह सिर्फ अगले दो हफ्ते के लिए ही विदेश से सामान खरीद सकता है. लेकिन लगता है कि पाकिस्तान को IMF से कर्ज मिलने की आखिरी उम्मीद भी अब टूट गई है. इसकी बड़ी वजह है कि लगातार 10 दिन तक चली मीटिंग के बाद IMF की टीम बिना कर्ज दिए वापस लौट गई है. बीती 31 जनवरी को नाथन पोर्टर की अगुवाई में IMF की एक टीम पाकिस्तान आई थी, जिसने वित्त मंत्री इशाक डार के साथ दो चरणों में 9 फरवरी तक लंबी बैठकें की थीं.
चूंकि पाकिस्तान बेलआउट पैकेज के तहत IMF से कर्ज की मांग कर रहा था, इसलिए अंतराष्ट्रीय संगठन ने जमीनी हक़ीक़त जानने के लिए ही वहां अपनी टीम भेजी थी. दरअसल, 2019 में इमरान खान की सरकार के रहते IMF ने पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज के तहत 6 बिलियन डॉलर से ज्यादा की मदद देने का वादा किया था. अब इसी वादे के तहत पाकिस्तान IMF से 1.1 बिलियन डॉलर की एक और किस्त मांग रहा है. लेकिन 10 दिनों तक चली मैराथन बैठक बेनतीजा रही और IMF की टीम कर्ज देने पर कोई फैसला लिए बगैर ही लौट गई.
पाक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक IMF ने एक बार फिर से पाकिस्तान को MEFP नाम का मेमोरेंडम देने से इनकार कर दिया है. ये वो मेमोरेंडम है जिसके हाथ लगते ही पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज मिल जाएगा. लेकिन IMF चाहता है कि पहले पाकिस्तान सरकार अपनी अर्थव्यवस्था को बेहतर करने के लिए उसकी शर्तों को माने.
बताया गया है कि IMF ने पाकिस्तान सरकार के सामने कर्ज देने के लिए मुख्य तौर पर तीन तरह की शर्तें रखी हैं. पहली ये कि IMF का कहना है कि पाकिस्तान पहले से ही 900 अरब डॉलर सर्कुलर कर्ज का सामना कर रहा है. ऐसे में, अगर अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए पाकिस्तान सरकार अभी कोई कड़ा फैसला नहीं लेती है तो इससे पार पाने में आगे काफी मुश्किल होगी. लिहाजा, पाकिस्तान की जनता से अलग-अलग टैक्स के जरिए 170 अरब रुपये वसूलने की सलाह दी गई है.
दूसरी शर्त ये है कि पाकिस्तान अपनी इकोनॉमी को बेहतर करने के लिए सामानों के निर्यात पर लगने वाले टैक्स में छूट दे. इससे घरेलू निर्यात में तेजी आएगी, जिससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी.
तीसरी शर्त ये रखी गई है कि पाकिस्तान अपने विदेशी मुद्रा भंडार में किसी भी सूरत में अमेरिकी डॉलर की कमी नहीं होने दे. इसके लिए सऊदी अरब, चीन और UAE से मदद मांगने के लिए दबाव बनाया जा रहा है.
हालांकि मुल्क की बदहाली के लिए रक्षा मंत्री आसिफ़ ने सेना, नौकरशाही और राजनीतिक नेताओं समेत हर किसी को जिम्मेदार ठहराया है क्योंकि पाकिस्तान में कानून और संविधान का पालन नहीं किया जाता. तत्कालीन इमरान खान सरकार पर हमलावर रुख अपनाते हुए उन्होंने ये भी कहा कि ढाई साल पहले पाकिस्तान में आतंकवादी लाए गए थे, जिसके परिणामस्वरूप आतंकवाद की मौजूदा लहर चली और अब वे ताबड़तोड़ हमले कर रहे हैं. उन्होंने यहां तक कहा कि इमरान खान ने ऐसा खेल ईजाद किया है कि अब आतंकवाद पाकिस्तान की नियति बन गया है.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)