तोशखाना मामले में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री की गिरफ्तारी के बावजूद उनके समर्थकों की तरफ से पुलिस का जोरदार विरोध किया गया. वे पुलिस से भिड़ गए और इस घटना में हिंसा की खबर है. मैं ये देख रहा हूं कि पाकिस्तान लगातार संकट से जूझता जा रहा है. एक के बाद एक उसके ऊपर मुसीबत आती जा रही है.  हमने देखा कि किस तरह आर्थिक संकट पाकिस्तान में बहुत पहले पैदा हो गया. इसके बाद महंगाई आसमान छू रही है. विदेशी मुद्रा घटकर काफी कम रह गई है. निवेश कुछ हो नहीं रहा है. निर्यात भी नहीं बढ़ रहे हैं. इन सब कारणों के चलते पूरे देश में अराजकता फैल रही है.


हर चीज की पाकिस्तान में तंगी और कमी है, न बिजली है और न ही ईंधन है. पहले तो पाकिस्तान ने कोरोना क्राइसिस को ठीक ढंग से हैंडल नहीं किया और उसके बाद वहां पर बाढ़ आ गई और इससे काफी तबाही हुई. अब पिछले करीब एक साल से जो यूक्रेन-रूस के बीच विवाद चल रहा है, इस सब वजहों से पाकिस्तान में आर्थिक स्थिति काफी खराब हो चुकी है.



पाकिस्तान का बढ़ा संकट


पाकिस्तान की जो नीतियां हैं वो बिल्कुल भी अच्छी नहीं हैं. वे उन लोगों को सब्सिडी देते हैं जिनके पास काफी भूमि है या फिर वो काफी पैसे वाले हैं, जो प्रभावी है उन लोगों के लिए. आम आदमी के लिए वहां पर ठीक नीतियां नहीं हैं. इस वजह से आर्थिक तौर पर पाकिस्तान के हालात तो काफी खराब हो चुके हैं. उसके बाद अब ये जो राजनीतिक संकट है, वो पहले के मुकाबले और ज्यादा बिगड़ चुका है.


इमरान खान के ऊपर बहुत से आरोप हैं. हमें पता है कि पिछले साल उनको जिस वक्त सत्ता छोड़नी पड़ी थी तो उन्होंने कितना ड्रामा किया था. इसके बाद बिल्कुल उनको सत्ता से धकेल कर एक तरह से निकाला गया था. किसी भी डेमोक्रेसी में जब वो दल अपना बहुमत खो देता है तो आदर्श स्थिति ये होती है कि वे अपना इस्तीफा दे दें. लेकिन इमरान खान ने ऐसा कुछ नहीं किया और ये बात बताते रहे कि ये सब बाहर का षडयंत्र है. अमेरिका की साजिश है, ताकि वे सत्ता से बाहर निकालना चाहते हैं. इमरान ने कहा कि जो विपक्षी दल के नेता हैं, चाहे वो शाहबाज शरीफ हो या फिर बिलावल भुट्टो हो, ये सब मिले हुए हैं.


सत्ता जाने के बाद बढ़ी इमरान की पॉपुलरिटी


पाकिस्तान में राजनीतिक संकट बहुत ज्यादा हो गया है. जब से इमरान खान की सत्ता गई है, उनकी वहां पर लोकप्रियता में काफी इजाफा हुआ है. उन्होंने काफी विरोध प्रदर्शन किया है. इस बीच, उनके खिलाफ ताजा वारंट निकला है. उन्होंने इससे पहले ये जज को धमकी दी थी कि देख लेंगे. इसके अलावा, तोशखाना मामले पर उनके खिलाफ केस चल रहा है. आरोप है कि जो बेशकीमती उपहार मिले उसे उन्होंने काफी कम पैसे में खरीदा और फिर काफी पैसे में उन्हें बेचा गया.


ऐसे में इमरान खान के खिलाफ भ्रष्टाचार के चार्जेज भी हैं और जज को धमकी देने का मामला भी है. इसके अलावा इमरान खान ने गिरफ्तारी वारंट के बाद आवाम से कहा कि उनकी हत्या कराई जा सकती है. वो ये नैरेटिव बनाने का प्रयास कर रहे हैं. इसके अलावा, अपने समर्थकों को और भड़का रहे हैं.  


वे समर्थकों से ये कह रहे हैं कि पुलिस मुझे गिरफ्तार करने आई तो आप उनके खिलाफ भिड़ते रहिए. वो चाहते हैं कि पूरा आवाम सड़कों पर निकल आए, इमरान के सारे समर्थक सड़कों पर निकल आए और उनकी गिरफ्तारी न होने दे. इसलिए इमरान खान देश की जनता से ये कह रहे हैं कि मुझे यहां से अगवा किया जाएगा. मुझे तो हत्या करने के लिए ले जा रहे हैं, ताकि वहां पर समर्थकों में इस बात को लेकर और ज्यादा बौखलाहट आए और वे सभी पुलिस के विरुद्ध काम करे.


सड़कों पर हो रहा पथराव


यही पाकिस्तान में हम देख रहे हैं. सड़कों पर पथराव हो रहा है. पुलिस की गाड़ियों के ऊपर पथराव किया जा रहा है. हमें मालूम है कि जिस वक्त प्रदर्शन हो रहा था उस समय इमरान खान के ऊपर गोली भी चलाई गई थी और हमला भी किया गया था. इसलिए इमरान खान के कहने में थोड़ी सी वास्तविकता भी आ जाती है.
लेकिन, फिर भी वे अपने समर्थकों को लगातार भड़का रहे हैं, ताकि वे सभी सड़कों पर आ जाएं. हालांकि, इनमें दो चीजें हैं. एक बात जरूर ये है कि इमरान खान काफी पॉपुलर है. अभी जब चुनाव हुए थे 10 सीट पर तो उन्होंने सभी सीटों पर जीत हासिल की थी.


लेकिन हमने ये देखा कि जब इमरान खान ने आवाज उठाई और लोगों से कहा कि सड़कों पर आईये और हमारी मदद करिए, तो इतनी ज्यादा संख्या में लोग नहीं है. हो सकता है कि लोग समझते हो. महज कुछ सैकड़ों में ही लोग सड़कों पर उतरे.


लेकिन, जिस तरह का हुजूम प्रदर्शन और रैलियों के दौरान था वो नहीं आया. इसके कारण भी है कि वहां के हालात काफी खराब हो चुके हैं. लोग अपनी समस्याओं में ही उलझे हुए हैं. उनके पास न तो समय है और न ही ऊर्जा और फोकस है कि सड़कों पर आकर इमरान खान की अपील पर प्रद्रशन कर पुलिस से भिड़ें.
 
इमरान ने कानून-फौज को दिखाया ठेंगा


पाकिस्तान में अभी तक ऐसा नहीं था कि कोई कानून और फौज को ठेंगा दिखा पाए. वहां पर फौज की इजाजत के बिना पत्ता तक नहीं हिलता था. लेकिन, अब अगर देखा जाए तो फौज की जो रेपुटेशन है, वो काफी कम हो चुका है. आपको याद होगा जब नवाज शरीफ को निकाला गया था और इमरान खान को लाया गया था और प्रधानमंत्री बनाया गया था.


इमरान खान इसीलिए प्रधानमंत्री बने क्योंकि उनको पूरा आर्मी का समर्थन हासिल था. पाकिस्तान में आर्मी पिछले 70-75 साल से जिसको चाहती है उसको सत्ता देती है, और जिसका चाहती है सत्ता से निकालती है. परंतु, अभी एस्टेबलिशमेंट, आर्मी या सरकार की पकड़ काफी कमजोर हो चुकी है.


ऐसे में जरूर इमरान खान ने फौज और कानून दोनों को चुनौती दी है. पूर्व आर्मी चीफ कमर बाजवा के खिलाफ तो इमरान खान काफी बोलते रहे. पाकिस्तान में किसी भी प्रधानमंत्री ने ऐसी चुनौती इमरान खान की तरह नहीं दी. केवल नवाज शरीफ जब लंदन में बैठे थे तो उन्होंने भी कमर जावेद बाजवा को चुनौती दी थी. लेकिन ये आर्मी की अक्षमता को दर्शाता है कि जिस शख्स को लेकर आए उसे महज दो-ढाई साल में ही सत्ता से बाहर निकालने पर अमादा हो गई. फौज पूरी तरह से इमरान खान के खिलाफ हो गई. ये सभी चीजें मिलकर पाकिस्तान को इस हालात पर लाकर खड़ा कर दिया है.
 


[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये आर्टिकल पूर्व राजनयिक अशोक सज्जनहार से बातचीत पर आधारित है.]