शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन में जिस तरह से आतंकवाद के मसले पर पीएम मोदी ने पाकिस्तान पर बिना नाम लिए प्रहार किया है और दुनिया को ये भरोसा दिलाया है कि आतंकवाद के मसले पर भारत का ये रुख सिर्फ खुद की सुरक्षा के लिए चिंता का सबब नहीं बल्कि दुनिया के दूसरे मुल्कों के साथ ही इंसानियत के लिए भी है। इस पर अंतर्राष्ट्रीय सहमति पहले भी रही है और आज एक नया मुकाम छुआ है, जिसने हिंदुस्तान का न केवल कद ऊंचा किया है बल्कि पाकिस्तानी फिदायीन कूटनीति का चेहरा भी उजागर कर दिया है। जिसमें पाकिस्तान सिर्फ मौकापरस्ती या अपनी जरूरतों के मद्देनज़र आतंकवाद जैसे नासूर के खिलाफ राग अलापता रहा है।


छिटपुट कार्रवाईयों का हवाला देकर ढोल पीटता रहा है और दुनिया से हमदर्दी हासिल करने की नाकाम कोशिश करता रहा है। ज़ाहिर है मोदी के विदेश दौरों को लेकर उठने वाले सवालों का इससे असरदार जवाब कोई नहीं हो सकता कि वैश्विक मंच पर भारत की धमक लगातार बढ़ी है। ऐसे में सवाल उठते हैं कि


1 - आतंक पर पाकिस्तान की फिदायीन कूटनीति उसपर ही भारी पड़ रही है ?
2 - क्या भारत की कूटनीति से वैश्विक मंच पर पाकिस्तान अकेला पड़ चुका है ?
3 - मोदी के एक्शन और विजन से दुनिया में भारत की साख बढ़ गई है ?


किर्गीस्तान में शनिवार को वही हुआ जिसकी संभावना पहले से ही जताई जा रही थी। बिश्केक में चल रहे शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वही किया, जिसकी उम्मीदें उनसे करोड़ों देशवासियों ने लगा रखी थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार दुनिया के सामने आतंक के पोषक पाकिस्तान को उसकी करतूतों के लिए बगले झांकने पर मजबूर कर दिया। एससीओ की बैठक में अपने संबोधन के दौरान मोदी ने साफ कर दिया कि एससीओ का लक्ष्य पूरा करने के लिए ज़रूरी है कि आतंकवाद के खिलाफ सभी देश एकजुट हो सकें। जिस वक्त प्रधानमंत्री मोदी एससीओ को संबोधित कर रहे थे उस वक्त इमरान खान और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग भी मौजूद थे। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इशारों में साफ कर दिया कि क्षेत्र में आतंक का निर्यात करने वाले देश के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जरूरी हो चुकी है।


बिश्केक की बैठक से पहले इमरान खान ने दुनिया को दिखाने के लिए भारत से संबंध सुधार की कई कोशिशें की लेकिन आतंकवाद के खिलाफ भारत के सख्त रुख के चलते अब पाकिस्तान की पोल पूरी तरह खुल चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीति के चलते अब पाकिस्तान को शह देने वाला चीन भी आतंक के मुद्दे पर खुद को उससे दूर दिखाने लगा है। जिसकी हालिया मिसाल है आतंकी मसूद अजहर का वैश्विक आतंकी घोषित होना, जिसे रोकने के लिए वीटो लगाने वाले चीन को भी अंदाजा हो गया है कि आतंक के मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन अब उसके लिए भी मुश्किल होने वाला है।


नरेंद्र मोदी ने काफी पहले ही पाकिस्तान को साफ कर दिया था कि दहशतगर्दी और शांतिवार्ता एक साथ नहीं चल सकती। इसी का असर है कि आतंकवाद पर पाकिस्तान के दोहरे चरित्र की नीति से परेशान अमेरिका ने भी आर्थिक मदद पर रोक लगा रखी है। लेकिन अब प्रधानमंत्री मोदी गृहमंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के जरिये पाकिस्तान को चौतरफा घेरने की तैयारी में हैं।


आतंकवाद के खिलाफ भारत की वैश्विक मुहिम का असर अब दुनियभार में दिखने लगा है। आतंकवाद के मुद्दे पर दोहरा मापदंड अपनाते रहे अमेरिका और चीन जैसे देश भी, अब भारत की कूटनीति से ये मानने को मजबूर हुए हैं कि आतंकवाद सिर्फ किसी एक देश की समस्या नहीं बल्कि ये वैश्विक चुनौती है। दहशतगर्दी को शह देने वाला पाकिस्तान खुद को आतंकवाद पीड़ित बताकर दुनिया को अब और धोखा नहीं दे सकता, साथ ही मानवता के सबसे बड़े शत्रु बन चुके आतंकवाद का फन कुचलना सिर्फ भारत और उसके जैसे आतंकवाद पीड़ित देशों ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की जिम्मेदारी है।