दुनिया का महान सम्राट कहलाने वाले सिकंदर के गुरु और प्लेटो का शागिर्द माने जाने वाले यूनान के मशहूर दार्शनिक अरस्तू ने सदियों पहले इस दुनिया को एक नुस्खा दिया था.अरस्तू ने कहा था- "अगर आप खुद को किसी एक हुनर का बादशाह समझते हैं,तो दूसरे हुनर में अपनी तकदीर आजमा कर उसका बेताज़ बादशाह बनने की ख्वाहिश बिल्कुल भी मत रखियेगा क्योंकि बाद में पछताओगे कि मुझसे ज्यादा अक्लमंद तो वो बेजुबान जानवर है.आखिर मैंने उससे कोई सबक क्यों नहीं लिया!"
अरस्तू की कही ये बात हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान पर एकदम खरी उतरती हुई नजर आ रही है.क्रिकेट के मैदान की बादशाहत का ताज संभालने के बूते सियासत की पथरीली जमीन पर अचानक नमूदार हुए इमरान खान शायद अब भी ये समझने को तैयार नहीं हैं कि वे राजनीति के एक ऐसे नौसिखिया खिलाड़ी बन चुके हैं कि जिस सेना की बदौलत उन्होंने सत्ता हथियाई थी,वही सेना अब बेहद चालाकी से उनके तख्तापलट को अंजाम दे रही है,ताकि दुनिया में इसे लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता का परिवर्तन समझा जाये.
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली यानी संसद में सोमवार को इमरान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश हो चुका है,जिस पर 31 मार्च को चर्चा शुरु होगी. पाक मीडिया में जो खबरें आ रही हैं,उसके मुताबिक इमरान खान को भी ये अहसास हो चुका है कि वे बाजी हार चुके हैं और उन्हें बेइज़्ज़त होकर ही संसद से रुख्सत होना पड़ेगा. लेकिन पुरानी कहावत है कि हुकूमत की ताकत एक ऐसा मीठा जहर है,जिसे गद्दी पर बैठा हुक्मरान अपने मरते दम तक पीने से परहेज़ नहीं करता,बल्कि उसके लिए सब कुछ दांव पर लगा देता है.इमरान खान भी वही सब कर रहे हैं.हम सोचा करते थे कि सिर्फ भारत के गांव या छोटे शहरों में ही टोने-टोटके करने-करवाने का रिवाज है.
लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ की बेटी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) की उपाध्यक्ष मरियम नवाज ने गुजरांवाला की रैली में इमरान की पत्नी पर जो आरोप लगाया है,वो बेहद हैरतअंगेज है.मरियम ने कहा कि इमरान खान की पत्नी अपने शौहर की कुर्सी बचाने के लिए तमाम तरह के जिन्नात भरे जादू-टोने करने में लगी हुई हैं और उनमें सबसे बड़ा टोटका ये है कि जिंदा मुर्गों को काटकर उनकी बलि दी जा रही है. मरियम ने अवाम से सवाल पूछा कि बताइए कि पाकिस्तान के 75 बरस के इतिहास में कभी ऐसा हुआ है कि एक वजीरे आज़म ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए ऐसे टोने-टोटकों का सहारा लिया हो?
हम इसकी हक़ीक़त नहीं जानते लेकिन इससे पहले तक पाकिस्तान में न तो किसी विपक्षी नेता ने ऐसे सनसनीखेज आरोप लगाए है औ न ही ऐसी खबरें पाक मीडिया में ही पढ़ने को मिली हैं.जबकि वो ऐसा मुल्क है,जहां आज तक कोई भी प्रधानमंत्री अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है. उसी मुल्क के अवाम ने चार बार फ़ौज के हाथों सरकार का तख्तापलट होते हुए भी देखा है और मार्शल लॉ को झेला भी है.
इमरान खान की किस्मत का फैसला तो अगले कुछ दिनों में हिग लेकिन उससे पहले ही विपक्ष ने एक बड़ा सियासी दांव खेलते हुए मुल्क के सबसे बड़े सूबे पंजाब के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया है.उनकी गिनती इमरान के सबसे करीबियों में होती है. यानी एकजुट विपक्ष ने इमरान की टीम का एक मजबूत विकेट पहले ही गिरा दिया है. हालांकि सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने पीएमएल-क्यू नेता चौधरी परवेज इलाही को पंजाब के मुख्यमंत्री के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है.
गौरतलब है कि विपक्षी दलों ने सोमवार को ही प्रधानमंत्री इमरान के करीबी और पंजाब के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सौंपा था. लेकिन इमरान ने वक़्त की नजाकत को देखते हुए उस प्रस्ताव पर वोटिंग की नौबत आने से पहले ही उनका इस्तीफा ले लिया.
दरअसल,पीएमएल-क्यू इमरान खान की गठबंधन वाली सरकार की ही एक सहयोगी पार्टी है जिसके पास पंजाब विधानसभा में 10 सीट है, लेकिन इसने भी विपक्ष से हाथ मिलाने के संकेत दिये हैं.इस पार्टी के नेताओं ने कहा कि इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने पर उसे पंजाब के मुख्यमंत्री पद का प्रस्ताव दिया गया है. परवेज़ इलाही फिलहाल पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष हैं और अब इमरान उन्हें सूबे के मुख्यमंत्री बनाकर अपनी कुर्सी बचाने के जुगाड़ में है. हालांकि, इससे भी इमरान को कोई बड़ा फायदा होता नहीं दिखता क्योंकि संसद में उसकी महज़ पांच सीटें हैं. जबकि पाक मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक करीब चार दर्जन सांसद इमरान का साथ छोड़ चुके हैं.
वैसे पंजाब विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव सौंपने के बाद नवाज़ शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन के विधायक राणा मशहूद ने ऐलान किया हैकि विपक्ष नेशनल असेंबली के अध्यक्ष असद कैसर और सीनेट के चेयरमैन सादिक संजरानी के खिलाफ भी अविश्वास प्रस्ताव लायेगा.मतलब कि ये सियासी चिंगारी आने वाले दिनों में एक ज्वाला में तब्दील होती दिख रही है.
हालांकि पाकिस्तान कि सियासत की नब्ज समझने वाले कहते हैं कि तख्तापलट की तैयारी पूरी हो चुकी है. इमरान खान के बाद नवाज शरीफ के छोटे भाई शाहबाज शरीफ को पीएम बनाने की डील कर ली गई है. इसके अलावा इमरान के कट्टर विरोधी जमीयत उलेमा-ए-इस्लामा के नेता मौलाना फजलुर्रहमान को आरिफ अल्वी की जगह पर नया राष्ट्रपति बनाया जा सकता है. लेकिन सियासत वो शै है,जहां अगले पल का ही नहीं पता, तो कल क्या होगा, कौन जानता है?
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