पाकिस्तान में खेलों की बर्बादी का दौर चल रहा है
इमरान खान की सरकार को एक साल से ज्यादा का समय हो गया है. अभी तक कोई स्पष्ट स्पोर्ट्स पॉलिसी सामने नहीं आई.
पाकिस्तान की हॉकी टीम अगले साल होने वाले ओलंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाई. अगले ओलंपिक में क्यों नहीं नजर आएगी 3 बार की गोल्ड मेडलिस्ट पाकिस्तान की हॉकी पाकिस्तान हॉकी के लिए इससे बुरी खबर हो ही नहीं सकती. हॉलैंड के हाथों हार के साथ ही पाकिस्तान टीम का अगले ओलंपिक में खेलने का सपना टूट गया. पाकिस्तान के दो सबसे लोकप्रिय खेलों की बदहाली सबके सामने है. पाकिस्तान हॉकी के इतिहास में ये दूसरा मौका है जब उसकी टीम ओलंपिक खेलों का हिस्सा नहीं है. पाकिस्तान की टीम 3 बार ओलंपिक गोल्ड मेडल जीत चुकी है. चार बार उसने वर्ल्ड कप जीता है. लेकिन इस बदहाली के बाद पाकिस्तानी अखबारों में खबर तक नहीं छपी. ये जानना भी जरूरी है कि जिस तरह भारत में हॉकी को राष्ट्रीय खेल कहा जाता है वैसे ही पाकिस्तान में भी हॉकी को कौमी खेल का दर्जा दिया जाता है. लेकिन जो हालात हाल के दिनों में क्रिकेट में देखने को मिले वही हाल हॉकी का भी है. आपको याद दिला दें कि हाल ही में श्रीलंका की ‘बी’ टीम ने पाकिस्तान को उसी के घर में टी-20 सीरीज में 3-0 से हराया था. इसके बाद से ही पाकिस्तान क्रिकेट में भूचाल आया हुआ है. पाकिस्तान के कप्तान सरफराज अहमद को टीम से ही बाहर कर दिया गया. ऑस्ट्रेलिया के मौजूदा दौरे में पाकिस्तानी टीम बाबर आजम की अगुवाई में गई है. सरफराज अहमद को हटाए जाने को लेकर भी तमाम आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. यहां तक की पाकिस्तानी मीडिया में ये चर्चा भी है कि श्रीलंका के खिलाफ पाकिस्तान के कुछ खिलाड़ियों ने जान बूझकर खराब प्रदर्शन किया. इसे सरफराज अहमद के खिलाफ साजिश के तौर पर देखा जा रहा है.सरफराज अहमद को जिस तरह कप्तानी के साथ साथ टीम से बाहर किया गया उसको लेकर कई पूर्व क्रिकेटर नाराज हैं. पहले से ही मायूस खेल प्रेमियों के लिए हॉकी टीम की शर्मनाक हार दोहरे झटके की तरह है। हॉलैंड की टीम ने दूसरे क्वालीफायर में पाकिस्तान को 6-1 के बड़े अंतर से हराया.
प्लानिंग में कमी से हुई शर्मनाक हार पाकिस्तान की टीम ने हॉलैंड के खिलाफ जो पहला क्वालीफायर मैच खेला था वो 4-4 से ड्रॉ रहा था. हॉलैंड की टीम दुनिया की नंबर तीन रैंक टीम है जबकि पाकिस्तान की टीम 17वीं पायदान पर है। ऐसे में पहले मैच को देखने के बाद लगा कि पाकिस्तान के खिलाड़ी रैंकिंग के इस बड़े अंतर को मैदान पर नहीं दिखने देंगे. बड़ा अंतर पड़ा गोलकीपर को लेकर टीम मैनेजमेंट के गलत फैसले से. दरअसल हुआ यूं कि क्वालीफायर मुकाबलों के लिए पाकिस्तान ने दो गोलकीपर चुने थे. इसमें से एक गोलकीपर को वीजा नहीं मिला. उनकी गैरमौजूदगी में अमजद ने कीपिंग की. उनकी कीपिंग भले ही विश्व स्तरीय नहीं रही लेकिन वो मैच के बीच बीच में अच्छी फॉर्म में दिखे. इससे उलट दूसरे क्वालीफायर में पाकिस्तान ने दूसरे गोलकीपर को मैदान में उतार दिया. जो सिर्फ चंद घंटे पहले ही टीम के साथ जुड़े थे। बिना किसी तैयारी के टर्फ पर उतरने का असर दिखाई दिया. जो 6-1 के बड़े अंतर में दिखता है। पाकिस्तान के सीनियर खिलाड़ियों का प्रदर्शन भी निराश करने वाला रहा.
इमरान सरकार से नाराजगी
इमरान खान की सरकार को एक साल से ज्यादा का समय हो गया है. अभी तक कोई स्पष्ट स्पोर्ट्स पॉलिसी सामने नहीं आई. कुछ समय से ऐसी चर्चा थी कि पाकिस्तान स्पोर्ट्स के नाम से एक नई संस्था का गठन किया जाएगा. लेकिन अभी तक इसको लेकर तस्वीर साफ नहीं है. एक टास्क फोर्स की भी चर्चा पिछले दिनों जमकर चल रही थी लेकिन मौजूदा हालात ये दिखाते हैं कि इमरान खान की प्राथमिकताओं में खेल हैं नहीं. इमरान खान सरकार ने क्रिकेट में डिपार्टमेंट्ल स्ट्रक्चर में जो बदलाव किया उसका असर सभी ने देखा. पाकिस्तान में फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेल चुके खिलाड़िय़ों को टैक्सी चलानी पड़ रही है. यही हाल हॉकी का भी है। जिसमें सरकार की तरफ से कोई फंड रिलीज नहीं किया गया. खेलप्रेमियों की बड़ी शिकायत ही यही है कि जिस इमरान खान की पहली पहचान एक खिलाड़ी की थी वो खेलों को लेकर कैसे इतना लापरवाह हो सकता है.