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जो बोया था वही आतंकी फसल काट रहा पाकिस्तान, आज अफगानिस्तान से टंटा, कल होगा दुनिया में अलग-थलग

भारत के पड़ोसी देशों के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है. युद्ध जैसी स्थिति बनी हुई है. पहले तालिबान ने पाकिस्तान का एक चेकपोस्ट उड़ाया, उसके बाद पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर एयरस्ट्राइक कर दिया, जिसमें आठ लोग मारे गए. दोनों देशों के बीच दिन-प्रतिदिन तनाव बढ़ते जा रहा है. पहले अफगानिस्तान ने खैबरपख्तूनवा और बलूचिस्तान के बार्डर इलाके पर हमला किया, उसके बाद पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अफगानिस्तान के बार्डर में घुसकर एयर स्ट्राइक किया है. जिसमें  आठ लोगों की मौत हुई है. इल घटनाक्रम से दोनों देशों के बीच काफी तनाव बढ़ गया है.

जो बोया, वही काट रहा पाक

बीते छह महीने से दोनों देशों के संबंध कुछ खास ठीक नहीं है. तालिबान शासन अफगानिस्तान में 2021 में वापस आया. उस समय  पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान थे. उस समय उन्होंने कहा था कि अफगानिस्तान ने गुलामी की बेड़ियों को तोड़ दिया है, तालिबान की सरकार को पाकिस्तान की सरकार ने मान्यता प्रदान की, लेकिन अब पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों देशों के बीच के हालात ठीक नहीं है. पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने भी कहा है कि अब पाकिस्तान अफगानिस्तान के घर में घुस कर मारेगा, और आतंक का जवाब मुंहतोड़ दिया जाएगा. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी कहा है कि बार्डर पार किसी तरह का आतंक बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हालांकि, यही पाकिस्तान भारत के लिए ऐसा करता रहा है, तो ये पाकिस्तान की दोहरी नीति है. पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच में जो डूरंड लाइन बार्डर है. डूरंड लाइन और खैबरपख्तूनवां का जो इलाका है. उसमें पख्तूनों के बेल्ट को अफगानिस्तान अपना राज्य बताता है और उसको लेने की बात करता है, लेकिन पाकिस्तान इसका विरोध करते हुए वहां पर तार से घेराबंदी कर रहा है. अफगानिस्तान बार-बार उस तार को हटा देता है. पाकिस्तान द्वारा जो कार्य किया जा रहा है इसी का विरोध अफगानिस्तान करता रहा है. क्योंकि डूरंड लाइन और खैबरपख्तूनवां का जो इलाका है, उसकी संस्कृति, रहन-सहन और कई चीजें अफगानिस्तान जैसा है. इसी बात को लेकर उसे वो अपना मानते हैं.

पाकिस्तान को खैबरपख्तून की जो जगह है, उसे खाली करना पड़ेगा. इसी बात को लेकर लगातार झगड़ा हो रहा है. इसमें जो आतंकी संगठन हैं, उनमें तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान, लश्कर-ए-झंगवी इत्यादि जैसे अंतरराष्ट्रीय समूह हैं, जो आजकल उन क्षेत्रों में हमला कर रहे हैं. ये तालिबान की ओर से हैं.

आतंकवाद का नासूर पाकिस्तान 

देखा जाए तो पाकिस्तान अपनी बोई हुई फसल ही काट रहा है. इस तरह से वो लगातार भारत के साथ हरकतें करते रहा है. जब वह युद्ध में प्रत्यक्ष रूप से नहीं जीत पाया तो ऐसे ही हरकतें करता रहा, कश्मीर को काफी समय तक अशांत रखा. अब अफगानिस्तान से वही फसल बरामद हो रही है जो पहले कभी पाकिस्तान ने बोई थी. जो जेनेसिस ऑफ तालिबान यानी तालिबान की उत्पत्ति है वो पूरी तरह से पाकिस्तान से ही है. पूरी तरह से जो तालिबान का लीडरशिप है वो पाकिस्तान का ही प्रोडक्ट है. तालिबान का मतलब ही होता है मदरसा का स्टूडेंट. तालिबान को पाकिस्तान और अमेरिका ने ही मिलकर बनाया है. पहले तालिबान को पाकिस्तान ने ही पाल-पोसकर बड़ा किया और आज उसी के लिए खतरा हो गया है, और अब आज उसी पर हमला कर रहे हैं. अब ये सोसायटी के लिए भी खतरनाक होते जा रहे हैं. साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल का एक विश्लेषण आया है जिसमें बताया गया है कि 2023 में 527 टेरेरिस्ट अटैक हुए है. इसमें सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 400 नागरिक और 500 सैनिकों की मौत हुई है. ये जो टेरेरिस्ट है वो पाकिस्तान के लिए परेशानी का कारण है, चाहें वो ईरान का बार्डर इलाका हो या अफगानिस्तान का इलाका हो, पाकिस्तान पूरी तरह से इन सब के चक्कर में फंस गया है. हालांकि अभी निजात के कोई रास्ता नहीं दिख रहा है. 

दिवालिया होगा पाकिस्तान

पाकिस्तान की इकोनॉमिक हालात अभी बहुत ही खराब चल है, चाहें वो आइएमएफ के लोन का ही मामला क्यों न हो. हाल में ही आइएमएफ ने कहा है कि इसके 75 प्रतिशत चांस हैं कि पाकिस्तान दिवालिया हो जाए. पाकिस्तान का वर्तमान में 7.69 अरब डॉलर रिजर्व है वो चीन, साउदी अरब और यूएई का एक गांरटी डिपोजिट के रूप में है. वो जब चाहें इसको ले सकते है. इसलिए पाकिस्तान के हालात अभी बहुत ही खराब हैं. अगर पाकिस्तान युद्ध में फंसता है तो उसके लिए ये खतरा साबित हो सकता है.पाकिस्तान को इस हालत से कौन बचाएगा ये भी बड़ा सवाल उठता है  अमेरिका अपना पल्ला पहले ही झाड़ चुका है. चीन अभी साथ है लेकिन वो सिर्फ अपना फायदा देखता है. वो कई देशों को दिवालिया कर भी चुका है. बीआरआई के बहाने गिलगिट-बाल्टिस्तान या बलूचिस्तान हो वहां भी चीन के निवासी मारे जा रहे हैं. बलूचिस्तान में दो से तीन  दिन पूर्व एक बड़ा हमला भी हुआ था. पाकिस्तान तो हर क्षेत्र में फेल हो ही चुका है, लेकिन चीन पूरी तरह से प्रोफेशनल है. बीआरआई के तरह से ही सही लेकिन जो डेवलपमेंट हो रहा है वो एक तरह से लोन ब्याज पर दे रहा है. काफी समय तक चीन पाकिस्तान की मदद नहीं करने वाला. तो अब पाकिस्तान को जो उम्मीद होगी वो मुस्लिम देशों से होगी, चाहें वो साउदी अरब हो या यूएई हो . इसके अलावा कोई और देश शायद मदद ना करें. 

आतंक का साथ पाकिस्तान को भारी पड़ा

जब तक आतंकियों के खिलाफ सही से पाकिस्तान काम नहीं करेगा तब तक कोई साथ नहीं देगा, लेकिन पाकिस्तान टेरेरिज्म  को विदेश नीति में हथियार के तौर पर समझता है. एक असर ये भी कहा जा सकता है कि मोदी सरकार ने जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाया है उसके कारण भी पाकिस्तान का ये हाल हुआ है. पाकिस्तान एक्सपोज होने के कारण विश्व के देश उसको स्पोर्ट नहीं कर रहे हैं.  मोदी एक विश्व लीडर के रूप में उभरे हैं. चाहें वो अमेरिका के साथ संबंध हो या रूस के साथ संबंध हो. मोदी की वजह से अंतरराष्ट्रीय संबंधों में अपनी एक साख भारत की बनी है. इसी का फायदा भारत को इस वक्त मिल रहा है. भारत के जो मित्र देश है वो पाकिस्तान को सपोर्ट नहीं कर रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने पाकिस्तान को अलग-थलग कर दिया है. क्योंकि सभी जान चुके है कि पाकिस्तान टेरेरिज्म को प्रमोट करता है. इसलिए यूरोप या एशिया के देश सहयोग नहीं कर रहे हैं. मोदी की वजह से भारत के मुस्लिम देशों के साथ भी अच्छे संबंध बने हैं. इसलिए पाकिस्तान हर जगह से उम्मीद खोता जा रहा है.  

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ़ लेखक ही ज़िम्मेदार हैं.] 

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