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नवाज परिवार का घनिष्ठ संबंध कट्टरपंथी धार्मिक संस्थाओं से, मरियम नवाज के सामने बहुत सी होंगी चुनौतियां

पाकिस्तान में 8 फरवरी को चुनाव हुए. जिसमें नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज पहली बार पाकिस्तानी संसद नेशनल असेंबली की सदस्य बनी है. इसी के साथ मरियम नवाज पाकिस्तान में पंजाब सूबे में मुख्यमंत्री का पद संभालने वाली पहली महिला है. मरियम नवाज को पाकिस्तान की सबसे विवादित महिला राजनेता के रूप में जाना जाता है.

चुनाव में किया गया मजाक

पाकिस्तान चुनाव से जुड़े जितने रिपोर्ट सामने आ रहे है, सब में यहीं कहा जा रहा है कि जबरदस्त तरीके से बेईमानी की गई है. इमरान खान के बारे में कहा जा रहा है कि वो स्पष्ट रूप से विजेता है. वहां की जनता का मूड इमरान खान के पक्ष में है, इमरान खान के पास बहुत अधिक सपोर्ट है. ये एक अजीब प्रकार का चुनाव था, जिसमें पहले से पता था कि कौन विजेता बनेगा, कौन प्रधानमंत्री बनेगा, कौन चुनाव हारेगा और कौन चुनाव जितेगा. किस पार्टी में क्या होगा यह पहले से ही निर्धारित था. नवाज शरीफ को इसी वजह से लाया गया था, क्योंकि वह जानते थे कि यह सरकार अधिक समय तक नहीं चल पाएगी. चुनाव में एक तरह से मजाक किया गया है. 

पाकिस्तान की इकोनॉमिक स्थिति खराब 

पाकिस्तान में मरियम नवाज पंजाब सूबे की मुख्यमंत्री बनने जा रही है और वो पहली महिला सीएम है. महिला का आगे बढ़ना और पंजाब सूबे का सीएम बनना एक अच्छी बात है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि मरियम नवाज कितनी मशहूर है और क्या वो पद को संभाल पाएंगी? पाकिस्तान में बहुत सी चुनौतियां है. मरियम में 371 में से 200 सीटें मिली है. वहां पर भी बहुत सी बेईमानी की गई है. इस वक्त पाकिस्तान की इकोनॉमिक स्थिति बहुत खराब है. क्या मरियम नवाज उसे संभालने में सक्षम हो पाएंगी? मरियम के पास तमाम प्रकार की चुनौतियां है.

उनके पास गवर्नेंस का अनुभव नहीं है और पाकिस्तान पंजाब का सबसे बड़ा प्रांत है. पाकिस्तान की 25 करोड़ की आबादी में से 53 प्रतिशत आबादी पंजाब में रहती है. उनका बजट लगभग 60 प्रतिशत का होता है. पाकिस्तान का कुल बजट 350 बिलियन डॉलर का है. इससे अंदाजा लगया जा सकता है कि पाकिस्तान का पंजाब कितना महत्वपूर्ण राज्य है. वहां जिस तरह की समस्याएं है उसे संभालना मुश्किल होगा. आने वाला समय ही बता पायेगा की वहां क्या होने वाला है. बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की महिला प्रधानमंत्री रह चुकी है. बेनजीर भुट्टो काफी कामयाब नेता थी, उन्होंने खूब नाम कमाया. लेकिन बाद में उनकी हत्या कर दी गई. 

नवाज परिवार का घनिष्ठ संबंध कट्टरपंथी धार्मिक संस्थाओं से

पाकिस्तान के अंदर उसी का कद बढ़ता है जिसे पाकिस्तान की सेना द्वारा सपोर्ट किया जाता है. पहले नवाज के परिवार और सेनी के बीच दूरी थी जिस वजह से मरियम के पिता नवाज शरीफ को पाकिस्तान छोड़ना पड़ा और अब जब पाकिस्तान में कोई नेता नहीं बचा है जिस वजह से फिर से सेना नवाज शरीफ अपने साथ लेकर आई है. क्योंकि नवाज शरीफ बहुत पुराने नेता है, वह काफी मशहूर है और नवाज शरीफ ही इमरान खान को रोक सकते है. नवाज शरीफ वापसी के साथ ही अपने भाई को प्रधानमंत्री बना रहे है और अपनी बेटी मरियम नवाज को पंजाब सूबे का मुख्यमंत्री, इसे लेकर पार्टी के बीच साफतौर पर विवाद नजर आता है. पाकिस्तान में डेमोक्रेसी नहीं है, वहां लिखने की अधिक छूट नहीं है. नवाज परिवार का घनिष्ठ संबंध वहां की कट्टरपंथी धार्मिक संस्थाओं से है जैसे- जमात-ए-इस्लामी या जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल, ये वो परिवार है जिसका संबंध लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद से बनाकर रखे है. उनके पूरे नेटवर्क के द्वारा नवाज परिवार को सपोर्ट किया जाता है. लेकिन अब आम जनता में इनका सपोर्ट काफी कम हो चुका है. 

 

सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक समस्या

मरियम के सामने सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक समस्या है. पाकिस्तान की इकोनॉमी फेल हो रही है, राजनीतिक संकट और साथ में आर्थिक संकट भी है. राजनीतिक संकट को एक हद तक संभाला जा सकता है लेकिन इस समय पाकिस्तान की स्थिति इतनी खराब है कि आर्थिक संकट को संभालना किसी भी नेता के द्वारा संभालना संकट का काम हो सकता है, जिसमें बहुत सी समस्याएं होंगी. पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति बहुत ही खराब है, एक तरफ आतंकवादी संगठन है, चरमपंथी तत्व है जो आए दिन आर्मी, पुलिस और सिक्योरिटी के ऊपर हमला करते रहते है. पाकिस्तान का लॉ एंड ऑडर बेहद खराब स्थिति में है, ऐसे में वहां फॉरेन इन्वेस्टर्स नहीं आते, बार-बार वर्ल्ड बैंक से लोन लिया जाता है, अलग-अलग देशों से भी थोड़ा लोन मिल जाता है. लेकिन उधार से कोई भी देश नहीं चल सकता. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पुनर्जीवित नहीं हो पा रही है, उसके लिए अमन शांति की आवश्यकता होती है. वहां तेल के दाम बढ़ चुके है जिसकी वजह से हजारों की संख्या में इंडस्ट्री बंद हो चुके है. पाकिस्तान में सभी चीजों का मूल्य इतना अधिक है कि जन जीवन प्रभावित हो रहा है. इन समस्याओं को संभालना कोई आसान काम नहीं है.

पाकिस्तान में आतंक की समस्या चरम पर

पाकिस्तान में भ्रष्टाचार इतना अधिक था और आज की स्थिति भी वैसी की वैसी ही है. हर चीज को सेना के द्वारा नियंत्रित किया जाता है, इकोनॉमी पर भी सेना का ही दबदबा है, यहां तक की सेना में ही भ्रष्टाचार है, बीच में कोविड आया, सैलाब आ गया, जिसकी वजह से काफी नुकसान हुआ, पानी के साथ-साथ मिट्टी आ गई जिसकी वजह से खेती नहीं हो पा रही. अब उन सभी पर ध्यान दिया जा रहा है जिसे सही होने में कुछ वक्त लगेगा. कृषि क्षेत्र में थोड़ बदलाव किया गया है जिसकी वजह से उन्हें थोड़ा फायदा भी देखने को मिला है. अरब देशों में जो लोग काम कर रहे थे वो तकरीबन 40-50 बिलियन डॉलर भेजते थे, वो आना बंद हो गया था, सभी कोरोना के समय में वापस आ गए थे.

पाकिस्तान ने हमेशा धर्म की राजनीति की है, डेवलपमेंट पर कभी ध्यान नहीं दिया गया. इसके साथ-साथ पाकिस्तान में आतंक की समस्या अपने चरम पर है. उन्हें अब रोकना मुश्किल हो चुका है, ऐसे भी ग्रुप है जो खिलाफ हो चुके है जैसे- तहरीक-ए-तालिबान, ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा मिलिटेंट ग्रुप जिसका काफी सपोर्ट है. इनके साथ बहुत से संस्था जुड़ चुके है. अफगानिस्तान में भी इनका सपोर्ट है, वहां से हथियार मिल रहे है, इन्हें रोकना बहुत ही मुश्किल होगा. इसके अलावा पाकिस्तान की आम जनता में क्रोध है. यदि इन सभी चीजों में कमी नहीं आई तो और अधिक अराजकता फैलने का डर है.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]

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