Pakistan Minister Threatens India: ऐसा लगता है कि अपने मुल्क की फौज़ को खुश करने के लिये पाकिस्तान के बेतजुर्बेदार मंत्री कुछ ज्यादा ही बौखला गए हैं. बिलावल भुट्टो के बाद अब वहां की एक और मंत्री शाजिया मर्री ने भी भारत के ख़िलाफ़ जहर उगलने का मोर्चा संभाल लिया है. उन्होंने बिलावल का बचाव करते हुए भारत को परमाणु युद्ध की गीदड़ भभकी दे डाली है, लेकिन सियासत में जुम्मा-जुम्मा चार दिन पहले आये ये दोनों नौसिखिये मंत्री न तो दुनिया का भूगोल-इतिहास जानते हैं और न ही अंतराष्ट्रीय राजनीति की इन्हें कोई समझ है.


इन्हें तो शायद ये भी पता नहीं होगा कि पाकिस्तान के पास जो परमाणु बम हैं, उनमें हरेक का वजन कितना है. अगर पता होता तो दुनिया में अपने मुल्क का मखौल उड़ाने वाली ऐसी बेवकूफाना धमकी देने से पहले वहां की सामाजिक सुरक्षा मंत्री शाजिया मर्री जरा हकीकत का पता लगातीं तो शायद उनके होश ही फ़ाख्ता हो जाते कि इस मामले में भारत की ताकत के मुकाबले उनका पिद्दी-सा मुल्क सीढ़ी की कौन-सी सबसे निचली पायदान पर खड़ा हुआ है.


दरअसल, पाकिस्तान के सिंध प्रांत के सियासी घराने से ताल्लुक रखने वाली 50 वर्षीय शाजिया मर्री की परवरिश ही ऐसे माहौल में हुई है, जहां उन्होंने शुरु से ही भारत के ख़िलाफ़ नफरत फैलाने वाली भाषा को न सिर्फ़ सुना-समझा बल्कि ग्रेजुएशन पूरी होते ही उनके जेहन में ये भर दिया गया कि मुल्क की सियासत में अपना पहला कदम रखते ही हिंदुस्तान की जमकर मुख़ालफ़त करनी है. शायद इसलिये कि उनके दादा, पिता और उनकी मां भी सियासत में सक्रिय रहते हुए सरकार के ओहदों पर रह चुके थे.


शाज़िया जब मुल्क की सियासत में उतरीं तो तब उनकी उम्र 30 साल की थी और वह पहले चुनाव यानी 2002 में ही सिंध प्रांत की विधानसभा की सदस्य चुन ली गईं. तब तानाशाह कहलाने वाले परवेज़ मुशर्रफ का शासन था. वे भी चाहते थे कि भारत के खिलाफ जहर उगलने में नई नस्ल और उसमें भी महिलाओं की भागीदारी रहेगी तो ये सोने पर सुहागा ही होगा. साल 2008 में उनको सिंध सरकार में सूचना मंत्री बनाया गया और उसके बाद से ही उनका कद इतना बढ़ा या फिर बढ़ा दिया गया. वो मुल्क की राष्ट्रीय राजनीति में एक ऐसा दमदार चेहरा बनकर उभरीं कि अब बगैर किसी होम-वर्क के ही भारत के ख़िलाफ़ ज़हर उगलने के लिए आगे आ गई हैं.


हालांकि शाज़िया मर्री ने भारत को लेकर जो बयान दिया है, उसकी वहां के विश्लेषकों के अलावा पाकिस्तानी मीडिया के एक हिस्से ने भी ठीक उसी अंदाज में मज़्ज़म्मत की है, जैसी कि विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के संयुक्त राष्ट्र में दिए गए बयान पर की थी. भारत के नहीं बल्कि पाकिस्तान की सियासत की नब्ज को समझने वाले विश्लेषक मानते हैं कि फौज ने पाकिस्तान की सियासत में जड़ें जमा ली हैं. सारे बड़े फ़ैसले फौज ही करती है. लोग कहते हैं कि बहुत से मुल्कों के पास फौजें होती हैं लेकिन पाकिस्तान में फौज के पास ही मुल्क है. उनके मुताबकि जिन्ना साहब की मौत के बाद पाकिस्तान में कोई नेता नहीं हुआ, इसलिए फौज ने मुल्क को अपने हाथों में ले लिया. 


मज़हब एक ऐसी चीज़ है जो हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकती है. अगर आप यह ज़िद करेंगे कि जो 1400 साल पहले होता था, वैसा ही होना चाहिए तो हम फंस जाएंगे. हम फंसे गए हैं, इसलिए यहां जो भी नेता आता है, वह मज़हब और फौज के प्रति अपनी वफ़ादारी साबित करता रहता है. बता दें कि पाकिस्तान की मंत्री शाजिया मर्री ने भारत को एटम बम की धमकी दी है. उन्होंने कहा है कि हमारा न्यूक्लियर स्टेटस खामोश रहने के लिए नहीं है.


शाजिया ने बड़ी ही बचकानी दलील देते हए कहा है कि हम भारत के खिलाफ कोई शिकायत नहीं कर रहे हैं बल्कि हिंदुस्तान में जो मौजूदा नरेंद्र मोदी की सरकार है उसके खिलाफ हमारी शिकायत है. आप बार-बार पाकिस्तान के खिलाफ इल्जाम लगाते रहेंगे और पाकिस्तान चुपचाप सुनता रहेगा तो ऐसा नहीं होने वाला. शाजिया ने मोदी सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि सुधर जाओ, बिलावल भुट्टो के पुतले जलाने की धमकी दे रहे हो, जबकि तुम्हारे तो खुद के पुतले हिंदुस्तान में जल रहे हैं.


ज़ाहिर है कि उन्होंने पीएम मोदी के खिलाफ ऐसे अल्फ़ाज़ अपनी फौज़ को खुश करने के लिए ही किये हैं. ये दोनों मंत्री कितने अनुभवहीन और अपरिपक्व हैं, ये तो पाकिस्तान के अवाम समेत सबको समझ आ गया है, लेकिन इसके लिए एक उदाहरण देना ज़रूरी है. जब इमरान ख़ान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे तो वो बिलावल भुट्टो का अक्सर मज़ाक उड़ाते थे. इसी साल मार्च महीने में पाकिस्तान में एक जनसभा को संबोधित करते हुए इमरान ख़ान ने कहा था, "आसिफ़ अली ज़रदारी, ख़ुदा के वास्ते अपने बेटे को उर्दू तो सीखा दो. 15 साल हो गए उसके लिए अब भी बारिश आता है. चीनी उगता है. ख़ुदा का वास्ता है. मैंने अंग्रेज़ों को दो साल में उर्दू सीखते देखा है. अब भी उसे पता नहीं है कि लड़की आती है कि आता है.''


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