हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं और ऐसी आशंका जताई जा रही है कि अगले कुछ दिनों में वहां सब कुछ थम जाने की नौबत आ सकती है. इसलिये कि वहां पेट्रोल-डीजल का अभूतपूर्व संकट पैदा हो गया है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से अगर उसे जल्द ही मदद नहीं मिली,तो वहां ऑयल इंडस्ट्री पूरी तरह से ढह जायेगी. सवाल उठता है कि ऐसी सूरत में 23 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले इस मुल्क के लोगों का क्या होगा? परिवहन के साधन बंद हो जाने से दवाओं समेत तमाम आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति कैसे होगी. खाने-पीने की वस्तुओं का संकट पैदा हो जाने से महंगाई तो बढ़ेगी ही लेकिन मुल्क में भुखमरी की नौबत आ जाने पर चौतरफा अराजकता फैलने का जो खतरा पैदा होगा,उसे संभाल पाना वहां के हुक्मरानों के बूते से भी बाहर हो जायेगा.           


दरअसल,पाकिस्तान में डॉलर की कमी और रुपये के मूल्य में गिरावट से व्यापार लागत बढ़ी है और इस वजह से पेट्रोलियम उद्योग खत्म होने के कगार पर है. इन कंपनियों की अगर मानें तो बस कुछ ही दिनों में ऑयल इंडस्ट्री ढह जाएगी.समाचार चैनल जिओ न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की मांग पूरी करने के उद्देश्य से सरकार ने डॉलर पर लगी सीमा हटा दी है. इससे पाकिस्तानी रुपया अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऐतिहासिक गिरावट के साथ 276.58 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया. आईएमएफ ने राहत पैकेज बहाल करने के लिए कई शर्तें लागू की हैं, इनमें स्थानीय मुद्रा के लिए बाजार-निर्धारित विनिमय दर और ईंधन सब्सिडी को सरल करना आदि शामिल हैं. हालांकि सरकार दोनों शर्तें पहले ही मान चुकी है.


लेकिन पाकिस्तान की माली हालत इतनी खस्ता हो चुकी है कि उसके पास सिर्फ 3.68 अरब डॉलर का ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा है,जिससे वह महज अगले 18 दिन ही तेल का आयात कर सकता है.हालांकि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की तरफ से एक अरब डॉलर की रकम रिलीज की जानी है,जो कि बेलआउट पैकेज के तहत होगी और माना जा रहा है कि इसके आने से पाकिस्‍तान को राहत मिल सकेगी.लेकिन फिलहाल पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि उसे इतनी ही रकम हर हालत में मिल ही जायेगी. इसलिये कि IMF की एक टीम आर्थिक हालात जानने के लिये फिलहाल पाकिस्तान में है,जिसकी रिपोर्ट के बाद ही वह कोई अंतिम फैसला लेगा.


पाकिस्तान के अखबार डॉन की एक रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि किस तरह से इस महीने में पाकिस्तान को ईंधन की आपूर्ति में कमी का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि बैंकों ने विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के कारण आयात के लिए वित्तपोषण और भुगतान की सुविधा बंद कर दी है.रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान आम तौर पर आयातित प्राकृतिक गैस का उपयोग करके अपनी वार्षिक बिजली मांग का एक तिहाई से अधिक पूरा करता है, जिसकी कीमतें पिछले साल फरवरी में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद बढ़ गई थीं.


बता दें कि बीती 31 जनवरी को ही देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 35 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है,जबकि केरोसिन ऑयल और हल्‍के डीजल की कीमतों में 18 रुपए तक का इजाफा किया गया है.इस नए एलान के बाद देश में पेट्रोल की कीमत 249 रुपए 80 पैसे तक पहुंच गई है, वहीं डीजल की कीमत 262 रुपए 80 पैसे हो गई है.


वहां के लोगों की तकलीफ का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि देश के कई पेट्रोल पंप बंद हो गए हैं.फैसलाबाद और मेलसी में पेट्रोल ही नहीं मिल रहा है.रिपोर्ट्स की मानें तो गुजरांवाला के सिर्फ 20 फीसदी पेट्रोल पंपों पर ही पेट्रोल बचा है.वहीं लाहौर, फैसलाबाद, दीपालपुर, रहीम यार खान और बहावलपुर सहित कई शहरों में तेल के लंबी लाइनें लग रही हैं. गैस की कीमतों में बढ़ोतरी की खबर के बाद खैबर पख्तूनख्वा में भी अब तेल की कमी देखने को मिल रही है.


पेट्रोल न मिलने से जनता खासी परेशान है.जनता का कहना है कि सरकार ने उन्‍हें दोहरी परेशानी में लाकर खड़ा कर दिया है. शनिवार को पाकिस्‍तानी रुपए में ऐतिहासिक गिरावट हुई थी और इसके बाद से ही देश की आर्थिक स्थिति चौपट होने के कयास लगाए जाने लगे थे. गौरतलब है कि पिछले साल जून में श्रीलंका में इसी तरह से पेट्रोल पंप पर लाइनें लगनी शुरू हुईं थीं और उसके बाद विद्रोह भड़क उठा था. उसके बाद ही दुनिया को पता लगा कि यह देश पूरी तरह से कंगाल हो गया है.कुछ वैसे ही हालात पाकिस्तान में भी बनते दिख रहे हैं.


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