आखिर बेइज्जत होकर ही कुर्सी छोड़ने पर क्यों अड़े हैं इमरान खान ?
पाकिस्तान में इमरान खान सरकार गिराने की पूरी तैयारी हो चुकी है और अब सेना ने भी साफ कह दिया है कि बेहतरी इसी में है कि वे खुद ही कुर्सी छोड़ दें, लेकिन प्रधानमंत्री इमरान खान अब भी झुकने को तैयार नहीं हैं. बाजी हारने से पहले उन्होंने बुधवार को अपने पठानी तेवर दिखाते हुए कहा कि वे किसी भी सूरत में इस्तीफा नहीं देंगे.
हालांकि अभी ये तय नहीं है कि विपक्ष द्वारा लाये गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा 25 को होगी या फिर 28 मार्च को, लेकिन संसद का सत्र शुक्रवार से शुरू हो रहा है और विपक्ष पहले दिन ही प्रस्ताव पर चर्चा कराने की मांग पर अड़ा हुआ है. जबकि सरकार इस पर 28 को बहस कराना चाहती है, ताकि इन तीन दिनों में उसे अपने बागी सांसदों को मनाने का वक़्त मिल जाए.
आज इमरान ने दावा किया है कि इस फ्लोर टेस्ट में उनकी सरकार हर हाल में जीत जाएगी. जबकि नंबर गेम की लिहाज से देखें, तो इमरान की सरकार अल्पमत के बादलों से घिर चुकी है क्योंकि बहुमत के जादुई आंकड़े से अब उसके पास 20 सांसद कम रह गए हैं. ऐसे में, आखिर वे किस आधार पर अपनी जीत की खयाली बिरयानी पका रहे हैं, ये तो वही बेहतर समझते होंगे. हालांकि सियासत में जो दिखता है, वही अक्सर होता नहीं है.
पाक सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने अपने तीन आला अफसरों से मशविरा करने के बाद मंगलवार को ही इमरान खान को ये सलाह दी थी कि इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की कॉन्फ्रेंस ख़त्म होते ही वे अपनी कुर्सी छोड़ दें. आज बुधवार को ये कॉन्फ्रेंस ख़त्म हो गई, लेकिन इमरान खान ने अविश्वास प्रस्ताव से पहले कुर्सी छोड़ने का संकेत देने की बजाय उल्टे ऐलान कर दिया कि वे इस्तीफा नहीं देंगे. बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में इमरान ने कहा कि अगर कोई सोचता है कि वह घर चले जाएंगे, वो वह गलत है. पाक राजनीति में विपक्ष की ताकत बनकर उभरे मौलाना फज़लुर रहमान को इमरान ने कोई तवज्जो न देते हुए उन्हें 12वां खिलाड़ी बताया और कहा कि अब उनको टीम से हटाने का वक्त आ गया है.
पाक राजनीति के जानकार मानते हैं कि इन दो दिनों में सेना क्या करती है, ये अभी साफ नहीं है क्योंकि इमरान सेना प्रमुख की सलाह ठुकरा चुके हैं. ये स्थिति सरकार और सेना के रिश्तों में जहर घोलने की तरह है. हालांकि बुधवार को ही नेशनल असेंबली में नेता प्रतिपक्ष शहबाज शरीफ ने ये दावा करके पुराने विवाद को फिर से जिंदा कर दिया कि इमरान खान ने साल 2019 में सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के कार्यकाल को विस्तार देने में जान-बूझकर देरी की थी, ताकि पूरी प्रक्रिया पर 'विवाद' उठे. शहबाज पाकिस्तान के तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके नवाज़ शरीफ के भाई हैं.
इस बीच पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इमरान खान के कुर्सी छोड़ने से पहले ही उनके खास करीबी रहे तीन लोग मुल्क छोड़ चुके हैं. इन रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इमरान के पूर्व एडवाइजर शहजाद अकबर, प्रिंसिपल व चीफ सेक्रेटरी रहे आजम खान और पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान जस्टिस गुलजार अहमद मुल्क छोड़कर जा चुके हैं. इन तीनों को इमरान का सबसे भरोसेमंद माना जाता था, लेकिन संकट के इस नाजुक मौके पर उन्होंने इमरान का साथ देने की बजाय खुद को बचाने पर ज्यादा अहमियत दी.
उधर, अमेरिका में रहने वाले पाकिस्तानी वकील, पत्रकार और सोशल वर्कर डॉक्टर साजिद तराड़ ने कहा है कि "इमरान के करीबियों के भागने का सिलसिला सिर्फ शुरू हुआ है. उनकी सरकार के अभी कम से कम 8 मिनिस्टर मुल्क छोड़ेंगे." माना जा रहा है कि तख्तापलट होते ही इन सभी मंत्रियों की भ्रष्टाचार के मामलों में गिरफ्तारी हो सकती है.
पाक राजनीति के जानकारों के मुताबिक अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने से पहले ही अगर इमरान खान इस्तीफा दे देते हैं, तो फिर भी उनकी कुछ इज्जत बची रहेगी वरना सियासी माहौल को देखते हुए बेइज्जत होकर नेशनल असेंबली से उनका रुख्सत होना तय है.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)