आतंकवाद की फैक्ट्री का मालिक आखिर कैसे पहुंच गया भुखमरी की कगार पर?
पाकिस्तान इन दिनों ऐसी बदहाली के दौर से गुजर रहा है कि वहां के कई प्रान्तों में रोटी के भी लाले पड़ गए हैं और लोग आटा न मिलने की सूरत में भुखमरी के कगार पर जा पहुंचे हैं, लेकिन आतंकवाद को पालने-पोसने वाले इसी पाकिस्तान को आठ साल पहले हमारी दिवंगत विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने दुनिया की सबसे बड़ी पंचायत यानी संयुक्त राष्ट्र के मंच से आगाह किया था. उन्होंने कहा था, "आपने आतंकवाद को फैलाने की जो फैक्ट्री लगाई हुई, वो आज भले ही आपको बहुत अच्छी लग रही है लेकिन वह दिन भी आयेगा कि यही आपके मुल्क की तबाही की सबसे बड़ी वजह भी बनेगी." सुषमा स्वराज की उस भविष्यवाणी को आज दुनिया अपनी आंखों से सच होते हुए देख भी रही है.
पाकिस्तान के अधिकांश प्रांत के लोग इस संकट से जूझ रहे हैं, लेकिन पाक अधिकृत कश्मीर कहलाने वाले पीओके व बलूचिस्तान के लोगों को कुछ ज्यादा मार इसलिये झेलनी पड़ रही है कि वहां सरकार के पास गेहूं का स्टॉक ही ख्त्म हो गया है और वो शाहबाज शरीफ वाली केंद्र सरकार से 6 लाख गेहूं के बोरे तत्काल भेजने की मांग कर रहे हैं. साथ ही वो चेता रहे हैं कि अगर ऐसा जल्द नहीं हुआ,तो हालात इतने बेकाबू जो जाएंगे कि इसे संभाला नहीं जा सकता. आपको याद होगा कि अभी साल भर पहले ही गृह मंत्री अमित शाह ने अपने भाषण में कहा था कि,बहुत जल्द पीओके भी दोबारा भारत का हिस्सा बनकर रहेगा.यही आवाज अब पीओके के अवाम ने भी उठानी शुरू कर दी है कि वे भारत में शामिल होना चाहते हैं क्योंकि वही उनकी तकलीफें दूर कर सकता है.
आटे के लिए एक दूसरे को नाले में रहे हैं फेंक
जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव होने तक पीओके पर भारत अगर अपना कब्जा कर ले तो किसी को हैरानी इसलिये नहीं होनी चाहिये क्योंकि वहां की जनता अब खुद ये चाहती है,जिसे संयुक्त राष्ट्र भी ठुकराने की हिम्मत नहीं कर पायेगा.अब बेशक इसे हम आटे और जरूरी चीजों का संकट समझें, लेकिन भारत के लिये वहां के आवाम ने ही ये रास्ता खोल दिया है कि वो उनकी इमदाद के लिए आगे आये.अब ये मोदी सरकार को तय करना है कि वो पीओके में रहने वाले और भारत की खूबियों का बखान करने वाले मुस्लिम अवाम की मदद कब और किस रुप में करती है, लेकिन इस हकीकत को तो मानना ही पड़ेगा कि पाकिस्तान में इस समय आटे के लिए जो मारामारी हो रही है वह अभूतपूर्व है.इसलिये कि अभी तक तो सिर्फ आटे की कमी ही मानी जा रही थी, लेकिन अब आटे के लिए लोग एक दूसरे से लड़ने लगे हैं.यानी वहां अराजकता ने अपना बिगुल बजा दिया है. इस बीच एक वीडियो सामने आया है, जिसमें दिख रहा है कि लोग आटे के लिए एक दूसरे को नाले में फेंक रहे हैं.
"द एक्सप्रेस ट्रिब्यून" के मुताबिक पाकिस्तान में आर्थिक संकट के बीच इस समय आटे की कीमत आसमान छू रही हैं. कराची में आटा 150 रुपए से 180 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया है. हालात ये है कि राजधानी इस्लामाबाद तक में 10 किलो आटे का थैला 1,700 रुपए तक में बेचा जा रहा है, जबकि 20 किग्रा आटा 3000 रुपए में मिल रहा है.पाकिस्तान में लोग एक तरफ महंगाई से जूझ रहे हैं तो दूसरी तरफ खाने के भी लाले पड़ गए हैं. एक वीडियो सामने आया है, जिसमें दिख रहा है कि आटे के लिए लोग भीड़ लगाए हुए हैं. सरकार की ओर से ट्रकों में सब्सिडी वाला आटा बेचा जा रहा है. इसे लेने के लिए लोग भीड़ लगा कर खड़े हैं. इस दौरान एक शख्स दूसरे को पास में बह रहे नाले में फेंक रहा है.जो शख्स लोगों को नाले में फेंक रहा है.उसे देख कर लगता है कि वह खुद भी नाले में गिरा था.
आटा 160 रुपए प्रति किग्रा की दर से जा रहा है बेचा
वीडियो में दिख रहा है कि उसके कुर्ता और पजामे पर नाले का गंदा पानी लगा है.माना जा रहा है कि भीड़ के कारण वह नाले में गिर गया था, लेकिन बाद में वहां से निकल कर उसने दूसरे लोगों को गंदगी में फेंकना शुरु कर दिया. वह पहले एक शख्स को नाले में फेंकता है जो नाले में खड़ा हो जाता है. इसके बाद वह बाकी लोगों की तरफ मुड़ता है तो उसे देख कर दूसरे लोग भागने लगते है.बाद में वह एक शख्स को पकड़ कर नाले में फेंकता है, जो पीठ के बल गिरता है. एक वीडियो और आया है, जिसमें लड़ाई देखी जा सकती है.दरअसल,पाकिस्तानी पंजाब के मिल मालिकों ने आटे का दाम बढ़ा दिया है. वे 160 रुपए प्रति किग्रा की दर से आटा बेच रहे हैं.
बलूचिस्तान के खाद्य मंत्री जमरक अचकजई ने कहा के कि राज्य में गेहूं का स्टॉक पूरी तरह से खत्म हो गया है और बलूचिस्तान को तत्काल प्रभाव से छह लाख बोरी गेहूं चाहिए, नहीं तो एक बड़ा संकट देखने को मिलेगा. इसी तरह देश के बाकी राज्यों में भी गेहूं का दाम बढ़ गया है. बलूचिस्तान ने दूसरे राज्यों से मदद मांगी थी, लेकिन उन्होंने साफ मना कर दिया.पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में तो आटे के अलावा अन्य खाद्य वस्तुओं की भी भारी कमी देखने को मिल रही है.यहां दंगे जैसे हालात बन रहे है. बाग और मुजफ्फराबाद (Muzaffarabad) सहित कई क्षेत्रों को भी आटे की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है और लोग इस्लामाबाद एवं पीओके सरकार को खाने की भारी कमी के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.हालात ऐसे हैं कि एक ओर जहां सब्सिडी वाले गेहूं की सरकारी आपूर्ति लगभग पूरी तरह से बंद हो गई है, वहीं दूसरी ओर अन्य आवश्यक वस्तुओं के दाम भी आसमान छू रहे हैं.
स्थिति के लिए सरकार को ठहराया है जिम्मेदार
दुकानों और किराना स्टोर से रसोई का सामान खत्म हो रहा है .गेहूं के आटे की कमी से ब्रेड और बेकरी आइटम्स की कीमतों में भी बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है.यही कारण है कि इस निराशाजनक हालात ने अराजकता की स्थिति पैदा कर दी है. पिछले कुछ दिनों में इस क्षेत्र में लोगों के बीच झड़प भी देखी गई हैं.स्थानीय लोगों ने इस स्थिति के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. मुजफ्फराबाद में प्रदर्शनकारी कह रहे हैं कि जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तब तक हम विरोध करते रहेंगे. इस विरोध का दायरा और भी बढ़ सकता है, जो एक जिले से दूसरे जिले में जा सकता है. अगर गरीब लोग रोटी के लिए तरसते हैं तो इसके लिए सरकार जिम्मेदार है. ये सरकार की जिम्मेदारी है.
कुछ लोगों ने कहा कि पीओके में लोगों के भोजन का मुख्य हिस्सा गेहूं है और उन्हें इस मुख्य भोजन से वंचित करने के विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं. वहां के व्यापारी कह रहे हैं कि,"आवश्यक सामान आम आदमी की पहुंच से बाहर हैं और हम मजबूर हैं क्योंकि सरकार हमारी मदद नहीं कर रही है. इस वजह से हमें होटलों को पूरी तरह से बंद करना पड़ा है हमें अपनी आपूर्ति पूरी तरह से नहीं मिल रही है, लिहाजा हम भी मजबूर हैं. आटा और घी की कीमत बहुत अधिक है और आसमान छूती कीमतों से जूझने के बजाय, हमने होटलों को बंद करना बेहतर समझा.' सच तो ये है कि पीओके में तो लोग सात दशकों से भी अधिक समय से भेदभाव का शिकार हो रहे हैं, लेकिन अब हालात विस्फोटक रूप ले रहे हैं."
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