राहुल की पिच पर नहीं खेल रही भाजपा, पीएम बना रहे हैं अपना नैरेटिव
भारत में लोकसभा चुनाव के तीन चरणों का मतदान खत्म होने के साथ अब चौथे चरण शुरू होने वाला है. दो चरणों के बाद राहुल गांधी के रायबरेली सीट से अपनी किस्मत आजमाने, पीएम मोदी द्वारा कुछ बेबाक बयान देने और विपक्ष के केंद्र सरकार पर सम्मिलित हमले ने थोड़ी सियासी गरमी तो बढ़ा दी है. इस बीच राजनीतिक गलियारों में बातें हो रहीं हैं कि प्रधानमंत्री मोदी संग बीजेपी राहुल गांधी की पिच पर खेल रही है. जैसे, राहुल गांधी पिछले 10 साल से अडानी और कभी-कभार अम्बानी के खिलाफ हमलावर रहे हैं. पहली बार पीएम ने उनका नाम लेकर कांग्रेस पर हमला बोला है. वैसे, कांग्रेस के नेता यह भी कह रहे हैं कि पीएम मोदी संविधान खत्म ना करने की जो बात कर रहे हैं, आदर जता रहे हैं, वह भी राहुल की ही वजह से कर रहे हैं.
राहुल की पिच ले रही टर्न
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी संविधान और अलपसंख्यकों के मुद्दे पर लगातार बोल रहे हैं. कई सभाओं में तो वह संविधान की प्रति लेकर भी दिखे हैं. इन मसलों पर भी प्रधानमंत्री ने हाल में टिप्पणियां कीं हैं. कुछ विश्लेषक शायद इसीलिए कह रहे हैं कि चौथे चरण तक उन्होंने चुनाव का रंग, बातें, तेवर बदलते देखे हैं, लेकिन अब बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी को कांग्रेस की पिच पर खेलते देख रहे हैं. याद करना चाहिए कि 2014 में सत्ता संभालने के बाद से प्रधानमंत्री कहते आए हैं, ''मैं 4 साल काम करता हूँ और 1 साल राजनीति'', और अब हम कह सकते हैं कि वे इस काल खंड में राजनीती कर रहे हैं. जहां तक बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी के कांग्रेस पिच पर खेलने की बात है तो हमें भूलना नहीं चाहिए बीजेपी का चिह्न कमल है और कमल केवल कीचड में खिलता है. जब हम संचार की बात करते हैं तो मैनेजमेंट के छात्रों को बेसिक लेवल पर सिखाया जाता है कि जिस से आपको संचार करना है, उसके स्तर पर आपको उतरना पड़ेगा. आज सब जानते हैं कि पिछले दस सालों में राहुल गांधी समेत पूरी कांग्रेस किस स्तर पर आयी है. राहुल गांधी के अडानी- म्बानी से राफेल जहाज़ तक लगाए गए आरोपों के सबूत/प्रमाणिकता की बातें तो छोड़ें उनका कोई स्तर भी नहीं हैं. जब एक राष्ट्रीय पार्टी जो देश पर 60-65 साल राज कर चुकी है, उसका चश्मोचिराग झूठ बोलता हो और साथ में पूरा इकोसिस्टम उस झूठ को सच बताने में लगा है. ऐसे में नरेंद्र मोदी वो नेता हैं जो फ्रंट से लीड करते हैं और इस बार हमें यही देखने को मिला है.
कांग्रेस की बातें दोहरी
कांग्रेस संविधान, लोकतंत्र तानशाही की बात करती है. देश में चल रही तानाशाही की बात करें तो जिस व्यक्ति को ये तानाशाह बताते हैं, जिसको 2 बार देश की जनता ने चुना है, जिस व्यक्ति पर 10 सालों में एक रुपए के भ्रष्टाचार का, किसी कदाचार का आरोप विपक्ष नहीं लगा पाया और बदले में वे प्रधानमंत्री पर ऊलजलूल टिप्पणियां करते हैं. इन व्यक्तिगत टिप्पणियों के साथ धर्म/समाज को सम्मिलित कर भी विरोधी पीएम पर टिप्पणियां करते हैं, और कहते हैं कि देश में अभिव्यक्ति की आज़ादी पर रोक है. संविधान इतना खतरे में होकर भी राहुल गाँधी की संसद सदस्य्ता बहाल करता है और सुप्रीम कोर्ट तो संविधान से ही चलता है. यह कोई व्यंग्य नहीं है, लेकिन अगर इस तरह देश में संविधान खतरे में हैं तो भगवान करे कि संविधान पर खतरा उत्तरोत्तर बढ़ता रहे, ये आरोप अनर्थक हैं. आज विपक्ष राजनीति का शिकार हो रहा है और ये राजनीती प्रधानमंत्री मोदी कर रहे हैं. प्रधानमंत्री अपने कामों को लेकर आगे बढ़ रहे हैं और इस समय उनके साथ एक बड़ा वर्ग लाभार्थियों का है. साथ ही वे यथास्थिति बनाने के मूड में हैं.
मुझे लगता है तीसरा चरण खत्म होने के साथ अब प्रधानमंत्री शुद्ध मनोरंजन दे रहे हैं. हम जानते हैं कि प्रधानमंत्री की एक बात के कई आयाम होते हैं तो उन्ही आयामों में से एक मनोरंजन है अगर आप राहुल गांधी के स्तर का मनोरंजन चाहते हैं तो प्रधानमंत्री के पास वो भी मौजूद है. वह बस अपने ऑडिएंस से, जनता से सार्थक संवाद कर रहे हैं.
कांग्रेस की पिच, पीएम बल्लेबाज
जहां तक कांग्रेस के मुद्दों पर प्रधानमंत्री की टिप्पणियों की बात है तो हमें भूलना नहीं चाहिए कि जब वे राजनीतिक रैलियों में इन मुद्दों पर बोल रहे हैं तो वहां वे प्रधानमंत्री के साथ-साथ बीजेपी के स्टार प्रचारक के रोल में भी हैं. अगर विपक्ष देश में भ्रम, फर्जी तथ्य फैलता है तो ऐसे में दूसरे पक्ष के नेताओं की नैतिक और राजनीतिक जिम्मेदारी है कि वे अपनी रैलियों में जन सभाओं में विपक्ष द्वारा खड़े किये गए झूठ की दीवारों को जनता के सामने ध्वस्त करें. प्रधानमंत्री मोदी भी झूठ की दीवारों को ध्वस्त कर रहे हैं. अब अगर इसे लोग कांग्रेस की पिच पर खेलना कह रहे हैं तो माना जाए कि प्रधानमंत्री विपक्ष द्वारा निर्मित झूठ,फरेब,अफवाह की पिच पर खेल रहे हैं. यह भी माना जाए कि वे सच के बोल जनता के सामने सच रख रहे हैं. जिस प्रधानमंत्री मोदी ने देश को 5 वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाया और तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की और अग्रसर हैं, क्या उसे इतना अधिकार नहीं हैं के देश के वेल्थ क्रिएटर्स के खिलाफ फैलाये जा रहे भ्रम पर जवाब दें ? किसने कहा है कि भारत का वेल्थ क्रिएटर सिर्फ गाली देने के लिए है. ऐसा किसी देश में नहीं होता.
विकास की पिच पर नरेंद्र मोदी
अगर कोई व्यक्ति या समूह कहता है कि प्रधानमंत्री अपनी रैलियों,भाषणों में विकास की बात नहीं करते तो ऐसे में उस व्यक्ति ने प्रधानमंत्री मोदी की कोई रैली नहीं देखी है. वे किस रैली की बात करते हैं जिनमें प्रधानमंत्री ने विकास की बात ना की हो. प्रधानमंत्री अपने भाषणों में सबसे पहले अपने काम गिनाते हैं. दिक्कत ये है कि मीडिया हो या सोशल मीडिया, उनके पूरे भाषण में से केवल वही हिस्सा लेते हैं जो उन्हें सूट करता है, ऐसे ही विपक्ष अपनी सहूलियत के हिसाब से उस पूरे भाषण में से एक लाइन उठाता है. प्रधानमंत्री के 45 मिनट के भाषण में वे 30 मिनट अपने कामों के बारे में बोलते हैं और 15 मिनट राजनीतिक बातें करते हैं.
ये भी 4 साल काम और 1 साल राजनीति वाले अनुपात जैसा है. एक राजनीतिक विश्लेषक की हैसियत से में क्षेत्रों में घूम रहा हूँ और में कह सकता हूँ के प्रधानमंत्री को अपने काम गिनाने की ज़रूरत नहीं पढ़ रही है, गांव- गांव में प्रधानमंत्री का काम स्वयं दिख रहा है सड़कों , स्वचालय, पानी के नालों के रूप में साथ ही बीजेपी का एक लाभार्थी वर्ग भी तैयार हो चुका है.