अफगानिस्तान में तख्तापलट करके बनी तालिबान की हुकूमत कहीं उस मुल्क को आतंकवाद का सबसे बड़ा चरागाह न बना दे. ये डर दुनिया के कई मुल्कों को सता रहा है लेकिन इस बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को जी-20 सम्मेलन को संबोधित करते हुए दोबारा जो चिंता जताई है और इसके खिलाफ अन्तराष्ट्रीय बिरादरी से जिस संयुक्त लड़ाई लड़ने का आव्हान किया है,उसके बहुत गहरे मायने हैं. वह इसलिये कि तालिबानी लड़ाकों का सबसे बड़ा आका पाकिस्तान है, जिसने उन्हें आतंक फैलाने से जुड़ी हर नई तकनीक की ट्रेनिंग दी है और अब वह इसका इस्तेमाल भारत की सरजमीं पर करना चाहता है या कह सकते हैं कि उसने इसकी शुरुआत भी कर दी है.
खुफिया सूत्रों की मानें,तो पिछले दिनों में कश्मीर घाटी में जिस सुनियोजित तरीके से हिंदुओं की हत्या को अंजाम दिया गया और जिसकी जिम्मेदारी एक नए आतंकी समूह ने ली है,वह पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई का ही एक नया खेल है जो भारत की सुरक्षा व खुफिया एजेंसी को गुमराह करने के लिए रचा गया है.ऐसा माना जा रहा है कि इन हमलों को अंजाम देने वाले आतंकी भी वही तालिबानी लड़ाके हैं,जिन्हें पाकिस्तान ने पाला-पोसा,ट्रेंड किया और अब उनका इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया जा रहा है.
लेकिन इस बीच भारत,अमेरिका समेत अमन-चैन रखने वाले तमाम देशों के लिए इराक़ से एक अच्छी खबर आई है. इस्लामिक स्टेट यानी IS आतंकवादियों का वह समूह है जिसने दुनिया के कई देशों में तबाही मचा रखी है.इराक़ भी उसका शिकार हो चुका है,लिहाज़ा वहां की खुफिया एजेंसी ने एक ऐसे खूंखार आतंकवादी को अपनी गिरफ्त में लिया है,जिस पर अमेरिका ने 50 लाख डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है.
इराक़ के प्रधानमंत्री मुस्तफा अल काधिमी ने सोशल मीडिया के जरिये इसकी जानकारी दी है.उनके मुताबिक पकड़ा गया आतंकी ISIS का फाइनेंस चीफ यानी आतंकी संगठन के लिए पैसा जुटाने और उसका खजाना संभालने वाला मुखिया है,जिसका नाम सामी जासिम Sami Jasim है.दावा किया गया है कि ये IS की बुनियाद रखने वाले अबू बकर अल बग़दादी का खासमखास और उसका डिप्टी है जिसे 11 अक्टूबर को बेहद मुश्किल भरे क्रॉस बॉर्डर ऑपेरशन के दौरान पकड़ा गया.
गौरतलब है कि रविवार को ही इराक़ में आम चुनाव हुए हैं,लिहाज़ा सुरक्षा एजेंसिया उसमें व्यस्त थीं लेकिन वहां की खुफिया एजेंसी INIS (इराक नेशनल इंटेलिजेंस सर्विसेज) ने देश की सीमा पर इस आपरेशन को अंजाम देकर एक बड़ी कामयाबी हासिल की है.ईराकी पीएम ने इसे अंजाम देने वाले कर्मियों को देश का बहादुर हीरो बताते हुए ट्वीटर पर लिखा-- Long live Iraq.
बता दें कि ठीक दो साल पहले यानी अक्टूबर 2019 में IS के स्वयम्भू ख़लीफ़ा अल बगदादी को पकड़ने के लिए अमेरिका की स्पेशल फ़ोर्स लगभग उसके नजदीक पहुंचने ही वाली थी कि उसने एक आत्मघाती धमाके में खुद को उड़ा लिया था.हालांकि इराक़ में पकड़े गए इस आतंकी को लेकर अन्तराष्ट्रीय मीडिया में भी फिलहाल बहुत विस्तार से जानकारी सामने नहीं आई है.लेकिन न्यूज़ चैनल 'अल जज़ीरा' के मुताबिक इराक़ सरकार ने इसे बहुत बड़ी उपलब्धि बताया है क्योंकि ये इराक़ व सीरिया में कई आतंकी हमलों का कसूरवार रहा है.वैसे अन्तराष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी AFP ने इराक़ी सेना के सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि उसे तुर्की से पकड़ा गया है.
अमेरिका के जिस स्टेट डिपार्टमेंट ने इस आतंकी का सुराग देने पर 50 लाख डॉलर का इनाम देने का एलान किया हुआ है,उसकी वेबसाइट पर इसका पूरा नाम
सामी जासिम मुहम्मद अल-जबूरी बताया गया है और साथ ही ये भी कहा गया है कि ये हाजी हामिद के नाम से भी जाना जाता है.इसे इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक़ एंड सीरिया (ISIS) का सीनियर लीडर बताते हुए कहा गया है कि ये इससे पहले अल कायदा इन इराक़ (AQI) का भी अहम सदस्य रहा है और आतंकी संगठन के लिए पैसा जुटाने का काम इसी के जिम्मे है.
जाहिर है कि इतने बड़े आतंकी की गिरफ्तारी सिर्फ इराक़ नहीं बल्कि अमेरिका व भारत के लिए भी एक सुकून भरी खबर है.इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता कि आतंकवाद का सफ़ाया करने में किस देश को बड़ी कामयाबी मिली.मकसद है,तमाम कूटनीतिक मतभेद भुलाकर इस वैश्विक चुनौती का डटकर मुकाबला करने की.यही कारण है कि पीएम मोदी ने अपने भाषण में सारा जोर इसी पर दिया था कि अफगानिस्तान का क्षेत्र कट्टरपंथ और आतंकवाद का जरिया न बन पाये.
इसीलिये उन्होंने कट्टरपंथ, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी के गठजोड़ के खिलाफ संयुक्त लड़ाई का आह्वान भी किया.उम्मीद करनी चाहिए कि इराक़ की इस कामयाबी से अमेरिका भी खुश होगा और आतंकवाद को नेस्तनाबूद करने के हौंसले और बुलंद होंगे.
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