पीएम मोदी का फ्रांस-अमेरिका दौरा महत्वपूर्ण, और प्रगाढ़ होगा संबंध, बनी भविष्य को लेकर रणनीति

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीन दिवसीय फ्रांस का दौरा किया और उसके बाद महाशक्ति अमेरिका पहुंचे. वहां पर डोनाल्ड ट्रंप के साथ ट्रैड, टैरिफ और डिफेंस समेत कई मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई. जहां तक फ्रांस दौरे की बात करें ये काफी महत्वपूर्ण रहा. पीएम मोदी और राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रों ने फ्रांस में आयोजित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समिट की सह-अध्यक्षता भी की.
पीएम मोदी ने एआई शिखर सम्मेलन के दौरान दुनियाभर के बड़े नेताओं और तकनीक क्षेत्र के बड़े उद्योगपतियों और सीईओ को संबोधित किया. इसके अलावा, पीएम मोदी की तकनीक क्षेत्र से जुड़े सीईओ के साथ एक विशेष बैठक भी हुई.
उस सम्मेलन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विवेकपूर्ण इस्तेमाल के संदर्भ में अपने विचार रखे. इस दौरान पीएम मोदी ने स्पष्ट रुप से कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विश्व समुदाय के लिए एक बड़ी संभावनाएं लेकर आया है.
एआई में भविष्य की संभावना
इसका सही से कैसे इस्तेमाल किया जाए, ताकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल अपने विकास और संपन्नता के लिए कर पाए. इसके साथ ही, पीएम मोदी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े चिंताओं को भी साझा किया. उन्होंने कहा कि इस एडवांस्ड टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल अगर विवेकपूर्ण तरीके से नहीं किया जाता है तो ये खतरा भी साबित हो सकता है. मानवता को संकट में डालने की भी स्थिति पैदा कर सकता है.
जाहिर है उनका फोकस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सम्यक और विवेकपूर्ण इस्तेमाल की तरफ था, जिससे मानवता बेहतर तरीके से लाभान्वित होगी. इस सम्मेलन के बाद भारत और फ्रांस के बीच द्विपक्षीय संबंधों में भी अनेकों महत्वपूर्ण डेवलपमेंट हुए.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों की पीएम मोदी के साथ गहरी मित्रता है. उनकी मित्रता का एक नमूना उस वक्त भी दिखा जब पेरिस से पीएम मोदी पेरिस से मार्सेल्स जा रहे थे, उस वक्त उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के साथ फ्रेंच प्रसिडेंशियल एयरक्राफ्ट में सफर किया. इस दौरान पेरिस से मार्सेल्स के बीच की यात्रा के दौरान अनेक विषयों पर चर्चा की, जिसके बारे में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी की तरफ से विस्तार से बताया भी गया.
मैक्रों-मोदी में गहरी मित्रता
भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने ये बताया कि फ्रांस की तरफ से जिस तरह की शानदार खातिरदारी दिखाई गई, भारतीय पीएम को फ्रांस के राष्ट्रपति के विमान में साथ सफर का न्यौता दिया, ये असाधारण स्वागत वाला कदम था. ये इस बात को दर्शाता है कि भारतीय पीएम मोदी की राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के साथ कितनी गहरी समझदारी और मित्रता है. क्योंकि, उनके बॉडी लैंग्वेज में जिस तरह से वे मिलते हैं, वो सबकुछ उसमें रिफ्लेक्ट हो रहा था.
भारतीय प्रधानमंत्री का ये फ्रांस का छठा दौरा था. इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच अपार संभावनाओं पर चर्चा हुई है. इस दौरान खासकर डिफेंस, एनर्जी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर गंभीर चर्चा हुई. पिछले करीब 25 वर्षों से चली आ रही भारत और फ्रांस की रणनीतिक साझेदारी आने वाले समय में और अधिक प्रगाढ़ और मजबूत होगी.
जहां तक डिफेंस सेक्टर की बात है तो भारत और फ्रांस के बीच डिफेंस पार्टनरशिप बेहतर हुई है. हाल में भारत ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदे हैं. राफेल के दो स्क्वाड्रन आ चुके हैं और यथोचित जगहों पर उसकी तैनाती भी की जा चुकी है. उससे भारत की पॉजिशन ऑफ स्ट्रेन्थ तमाम चुनौतियों के बावजूद मजबूत हुई है. इससे फ्रांस और भारत की रक्षा भागीदारी और ज्यादा प्रगाढ़ हुई है. आने वाले समय में इस बात की भी प्रबल संभावना है कि भारत एयरक्राफ्ट कैरियर्स के लिए फ्रांस के विमान पर अपनी संस्तुति दे सकता है.
हालांकि, इस यात्रा के दौरान राफेल एम के दौरान कोई घोषणा नहीं हुई, लेकिन उस पर बातचीत चल रही है. साथ ही साथ जो स्कॉर्पीन पनडुब्बियां हैं, उसकी तीन पनडुब्बियों को भारत लेने की प्रक्रिया में है और दोनों देशों के नेताओं ने इस पर अपनी संतुष्टि जाहिर की है. भारत और फ्रांस के बीच जो न्यूक्लियर एनर्जी पर बातचीत भी आगे बढ़ी. इस संबंध में स्मॉल मॉड्युलर रिएक्टर और मॉड्युलर रिएक्टर पर सहमति बनी है और भारत ने फ्रांस के सहयोग से जो जैतापुर न्यूक्लियर प्लांट बन रहा है, उस पर भी दोनों नेताओं ने बातचीत की और उसको कैसे जल्द से जल्द पूरा किया जाए, उस पर भी दोनों नेताओं ने बातचीत की.
भारत और फ्रांस के बीच स्पेस सेक्टर में भी सहयोग पर चर्चा हुई है और जाहिर है कि रणनीतिक साझीदारी भी इस यात्रा के बाद सशक्त हुई है. अगर इसके महत्व के बारे में कहा जाए, तो यह खास संबंध है और यह हमारे साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और चुनौतियों पर आधारित है. इसमें एक विशिष्ट बात यह है कि भारत अपनी रक्षा नीति, विदेश नीति आदि के संचालन में रणनीतिक ऑटोनॉमी को एक्सरसाइज करता है. फ्रांस भी स्वतंत्र तरीके से दुनियावी मुद्दों पर सोचता है और भारत भी. तो, ये जो तत्व है, स्ट्रेटेजिक ऑटोनॉमी का, वह थोड़ा करीब लाता है दोनों देशों को. पूरे विश्व में जब रणनीतिक और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ रही है, महाशक्तियों के बीच हथियारों की होड़ बढ़ रही है और एक नए शीतयुद्ध की जब संभावना हो रही हो, तब फ्रांस और भारत का स्वतंत्र और संतुलित तरीके से आगे बढ़ना बहुत फायदे और कायदे की बात है.
[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]
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