PM Modi Joe Biden Meeting: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को जब व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से आमने-सामने की पहली मुलाकात कर रहे थे, तो उस पर दुनिया के तमाम देशों की निगाहें लगी हुई थीं, ये देखने के लिए विश्व की महाशक्ति कहलाने वाला मुल्क दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक ताकत को कितनी तवज्जो देता है. पर, अमेरिकी हुक्मरान की समझ और दूरदृष्टि सोच की तारीफ इसलिये भी की जानी चाहिए कि उन्होंने भारत को उम्मीद से भी कहीं ज्यादा गर्मजोशी भरा महत्व  देकर दुनिया को ये संदेश दे दिया है कि दोनों की ये दोस्ती आगे जाकर बहुत कुछ गुल खिलाने वाली है.


जाहिर है कि अमेरिका-भारत के लिए पहले से ही खार खाये देशों को ये दोस्ताना भला कैसे रास आ सकता है, सो उन्हें आया भी नहीं होगा. खासकर चीन, पाकिस्तान, ईरान, तुर्की और कुछ हद तक रूस की भी नींद इसलिये उड़ गई है कि अब ये दोनों ताकतें मिलकर उनके मंसूबों को इतनी आसानी से तो पूरा बिल्कुल भी नहीं होने देंगी. चीन ने तो चार देशों के समूह क्वाड की बैठक पर निशाना साधते हुए अपनी बौखलाहट बताने में जरा भी देर नहीं लगाई. हालांकि देर-सवेर पाकिस्तान व रूस भी इसी नक्शे कदम पर चलते हुए अपना रोना रोयेंगे. ईरान वैसे तो भारत का दुश्मन नहीं है, लेकिन परमाणु हथियार बनाने को लेकर अमेरिका से उसकी खुन्नस पहले से ही चली आ रही है, सो वो भी ये दोस्ती बर्दाश्त नहीं करेगा. जहां तक तुर्की की बात है, तो वो पाकिस्तान का खैरख्वाह है, लेकिन कश्मीर का मसला उठाने को लेकर तीन दिन पहले ही संयुक्त राष्ट्र की महासभा में उसे भारत का करारा जवाब मिल चुका है.


लेकिन मोदी-बाइडेन की इस मुलाकात का सबसे महत्वपूर्ण पहलू ये था कि भारत ने जता दिया कि अब वो तीन दशक पहले वाला देश नहीं रहा, जिसे अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए महाशक्ति के आगे गिड़गिड़ाना पड़े. भारत ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए अपनी तरफ से व्यापार या सामरिक क्षेत्र से जुड़े जैसे मसलों को लेकर जितनी भी प्राथमिकताएं गिनाईं, उनमें से किसी एक पर भी अमेरिका ने इनकार नहीं किया, बल्कि हर मुद्दे पर सहमति जताई. ये महज उपलब्धि नहीं है बल्कि अन्तराष्ट्रीय बिरादरी के लिए संदेश भी है कि भारत आज इतना ताकतवर हो चुका है कि उसकी बात मानने से इनकार करना, एक महाशक्ति के लिए भी अब उतना आसान नहीं है.


भारत के लिए ये भी गर्व का विषय है कि प्रधानमंत्री मोदी के सामने अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस सच्चाई को स्वीकार किया है कि अमेरिका को मजबूत करने में भारतीय मूल के लोगों का बहुत बड़ा योगदान है. दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत की शुरुआत करते हुए जो बाइडेन ने जो कुछ कहा, वो हमारे लिए बहुत मायने रखता है और ये भी बताता है कि अब दोनों देश किस दिशा की तरफ आगे बढ़ने वाले हैं. बाइडेन ने कहा कि, "आज हम भारत-अमेरिका संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत कर रहे हैं. हर रोज़ चार मिलियन (यानी 40 लाख) भारतीय अमेरिकी, अमेरिका को मजबूत बना रहे हैं." इस बयान का संदेश बिल्कुल स्पष्ट है कि अमेरिका इस हक़ीक़त को जानता है कि उसकी तरक्की में भारतीय प्रतिभाओं की बेहद अहम भूमिका है, चाहे वो आईटी सेक्टर हो, बिज़नेस हो या फिर कोई और क्षेत्र हो.


वैसे तो जो बाइडेन अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति हैं लेकिन इससे पहले जब वे उप राष्ट्रपति थे, तब 2014 में भी पीएम मोदी से उनकी मुलाकात हुई थी. कल हुई इस बैठक में पीएम मोदी ने उस मुलाकात का हवाला देते हुए जो बाइडेन से कहा कि "मेरा और मेरे प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी से स्वागत करने के लिए आपको धन्यवाद देता हूं. 2014 में आपसे चर्चा करने का अवसर मिला और आपने भारत-अमेरिका संबंधों के लिए अपना जो दृष्टिकोण रखा था, वो प्रेरक था. आज राष्ट्रपति के रूप में अपने उसी विजन को आगे बढ़ाने के लिए आप पहल कर रहे हैं. भारत और अमेरिका के बीच और भी मजबूत दोस्ती के लिए बीज बोए गए हैं."


हालांकि दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच वैसे तो कई मुद्दों पर बातचीत हुई लेकिन पीएम मोदी ने दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने पर भी ज्यादा जोर दिया, जो आने वाले दिनों में भारत की अर्थव्यवस्था को तरक्की के रास्ते पर ले जा सकता है. मोदी ने कहा कि "भारत और अमेरिका के बीच व्यापार का अपना महत्व है. इस दशक में ट्रेड के क्षेत्र में भी हम एक दूसरे को काफी मदद कर सकते हैं. बहुत सी चीजें हैं जो अमेरिका के पास हैं जिनकी भारत को जरूरत है. बहुत सी चीजें भारत के पास हैं जो अमेरिका के काम आ सकती हैं. ये दशक उस ट्रस्टीशिप के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है, महात्मा गांधी हमेशा इस बात की वकालत करते थे कि इस प्लेनेट के हम ट्रस्टी हैं. ये ट्रस्टीशिप की भावना भी भारत और अमेरिका के बीच के संबंधों में बहुत अहमियत रखेगी."


इस सच से भला कौन इनकार कर सकता है कि अमेरिका इतना समृद्धशाली मुल्क है कि अगर वो चाहे तो चंद सालों में ही एक साथ कई देशों की आर्थिक सेहत को तंदरुस्त बना सकता है. यही वजह थी कि मोदी ने अमेरिका की नामी कंपनियों के सीईओ से अलग से मुलाकात कर उन्हें भारत में निवेश करने का न्योता दिया. उस मुलाकात की जो खबरें आईं हैं, उसके  मुताबिक अमेरिका की कुछ बड़ी कंपनियों ने मोदी के ऑफर को स्वीकार करते हुए भरोसा दिलाया है कि वे जल्द ही भारत में निवेश करने की योजना के साथ यहां आएंगी. अगर ऐसा होता है, तो निश्चित ही भारत के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि इसलिये होगी क्योंकि इससे रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे.


अमेरिकी राष्ट्रपति के सरकारी आवास व्हाइट हाउस में वहां के 32वें राष्ट्रपति फ्रेंकलिन डी.रूज़वेल्ट की याद में एक कमरा बना हुआ है, जहां दुनिया से आने वाला हर मेहमान उसे देखने के बाद वहां रखी आगंतुक पुस्तिका में अपनी याद को शब्दों में पिरोता है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी उस पर दोस्ती के इस नए अहसास की एक इबारत लिखी है. उम्मीद करनी चाहिए कि वो स्याही इतनी जल्द नहीं मिटेगी.


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