एक्सप्लोरर

अफगानिस्तान पर पीएम मोदी की बैठक ही तय करेगी भारत का निर्णायक रुख

अफगानिस्तान में दशहतगर्दी के बीच हुए तख्तापलट के बाद भारत का रुख साफ करने और उसे सार्वजनिक करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 अगस्त को जो सर्वदलीय बैठक बुलाई है.  इस बैठक की सराहना इसलिए भी की जानी चाहिये कि ये महज़ विदेश नीति से जुड़ा मामला नहीं है,बल्कि देश की सुरक्षा पर मंडराते खतरे के बादलों की वो बिजली है,जो देर सवेर हमें भी अपना शिकार बना सकती है.  मुद्दा ये नहीं है कि भारत ने वहां कितने हज़ारों करोड़ रुपयों का निवेश कर रखा है और तालिबान के हुकूमत में आने के बाद उसका क्या होगा, उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण ये है कि चीन,पाकिस्तान और तालिबान की जुगलबंदी अगर परवान चढ़ गई तो भारत एक ही वक़्त पर इन तीन ताकतों के साथ आखिर कैसे निपटेगा?

लिहाज़ा सरकार भी इसे एक ऐसी चुनौती मानते हुए समूचे विपक्ष को साथ लेना चाहती है, जिसका खतरा कभी भी हमारी दहलीज़ पर दस्तक दे सकता है.  विपक्षी दलों को सब कुछ बताकर और पड़ोसी मुल्कों का रवैया देखने के बावजूद मोदी सरकार ये कभी नहीं चाहेगी कि अफगानिस्तान में बनने वाली सरकार को मान्यता देने में जरा-सी भी कोई जल्दबाज़ी दिखाई जाए.  हालांकि भारत ने पहले भी कभी ताकीबान को मान्यता नहीं दी है. सिर्फ़ एक बार दिसंबर 1999 में जब इंडियन एयरलाइन्स के विमान का इन्हीं तालिबानियों ने अपहरण कर लिया था और उसे कंधार ले गए थे, तब पहली और आख़िरी बार भारत ने तालिबान के कमांडरों से औपचारिक बातचीत की थी. उसके बाद से ही भारत ने हमेशा ख़ुद को तालिबान से दूर ही रखा.

वैसे अगर गौर करें,तो अमेरिकी फ़ौजों के हटने की प्रक्रिया से पहले, जब कतर की राजधानी दोहा में तालिबान के नेताओं के साथ वार्ता के दौर चले, तब भी भारत सरकार ने उनके साथ खुद को 'एंगेज' नहीं करने का ही फ़ैसला लिया.  आरोप लगते रहे कि केंद्र सरकार ने पीछे के दरवाज़े से तालिबान के नेतृत्व से बातचीत की है लेकिन सरकार ने इसका खंडन ही किया है.

लेकिन मौजूदा वक़्त में अंतराष्ट्रीय स्तर पर हो रहे  जिस तरह के घटनाक्रम की खबरें सामने आ रहीं हैं,वे हमारी चिंता का एक बड़ा सबब हैं. हालाँकि फिलहाल ये सिर्फ कयास हैं लेकिन अगर हक़ीक़त मे रूस और ईरान  ने भी तालिबान की सरकार को मान्यता दे दी,तब वो स्थिति हमारे लिए ज्यादा मुश्किल भरी होगी. चूँकि ईरान के रिश्ते भी अमेरिका के साथ ठीक नहीं हैं और अमेरिका ने उस पर लगाई गई आर्थिक पाबंदियों को अभी तक हटाया नहीं है. इसलिए जानकार मानते हैं कि वो भी तालिबान को मान्यता देने के पक्ष में ही नज़र आ रहा है.  ये स्थिति अगर बनती है,तो वो भारत के लिए बड़ी चिंता की बात होंगी. यही कारण है कि  विदेश व सामरिक मामलों के अधिकांश विशेषज्ञों का जोर इस बात पर ही है कि मोदी सरकार को फिलहाल 'वेट एंड वाच' की नीति पर अमल करते हुए ये देखना होगा कि अमेरिका समेत अन्य कितने पश्चिमी देश तालिबान को मान्यता देते हैं. उसके बाद ही कोई फैसला लेने में हमारी समझदारी व देश की भलाई है.

वैसे तो 20 बरस बाद तालिबान की दोबारा वापसी ने समूचे मध्य व दक्षिण एशिया के देशों की सुरक्षा-चिंता बढ़ा दी है. लेकिन भारत के लिए ये खतरा बहुत बड़ा इसलिये है कि पाकिस्तान,इस तालिबान का सबसे बड़ा हमदर्द है और वो हमेशा इसी फिराक में रहेगा कि किसी भी तरह से इन लड़ाकों की घुसपैठ कश्मीर घाटी में करा दी जाये. वैसे भी खबर ये है कि तकरीबन 20 हजार तालिबानी लड़ाकों का ठिकाना पीओके का  ऐटबाबाद ही रहा है,जहां पाकिस्तानी सेना ने उन्हें अत्याधुनिक हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी है. सो,ऐसा नहीं है कि हमारी सरकार के पास इसकी पुख्ता जानकारी न हो.

ये भी सच है कि किसी भी देश की विदेश-नीति सत्ता की कमान संभालने वाली सरकार ही तय करती है,विपक्ष नहीं करता.  लेकिन जब किसी ऐसे मुल्क की सल्तनत चरमपंथियों के हाथ आ जाये,जिससे हमारा गहरा नाता जुड़ा हुआ हो और जिसकी वजह से समूचे देश की आंतरिक सुरक्षा पर खतरे के घने बादल मंडरा रहे हों, तब हुकूमत करने वालों का सबसे बड़ा इक़बाल यही होता है कि वे अपने तमाम सियासी  विरोधियों से मशविरा भी करें और सच्चाई भी उनके सामने रखें.

लेकिन इस बीच अफगानिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री गुलबुद्दीन हिकमतयार के एक बयान ने भारत की चिंता और बढ़ा दी है. उन्होंने कहा है कि "भारत को अफ़ग़ानिस्तान के भविष्य को लेकर बयान जारी करने के बजाय अपने देश के मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए. और भारत सरकार को अफ़ग़ानिस्तान की ज़मीन से कश्मीर की लड़ाई नहीं लड़नी चाहिए. "

ये वही हिकमतयार हैं जिन्हें अफ़ग़ानिस्तान के इतिहास का सबसे विवादित हुक्मरान समझा जाता है है.  एक ज़माने में उन्हें 'बूचड़ ऑफ़ काबुल' यानी काबुल का कसाई कहा जाता था. उन्होंने 80 के दशक में अफ़ग़ानिस्तान पर सोवियत संघ के क़ब्ज़े के बाद मुजाहिद्दीनों की अगुवाई की थी.  उस समय ऐसे करीब सात गुट थे लेकिन वे अफ़ग़ानिस्तान के दूसरे बड़े चरमपंथी गुट हिज़्ब-ए-इस्लामी के नेता रहे हैं हिकमतयार को अमेरिका ने 2003 में आतंकवादी घोषित किया था क्योंकि उन पर तालिबान के हमलों का समर्थन करने का आरोप लगा था. लेकिन हर तरह के जुगाड़ में माहिर हिकमतयार ने 'आतंकवादी' होने का तमगा अपने सिर से हटवा लिया और 2017 में वे 20 साल बाद दोबारा अफगानिस्तान लौट आये. अब वे तालिबान के सबसे बड़े खैरख्वाह बने हुए हैं.

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

दिल्ली-NCR और यूपी में होगी बारिश, इन राज्यों में पड़ेगी कड़ाके की ठंड! जानें IMD का अपडेट
दिल्ली-NCR और यूपी में होगी बारिश, इन राज्यों में पड़ेगी कड़ाके की ठंड! जानें IMD का अपडेट
BJP नेता नितेश राणे किया बड़ा दावा, 'कांग्रेस में शामिल होने के लिए संजय राउत...'
'कांग्रेस में शामिल होने के लिए बैठकें कर रहे संजय राउत', नितेश राणे का बड़ा दावा
सालों से बेरोजगार है ‘रंगीला गर्ल’, एक गलती ने बर्बाद कर दिया था टॉप करियर, जानें वजह
सालों से बेरोजगार है ‘रंगीला गर्ल’, एक गलती ने बर्बाद कर दिया था टॉप करियर
Virat Kohli: फैंस दे रहे थे गालियां, उधर हिमांशु सांगवान से जा मिले विराट कोहली; बोले - क्या गेंद थी, मजा आ गया
फैंस दे रहे थे गालियां, उधर हिमांशु सांगवान से जा मिले विराट कोहली; बोले - क्या गेंद थी, मजा आ गया
ABP Premium

वीडियोज

Breaking News: Mahakumbh में व्यवस्थाओं को लेकर ABP News की एक और खबर का बड़ा असर | ABP NewsMahakumbh 2025: पीपा पुलों के बंद होने से कुंभ आए क्षद्धालु हुए नाराज, सुनिए क्या कहा ? | ABP NewsMahakumbh 2025: यूपी पुलिस का धक्का देने वाला कारनामा कैमरे में हो गया कैद | Breaking | ABP NewsJanhit with Chitra Tripathi: दिल्ली का मिडिल क्लास, चुनाव में खास! | Union Budget   | Delhi Election | ABP NEWS

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
दिल्ली-NCR और यूपी में होगी बारिश, इन राज्यों में पड़ेगी कड़ाके की ठंड! जानें IMD का अपडेट
दिल्ली-NCR और यूपी में होगी बारिश, इन राज्यों में पड़ेगी कड़ाके की ठंड! जानें IMD का अपडेट
BJP नेता नितेश राणे किया बड़ा दावा, 'कांग्रेस में शामिल होने के लिए संजय राउत...'
'कांग्रेस में शामिल होने के लिए बैठकें कर रहे संजय राउत', नितेश राणे का बड़ा दावा
सालों से बेरोजगार है ‘रंगीला गर्ल’, एक गलती ने बर्बाद कर दिया था टॉप करियर, जानें वजह
सालों से बेरोजगार है ‘रंगीला गर्ल’, एक गलती ने बर्बाद कर दिया था टॉप करियर
Virat Kohli: फैंस दे रहे थे गालियां, उधर हिमांशु सांगवान से जा मिले विराट कोहली; बोले - क्या गेंद थी, मजा आ गया
फैंस दे रहे थे गालियां, उधर हिमांशु सांगवान से जा मिले विराट कोहली; बोले - क्या गेंद थी, मजा आ गया
ट्रंप ने निभाई दोस्ती! चीन, कनाडा और मेक्सिको को दिया टैरिफ का तगड़ा झटका, लेकिन लिस्ट में भारत का नाम नहीं
ट्रंप ने निभाई दोस्ती! चीन, कनाडा और मेक्सिको को दिया टैरिफ का तगड़ा झटका, लेकिन लिस्ट में भारत का नाम नहीं
फरवरी शुरू होते ही होने लगा गर्मी का एहसास, जानें ये आपकी सेहत के लिए कैसे खतरनाक
फरवरी शुरू होते ही होने लगा गर्मी का एहसास, जानें ये आपकी सेहत के लिए कैसे खतरनाक
एलन मस्क की तुलना नारायण मूर्ति और एसएन सुब्रमण्यम से क्यों हो रही है, शुरू हो गई वीकेंड वर्क का नई जंग
एलन मस्क की तुलना नारायण मूर्ति और एसएन सुब्रमण्यम से क्यों हो रही है, शुरू हो गई वीकेंड वर्क का नई जंग
बिजनसमैन से वसूली, फिर ब्लैकमेल, उद्धव ठाकरे गुट के पूर्व कॉर्पोरेटर को पुलिस ने किया अरेस्ट
बिजनसमैन से वसूली, फिर ब्लैकमेल, उद्धव ठाकरे गुट के पूर्व कॉर्पोरेटर को पुलिस ने किया अरेस्ट
Embed widget