रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पहले विदेशी दौरे पर आज जर्मनी पहुंचे जहां उन्हें गर्म जोशी भरा सम्मान मिला. पीएम मोदी का तीन दिन का यूरोप दौरा इस मायने में भी अहम है कि जर्मनी समेत यूरोपीय संघ पूरी तरह से रूस के ख़िलाफ़ हैं, जबकि भारत ने इस युद्ध को लेकर तटस्थ नीति अपना रखी है. लेकिन पीएम मोदी ने बर्लिन की धरती से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को साफ लहजे में जो संदेश दिया है, उसे अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक जगत में बेहद अहम माना जा रहा है और इसकी तारीफ भी हो रही है.
पीएम मोदी ने यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि युद्ध किसी भी समस्या का हल नहीं है और इसमें किसी की भी जीत नहीं होती है. मोदी ने जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज की मौजूदगी में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को संदेश देते हुए कहा कि, जंग से सिर्फ नुकसान ही होता है. जंग का असर दुनिया के सभी देशों पर पड़ा है. अलग-अलग देशों में रहने वाले हर परिवार पर इसका असर पड़ा है. पीएम मोदी ने कहा कि, भारत शांति का पैरोकार है और भारत को दुनिया के हर हिस्से में शांति चाहिए. सभी मसलों का हल बातचीत से होना चाहिए.
गौरतलब है कि मोदी ने युद्ध शुरू होने के कुछ दिनों बाद ही पुतिन से फोन पर लंबी बातचीत करते हुए उन्हें युद्ध रोककर बातचीत के जरिये मसले का हल खोजने की सलाह दी थी. लेकिन पुतिन ने मोदी समेत दुनिया के किसी भी राष्ट्राध्यक्ष की सलाह को नहीं माना और वे आज भी अपनी उसी ज़िद पर अड़े हुए हैं.
इसीलिये पीएम मोदी को एडॉल्फ हिटलर की इसी धरती से आज ये कहना पड़ा कि जंग की वजह से खाने के सामनों के दाम बढ़े हैं और खाद की कमी हुई है. साथ ही तेल के दाम भी जंग के कारण ही बढ़ रहे हैं. लेकिन मोदी जर्मनी समेत पूरे यूरोप को ये याद दिलाना नहीं भूले कि भारत की तरफ से यूक्रेन के लोगों को मदद पहुंचाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी गई.
बता दें कि जर्मनी पिछले दो दशक से भी ज्यादा वक्त से भारत का सामरिक साझेदार है. लेकिन मोदी की यह यात्रा भारत जर्मनी के बीच संबंधों को और मजबूत करने का भविष्य का खाका तैयार करने के मकसद से भी अहम है. पीएम मोदी को वहां मिले गार्ड ऑफ ऑनर के सम्मान से जाहिर होता है कि जर्मनी के लिए भारत कितनी अहमियत रखता है. जाहिर है कि मोदी और जर्मनी के चांसलर ओलाफ़ शॉल्ज के बीच हुई मुलाकात में द्विपक्षीय संबंधों को लेकर हुई चर्चा में रूस-यूक्रेन का मुद्दा उठने के बाद ही मोदी ने के बड़ी बात कही है.
दरअसल, जर्मनी समेत यूरोपीय संघ के देश चाहते हैं कि यूक्रेन के मसले पर भारत भी उनका साथ देते हुए नजर आए. लेकिन भारत शुरु से ही किसी एक देश का पक्ष लिए बगैर अपनी उस पुरानी नीति पर अडिग है कि किसी भी हालत में दुनिया के किसी भी देश में युद्ध नहीं होना चाहिए.
वैसे पीएम मोदी के बर्लिन पहुंचने से पहले ही अंग्रेज़ी अख़बार 'द इंडियन एक्सप्रेस' को दिए खास इंटरव्यू में शॉल्स ने कहा था कि, "उन्हें भरोसा है कि भारत और जर्मनी के बीच रूस की उन कार्रवाइयों को लेकर व्यापक समझौता है जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करता है."
उन्होंने ये भी कहा, ''विश्वास है कि दोनों देश इस बात पर एकमत हैं कि 'आम नागरिकों के खिलाफ जनसंहार युद्ध अपराध है और इसके जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए.' उन्होंने बताया कि 'जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जंग' और स्थायी विकास के लिए प्रयासों पर चर्चा भी दोनों नेताओं की वार्ता के मुख्य एजेंडा में शामिल है. वहीं, यूरोपीय संघ और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर पहुँचने को भी उन्होंने एक 'अहम क़दम' बताया.
दरअसल, रूस को लेकर जर्मनी और भारत की स्थिति लगभग समान है. भारत सैन्य साजो सामान की आपूर्ति के लिए रूस पर निर्भर है, तो वहीं जर्मनी भी ऊर्जा के लिए रूस पर आश्रित है. ऐसे में शॉल्त्स से जब पूछा गया कि क्या रूस पर निर्भरता के मामले में भारत और जर्मनी एक जैसी स्थिति में हैं लेकिन यूक्रेन पर आक्रमण के बाद दोनों की प्रतिक्रिया में अंतर है तो उन्होंने कहा, "यूक्रेन में रूस के हमले से घर, जीवन सब बर्बाद हो गए हैं. मैंने राष्ट्रपति पुतिन से पहले भी कहा और आज भी कहूंगा कि वो अभी इसी वक़्त युद्ध को ख़त्म करें."
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