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पीएम मोदी के भाषण ने कर दिया 2024 के चुनाव का एजेंडा सेट ?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को विपक्ष को चौतरफा घेरने के लिये अपने भाषण में जिन तीखे शब्द बाणों का इस्तेमाल किया है. उन्होंने एक तरह से 2024 के लोकसभा चुनावों का एजेंडा सेट कर दिया है. देश के 140 करोड़ लोगों से सीधे जुड़ने के लिए जहां उन्होंने अपने इमोशन को खुलकर व्यक्त किया, तो वहीं आतंकियों के आगे घुटने न टेकने की बहादुरी का इज़हार करते हुए विपक्षी सरकारों के कुकर्मों को उजागर करने में भी कोई कंजूसी नहीं बरती. बीते नौ साल में भारत की आर्थिक तरक्की का इज़हार करते हुए मशहूर कवि दुष्यंत कुमार की दो पंक्तियों के जरिये मोदी ने ये भी बता दिया कि विपक्ष कितनी पोली जमीन पर खड़ा है. कह सकते हैं कि पूरे भाषण में राहुल गांधी का नाम लिए बगैर उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा से उत्साहित कांग्रेस को धोबी पाट वाले दांव से पूरी तरह धो डाला.

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए हालांकि पीएम मोदी ने अडानी समूह के विवाद पर लगाये गए आरोपों का कोई जिक्र न करके एक बार फिर ये साबित करने की कोशिश की है कि एक मंझा हुआ राजनेता विपक्ष के बिछाये जाल में इतनी आसानी से नहीं फंसा करता. अंग्रेजी की एक कहावत है- Kill them by ignorance. यानी अपने दुश्मन से बदला लेने का सबसे अच्छा तरीका है कि उसकी उपेक्षा करिये. लिहाज़ा इस मामले में मोदी ने भी वही तरीका अपनाते हुए विपक्ष के आरोपों को रत्ती भर भी तवज्जो देना जरुरी नहीं समझा. ये भी "चाणक्य नीति" का ही एक सूत्र है और पिछले 22 साल में मोदी अक्सर इस सूत्र का बखूबी उपयोग करते रहे हैं. 

दरअसल,बीते सालों में भी मोदी ने इस मौके पर संसद के दोनों सदनों में जो भाषण दिए हैं, उसमें  विपक्ष पर हमला करने के लिए वे शायराना अंदाज़ में ही नज़र आये हैं. बुधवार को भी उन्होंने अपने लंबे भाषण में काका हाथरसी से लेकर दुष्यंत कुमार की कविताओं की पंक्तियों के जरिये विपक्ष को आईना दिखाने की कोशिश की है. उन्होंने शायद ही ऐसा कोई मुद्दा छोड़ा जो पिछले करीब नौ साल की उनकी सरकार की उपलब्धियों से न जुड़ा हुआ हो या फिर कांग्रेस सरकार की कारगुजारियों का बखान न करता हो.

वैसे तो मोदी ने अपने भाषण में बहुत सारी बातें कही हैं लेकिन उन्होंने दावा किया कि 2030 का दशक भारत का होगा और दुनिया उसी रूप में भारत को देखेगी. अपनी सरकार की उपलब्धियों को बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में उभर रहा है. दुनिया भारत की समृद्धि में अपनी समृद्धि देखती है. निराशा में डूबे कुछ लोग इस देश के विकास को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर बल दिया जा रहा है. पीएम मोदी ने दावा किया कि 2014 से पहले का दशक हमेशा द लॉस्ट डिकेड के रूप में याद किया जाएगा, लेकिन 2030 का दशक भारत का दशक है.

इससे कोई इनकार नहीं कर सकता कि मोदी खुद को देश की जनता से सीधे जोड़ने वाली कला में माहिर हैं और इसके लिए वे अपने इमोशन का बेहतरी से इस्तेमाल करते हैं. मोदी ने कहा कि  जो अहंकार में डूबे रहते हैं, उनको लगता है कि मुझे गाली देकर ही हमारा रास्ता निकलेगा. गलत आरोप लगा कर ही आगे बढ़ पाएंगे. मोदी पर देश का यह भरोसा अखबार की सुर्ख़ियों और टीवी पर चमकते चेहरों से नहीं हुआ है. जनता ने हम पर विश्वास जताया है.मेरे पास 140 करोड़ लोगों के भरोसे का सुरक्षा कवच है,जो ऐसे ही हासिल नहीं हो गया. मंगलवार को राहुल गांधी ने अपने भाषण में हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक स्टडी का हवाला देते हुए सरकार पर हमला बोला था. 

मोदी ने आज राहुल का नाम लिए बगैर उन्हें जवाब देते हुए तंज़ कसा कि मैंने कई बार सुना है कि यहां कुछ लोगों को हॉर्वर्ड का बड़ा क्रेज है. कोरोनाकाल में भी ऐसा ही कहा गया था और कांग्रेस ने कहा था कि भारत की बर्बादी पर हॉर्वर्ड में केस स्टडी होगी और फिर कल सदन में हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी में स्टडी की बात हुई, लेकिन बीते वर्षों में वहां एक बहुत बढ़िया और महत्वपूर्ण स्टडी हुई. उसका विषय था- द राइज एंड डिक्लाइन ऑफ इंडियाज कांग्रेस पार्टी. मुझे विश्वास है कि भविष्य में कांग्रेस की बर्बादी पर हॉर्वर्ड नहीं, बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों में अध्ययन होना ही होना है और कांग्रेस को डुबाने वाले लोगों पर भी अध्ययन होने वाला है. ऐसे लोगों के लिए दुष्यंत कुमार ने बहुत बढ़िया बात कही है. उन्होंने कहा है- 'तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीन नहीं, कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं?' पिछले साल 7 फरवरी को राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा के दौरान भी पीएम मोदी ने कांग्रेस पर हमला करने के लिए शेरो- शायरी का इस्तेमाल किया था. तब उन्होंने कहा था-

"वो जब दिन को रात कहें तो तुरंत मान जाओ, 
नहीं मानोगे तो वो दिन में नकाब ओढ़ लेंगे
जरूरत हुई तो हकीकत को थोड़ा बहुत मरोड़ लेंगे
वो मगरूर है खुद की समझ पर बेइंतहा
उन्हें आइना मत दिखाओ, वो आईने को भी तोड़ देंगे."

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रूपइससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

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