लगता है कि जम्मू कश्मीर में फिर से अमन की बयार लौटने वाली है, जिसकी शुरुआत 24 जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राज्य के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ होने वाली बैठक है. इस बैठक के लिए पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस समेत सूबे की 14 पार्टियों को न्योता दिया गया है, जिससे संकेत मिल रहा है कि राज्य में राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने के लिए आम सहमति बनाने और अमन बहाली की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है. सूत्रों की मानें, तो अगले साल उत्तर प्रदेश, ,उत्तराखंड, पंजाब आदि राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के साथ ही मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर में भी चुनाव कराने के मूड में दिख रही है.


हालांकि ऐसे कयास भी लगाए जा रहे हैं कि इस बैठक के जरिये केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा देने की तैयारी में है. साथ ही राज्य की प्रस्तावित विधान सभा में कुछ और सीटें बढ़ाकर इसकी संख्या को 90 तक किया जा सकता है. राज्य का विशेष दर्जा ख़त्म किये जाने से पहले विधानसभा में 87 सीटें थीं, लेकिन 5 अगस्त 2019 को लद्दाख को अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाये जाने के बाद यह संख्या घटकर 83 रह गई है. सूत्रों के मुताबिक राज्य में डीलिमिटेशन की प्रक्रिया लगभग ख़त्म होने वाली है और बताते हैं कि आयोग सूबे में सात और नई सीटें बढ़ाने की सिफारिश करने की तैयारी में है. इनमें से चार जम्मू क्षेत्र में जबकि तीन सीटें कश्मीर घाटी में बढ़ने के आसार हैं.


उल्लेखनीय है कि पांच अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा ख़त्म किए जाने के बाद यह इस तरह की पहली बैठक होगी जिसमें पीएम मोदी के साथ सूबे की सभी प्रमुख पार्टियों के नेता गुफ़्तगू करेंगे. जिन 14 नेताओं को बातचीत का निमंत्रण दिया गया है, उनमें पीडीपी की महबूबा मुफ़्ती के अलावा, नेशनल कॉन्फ़्रेंस के फ़ारूक़ अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला, पीपल्स कॉन्फ़्रेंस के सज्जाद लोन और मुज़फ़्फ़र हुसैन बेग, सीपीएम के एमवाई तारिगामी, कांग्रेस के जीए मीर और ग़ुलाम नबी आज़ाद, जेके अपनी पार्टी के अल्ताफ़ बुख़ारी शामिल हैं. वहीं, जम्मू के जिन नेताओं को इसमें शामिल होने का न्योता दिया गया है, उनमें निर्मल सिंह, रविंद्र रैना, भीम सिंह, कविंद्र गुप्ता और तारा चंद शामिल हैं.


हालांकि कश्मीर के कई नेता अब यह मानने लगे हैं कि केंद्र की मोदी सरकार अब कश्मीर को लेकर नरम रवैया अपना रही है. कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लिए जाने के बाद कई राजनेताओं को हिरासत में रखा गया था, जिन्हें बाद में धीरे-धीरे रिहा कर दिया गया लेकिन अभी भी कुछ नेता नज़रबंद हैं.


दरअसल, पीएम की यह सर्वदलीय बैठक एक तरह से राज्य में राजनीतिक ख़ामोशी को तोड़ने की कोशिश है और इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी संदेश दिया जाएगा. विशेष राज्य का दर्जा वापस लिये जाने के बाद अब तक केवल ज़िला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनाव हुए हैं और अब पीएम मोदी के नेतृत्व में होने वाली बैठक को विधानसभा चुनाव की तैयारियों के तौर पर देखा जा रहा है ताकि सीटों के परिसीमन समेत कई मुद्दों पर चर्चा हो सके.


लेकिन पाकिस्तानी मीडिया में इस बैठक को लेकर अलग ही तरह की चर्चा हो रही है. 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून 'अख़बार ने लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिए जाने पर चर्चा हो सकती है.


वहीं अख़बार आगे लिखता है कि पाकिस्तान ने इस सप्ताह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष को पत्र लिखकर 'विवादित क्षेत्र को बांटने और जनसांख्यिकीय परिवर्तन की आ रही रिपोर्ट को लेकर चिंता जताई थी.' हालांकि पाकिस्तान अनुमान लगा रहा है कि मोदी सरकार कश्मीर में कुछ ऐसे बदलाव कर सकती है, जिससे भारत-पाकिस्तान के बीच नया तनाव पैदा हो सकता है. 


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)