गंगा एक्सप्रेसवे क्या 'गंगा पुत्र' को दिला पायेगा बड़ी जीत ?
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव की घोषणा जल्द होने वाली है और इसका एलान होते ही आचार संहिता लागू हो जाएगी, लिहाज़ा योगी सरकार पिछले कुछ दिनों से ताबड़तोड़ नई योजनाओं का शिलान्यास करके चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने में जुटी है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में गंगा एक्सप्रेस-वे की आधारशिला रखी तो उस पर भी सियासत शुरू हो गई.
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर निशाना साधा कि वो यूपी के लोगों की आंखों में धूल झोक रही है क्योंकि आज जिस गंगा परियोजना का शिलान्यास किया गया है, उसकी शुरुआत तो पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में ही हो चुकी थी. उनका आरोप है कि बीजेपी सरकार मायावती द्वारा शुरू किये गए प्रोजेक्ट का ही शिलान्यास कर रही है. लेकिन सवाल ये है कि ये गंगा एक्सप्रेसवे क्या गंगापुत्र योगी आदित्यनाथ को दोबारा सत्ता की मंजिल तक पहुंचाने में मददगार बन पाएगा?
हालांकि करीब 594 किलोमीटर लंबे और छह लेन वाले इस एक्सप्रेसवे की आधारशिला रखते हुए मोदी ने मां गंगा के बहाने योगी सरकार की तारीफ करने में कोई कंजूसी नहीं बरती. उन्होंने कहा, ‘’मां गंगा सारे मंगलों की, सारी उन्नति प्रगति की स्रोत हैं. मां गंगा सारे सुख देती हैं और सारी पीड़ा हर लेती हैं. ऐसे ही गंगा एक्सप्रेसवे भी यूपी की प्रगति के नए द्वार खोलेगा. ये जो आज यूपी में एक्सप्रेसवे का जाल बिछ रहा है, जो नए एयरपोर्ट बनाए जा रहे हैं, नए रेलवे रूट बन रहे हैं, वो यूपी के लोगों के लिए अनेक वरदान एक साथ लेकर आ रहे हैं.’’
माफिया राज के खात्मे और उनकी गैरकानूनी संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने के योगी सरकार के फैसले की तारीफ करते हुए मोदी ने एक नया शब्द भी गढ़ दिया और उसकी व्याख्या करते हुए बताया कि UP+YOGI जो कि बहुत है UPYOGI. लेकिन मोदी की इस व्याख्या पर पलटवार करने में अखिलेश ने जरा भी देर नहीं लगाई. उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि यूपी के सीएम योगी उपयोगी नहीं बल्कि अनुपयोगी हैं. अखिलेश ने अपने ट्वीट में लिखा, "हाथरस की बेटी, लखीमपुर का किसान, गोरखपुर का व्यापारी, असुरक्षित महिला, बेरोज़गार युवा, पीड़ित दलित-पिछड़े सब कह रहे हैं… यूपी के लिए वर्तमान सरकार उपयोगी नहीं, अनुपयोगी है. यूपी वाले कह रहे हैं अगर कोई ‘उप-योगी’ है; तो ‘मुख्य-योगी’ कौन है. वैसे मोदी के दिये इस नए शब्द से पहले भी अखिलेश ने जनता के लिए एक नारा दिया था-यूपी को योगी नहीं, योग्य सरकार चाहिए."
इस बीच चुनाव से पहले यूपी में बीजेपी की सहयोगी निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद बीजेपी के लिए बड़ा सिरदर्द बनते दिख रहे हैं. उन्हें उम्मीद थी कि अमित शाह कल यूपी में हुई अपनी रैली में निषाद समुदाय के लिए आरक्षण की घोषणा करेंगे लेकिन ऐसा न होने पर वे मोदी सरकार से खफा हो गए हैं. उन्होंने कहा कि कल आरक्षण की घोषणा न होने से मेरे लोग केवल निराश ही नहीं बल्कि नाराज़ हुए हैं. अमित शाह कम से कम कुछ तो बोल देते. जो मुद्दे 72 घंटे में हल हो सकते हैं, उसके लिए इतना वक्त क्यों? जो हमारे समाज का काम नहीं कर सकते तो समाज किस नाते वोट देगा?
निषाद ने एक तरह से बीजेपी को यह कहते हुए अल्टीमेटम दे दिया है कि BJP को अगर 2022 में सरकार चाहिए तो तत्काल हमारे मुद्दे हल होने चाहिए. उनका दावा है कि इस संबंध में शाह से उनकी बातचीत हो चुकी थी, फिर भी एलान न किए जाने की वजह को मैं समझ नहीं पाया.
संजय निषाद ने कहा कि राजनीतिक फैसले मंच पर खड़े होकर नहीं किए जाते हैं. आज BJP जज की भूमिका में है और मैं वकील हूं. कल जब कोई दूसरा जज होगा तब देखा जाएगा. संजय निषाद ने कहा, ‘’हमारा आरक्षण जब देश आजाद हुआ है, उस वक्त से ही लागू है. 1992 तक ये आरक्षण हमें मिलता रहा है. बहुजन समाज पार्टी ने इसे लूटने का प्रयास किया. सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट भी कहती है कि जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी हिस्सेदारी."
यूपी में निषाद समुदाय का खासा वोट बैंक है और उसे कायम रखने के लिए संजय निषाद को मनाना अब बीजेपी की मजबूरी बन गई है.
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