वेटिकन सिटी के पोप से पीएम मोदी की मुलाकात के क्या हैं मायने?
सदियों पहले ईसा मसीह ने कहा था-“यदि जो तुम्हारे भीतर है उसे सामने लाओ, तो वो तुम्हे बचाएगा. अगर जो तुम्हारे भीतर है उसे सामने नहीं लाते हो, तो वो तुम्हे नष्ट कर देगा. ” 22 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जीसस के इसी वाक्य को अपना मंत्र मानते हुए दुनिया में कैथोलिक ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु माने जाने वाले पोप से मुलाकात करके इस आरोप को झुठला दिया था कि उनकी पार्टी या आरएसएस भारत में ईसाई समुदाय के खिलाफ कोई नफ़रत रखती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उससे भी एक कदम आगे चलकर और वेटिकन सिटी जाकर पोप फ्रांसिस से जो गर्मजोशी भरी मुलाकात की है,उसके वैश्विक स्तर पर बेहद गहरे मायने हैं,जिसे कूटनीतिक भाषा में एक तीर से कई निशाने साधना कहा जाता है. मोदी और पोप के बीच हुई इस मुलाकात की दो महत्वपूर्ण बातें हैं,जो आने वाले दिनों में भारत की ताकत में और इज़ाफ़ा करने वाली हैं. पहली ये कि मोदी ने पोप फ्रांसिस को भारत आने का जो न्योता दिया,उसे उन्होंने बेहिचक स्वीकार किया है. और दूसरी यह कि इस मुलाकात का उस आरएसएस ने आधिकारिक रुप से स्वागत किया है,जिस पर विपक्षी दल अक्सर ईसाई मिशनरियों को तंग करने का आरोप लगाते रहे हैं. दरअसल,ये मुलाकात उन इस्लामिक देशों के लिए भी एक बड़ा संदेश है,जो आतंकवाद को पालते-पोस्ते हैं और उसके जरिये दुनिया में इस्लामी हुकूमत कायम करने का ख्वाब देखते हैं.
हालांकि मोदी देश के ऐसे पांचवे प्रधानमंत्री हैं,जिन्होंने पोप से मुलाकात की है लेकिन दुनिया में इस्लामिक आतंकवाद के बढ़ते खतरे को लेकर पोप ने जितनी तवज्जो मोदी को दी है,उतनी शायद ही पहले किसी को मिली हो. उसकी वजह भी है क्योंकि इस मुलाकात का वक़्त ससिर्फ 20 मिनिट तय किया गया था लेकिन पोप फ्रांसिस,मोदी की बातों से इस कदर प्रभावित थे कि दोनों के बीच ये बैठक एक घंटे तक चली. बड़ी बात ये भी है कि संघ ने इस मुलाकात की तारीफ करके अपने तमाम विरोधयों को निरुत्तर कर दिया है. वह इसलिये कि संघ पर आकसर ये आरोप लगते रहे हैं कि उसने 'वनवासी कल्याण परिषद' की स्थापना ही इसलिये की थी,ताकि आदिवासी इलाकों में ईसाई मिशनरियों द्वारा किये जा रहे धर्मांतरण को रोका जा सके. प्रधानमंत्री की किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष के साथ हुई मुलाकात पर संघ अमूमन कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है. लेकिन शनिवार को मोदी-पोप की इस बैठक पर आरएसएस के सह-सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, ने कहा, "एक राष्ट्राध्यक्ष का दूसरे राष्ट्राध्यक्ष से मिलना स्वाभाविक है. वेटिकन एक मान्यता प्राप्त राज्य है. हम इस बैठक का स्वागत करते हैं, क्योंकि हम 'वसुधैव कुटुम्बकम' यानी विश्व एक परिवार है,वाली भावना में विश्वास करते हैं. "
राजनीतिक विश्लेषक अपने हिसाब से इसके कई अर्थ निकाल रहे हैं लेकिन इसका सबसे बड़ा मतलब यही निकाला जा रहा है कि मोदी ने इस्लामी आतंकवाद से लड़ने के लिए एक बड़ी लाइन खींचने की शुरुआत कर दी है. इसकी सबसे बड़ी वजह और दूरदर्शी वाली सोच ये है कि भारत की तरह ही अमेरिका समेत अन्य ईसाई बहुल मुल्क भी इस्लामी आतंकवाद से सबसे अधिक पीड़ित हैं. सो,इस लड़ाई को अकेले अपने बूते पर लड़ना भारत के लिए एक बड़ी व कठिन चुनौती है. इसके लिए ज़रुरी है कि अमेरिका समेत उन तमाम ईसाई बहुल देशों का साथ लिया जाए,जो इस आतंकवाद का शिकार बने हुए हैं. लिहाज़ा,मोदी के साथ हुई पोप की इस गर्मजोशी भरी मुलाकात से ऐसे सभी देशों को ये संदेश मिल गया है कि आगे भारत के साथ कितने गहरे रिश्ते रखने है. रही-सही कसर पोप की आगामी भारत-यात्रा से पूरी हो जायेगी. इसीलिये कहा जाता है कि मोदी अपनी राजनीति को उस रणनीति में बदल कर कामयाबी की सीढ़ी चढ़ लेते लेते हैं,जिसके बारे में उनके विरोधी सोच भी नहीं पाते.
मुद्दा आतंकावाद से लड़ाई का हो या फिर कोई और हो लेकिन पोप व मोदी की इस मुलाकात के महत्व का अंदाज़ा इससे ही लगा सकते हैं कि दुनिया की लगभग सवा सात अरब आबादी में से तकरीबन ढाई अरब लोग ईसाई धर्म को मानने वाले हैं,इसीलिये वह विश्व का सबसे बड़ा धर्म माना जाता है. सबसे बड़ा ईसाई संप्रदाय कैथोलिक चर्च है, संयुक्त राज्य अमेरिका में दुनिया की सबसे बड़ी ईसाई आबादी है, उसके बाद ब्राजील और मेक्सिको का नंबर आता है. यूरोप समेत दुनिया के दो दर्ज़न से भी ज्यादा देशों में ईसाई आबादी ही सबसे अधिक है,जबकि इंडोनेशिया, मध्य एशिया और मध्य पूर्व के देशों में इस्लाम धर्म के बाद ईसाई ही दूसरा सबसे बड़ा धर्म है.
अगर भारत की बात करें,तो साल 2011 की जनगणना के अनुसार जमारे यहां ईसाई तीसरा सबसे बड़ा धार्मिक समुदाय है. भारत में इनकी जनसंख्या कुल आबादी का 2. 3 प्रतिशत है. रोमन कैथोलिक केरल, गोवा व मिजोरम के साथ ही अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों में एक प्रभावशाली समुदाय है. साथ ही, एशिया में भारत ही ऐसा देश है जहां दूसरी सबसे बड़ी कैथोलिक आबादी है.
नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.