लोकसभा चुनाव के सिर्फ दो चरण बाकी हैं और यूपी में लड़ाई अब पूर्वांचल की बची है। 27 सीटों का ये रण ख़ासा निर्णायक रहने वाला है, जिसे सभी पार्टियां बखूबी समझ रही हैं। 2014 में आजमगढ़ की सीट को छोड़ दें तो बाकी सभी सीटों पर भाजपा और उसके सहयोगियों का कब्जा रहा लेकिन इस बार गणित थोड़ी बदली है क्योंकि तब सपा और बसपा बंटे थे आज एक साथ हैं।


कांग्रेस की अगुवाई के चेहरे पुराने थे। इस बार कांग्रेस की कमान राहुल के हाथ में है तो पूर्वांचल का जिम्मा बहन प्रियंका के पास, जो महासचिव हैं। आखिरी दौर की ये जंग अब सीधे-सीधे भ्रष्टाचार के मुद्दे पर टिक गई है। ये वो मुद्दा है जिसे लेकर राहुल गांधी लंबे समय से पीएम मोदी को घेरने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन पीएम मोदी ने गांधी परिवार पर इमोशनल अटैक करते हुए लड़ाई को राजीव गांधी और बोफोर्स कांड तक पहुंचा दिया है। ऐसे में सवाल यही है कि



‘चौकीदार चोर’ बनाम ‘भ्रष्टाचारी नंबर-1’ की लड़ाई कौन जीतेगा ? सवाल ये भी है कि जनता के मुद्दे नहीं, व्यक्तिगत दुश्मनी में बदल गया लोकसभा चुनाव ? जो पूर्वांचल 2019 के लोकसभा चुनाव का सबसे बड़ा रणक्षेत्र बना है उसकी जंग में कौन कितना दमदार है?


16 दिन बाद 23 मई को आने वाले नतीजों से पहले 12 और 19 मई की आखिरी जंग बाकी है और इस जंग से पहले जुबानों की धार और तेज हो गई है। बीजेपी और कांग्रेस अब खुल्लम खुल्ला एक दूसरे को कोस रहे हैं। शर्म और हया की दीवार तोड़ कर बयान दिए जा रहे हैं। मुद्दा गरमाया पीएम मोदी के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर दिए बयान के बाद जिसका जवाब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल और महासचिव प्रियंका गांधी ने निजी तौर पर तो दिया ही, पार्टी भी इसे लेकर चुनाव आयोग के दरवाजे पर पहुंच गई, जहां उसने पीएम के प्रचार पर फौरन रोक की मांग के साथ ही प्रभावी कार्रवाई 48 घंटे में करने की बात कही है।


चुनाव आयोग कार्रवाई करेगा, इसे लेकर भले ही संशय हो, मगर पीएम के बयान की टाइमिंग को लेकर साफ है कि अमेठी और रायबरेली के चुनावों से पहले इस बयान के ज़रिए पीएम मोदी ने राहुल के चौकीदार चोर है को लेकर करारा जवाब दिया है यही वजह है कि बीजेपी भी मानती है कि कांग्रेस तिलमिलाई हुई है और अब तो पीएम खुद बोल रहे हैं कि कांग्रेस में हिम्मत है तो राजीव गांधी के मुद्दे पर उनसे खुलेआम दो-दो हाथ कर ले।


दरअसल दो दौर की लड़ाई में यूपी का सबसे अहम ठिकाना पूर्वांचल का बचा है जहां पीएम मोदी, सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव मौर्य की साख का इम्तेहान होना है उधर कांग्रेस ने इसी इलाके का जिम्मा पार्टी में महासचिव के तौर पर शामिल हुई प्रियंका का सौंपा है, जिनके सियासी रसूख का मिजाज परखना है और यही वह इलाका है, जहां गठबंधन अलग-अलग रहते हुए, बीजेपी के लिए बड़ी चुनौतियां खड़ी करता रहा है। हालांकि 2014 के आम चुनाव में 29 सीटों में से बीजेपी ने 27 सीटें जीत कर विपक्षियों का सूपड़ा साफ कर दिया था लेकिन उपचुनावों में पहली बार सियासी दूरियों को मिटा कर बने गठबंधन ने बीजेपी से उसके गढ़ में ही दोनों सीटें हथिया ली।


2 सीटों के उपचुनाव के करिश्मे को पूरे प्रदेश में दोहराने की मंशा गठबंधन की है वहीं कांग्रेस भी बीजेपी से मुकाबले में पीछे नहीं रहना चाहती दोनों मिलकर मुकाबले की त्रिकोणीय तस्वीर पेश कर रहे हैं। हालांकि बीजेपी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है। खुद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ 74+ बात कर रहे हैं।


भ्रष्टाचार हमेशा से देश के लिए एक बड़ा मुद्दा रहा है। हकीकत ये है कि 2014 में मोदी सरकार को मिले प्रचंड बहुमत के पीछे यूपीए सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की बड़ी भूमिका रही है लेकिन पिछले पांच साल से सरकार प्रधानमंत्री मोदी की है। ऐसे में भ्रष्टाचार मुद्दा बनेगा तो समीक्षा मौजूदा सरकार की होगी। राजीव गांधी या किसी भी दिवंगत प्रधानमंत्री का हवाला देकर भ्रष्टाचार के ख़िलाफ जंग को धार नहीं दी जा सकती। कांग्रेस को यूपीए के कार्यकाल की सजा मिल चुकी है। ऐसे में ये जंग सिर्फ भ्रष्टाचार के ख़िलाफ नहीं बल्कि पीएम मोदी और गांधी परिवार की परंपरागत लड़ाई ज्यादा नज़र आ रही है। और जनता भी इसे कमोबेश इसी नजर से समझ रही है।