कोरोना की दूसरी लहर से निपटने में ढिलाई बरतने पर देश-विदेश के मीडिया में मोदी सरकार को जिस आलोचना का सामना करना पड़ा था, उसे देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दरकिनार करते हुए आज सरकार को एक तरह से 'क्लीन चिट' दे दी है. भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में इस महामारी का मुकाबला पूरी मजबूती से करने के लिए न सिर्फ सरकार की पीठ थपथपाई बल्कि दुनिया के उन विकसित मुल्कों से इसकी तुलना भी करी, जो इस संकट का सामना करने में पूरी तरह से सफल नहीं हो सके.


'महामारी का डटकर किया सामना'
राष्ट्रपति ने कहा कि "कोविड की दूसरी लहर से हमारी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे पर बहुत दबाव पड़ा है. सच तो यह है कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं समेत, किसी भी देश का बुनियादी ढांचा, इस विकराल संकट का सामना करने में समर्थ सिद्ध नहीं हुआ. हमनें स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए युद्ध-स्तर पर प्रयास किए. देश के नेतृत्व ने इस चुनौती का डटकर सामना किया." हालांकि राष्ट्रपति के अभिभाषण का अंतिम स्वरुप अक्सर सरकार में बैठे नुमाइंदों द्वारा ही तैयार किया जाता है, इसलिये इसमें सारा फोकस अलग-अलग मोर्चे पर सरकार के किये कामों व उपलब्धियों पर ही होता है. लेकिन फिर भी सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठे शख्स की कही बातों का अपना अलग महत्व होता है, जो देश की जनता में सरकार की सकारात्मक छवि पेश करने का संदेश देने में कारगर सिद्ध होता है.


वैक्सीन के लिए की वैज्ञानिकों की सराहना की
कोरोना की वैक्सीन कम समय में तैयार करने के लिए राष्ट्रपति ने जहां वैज्ञानिकों की सराहना की है,तो वहीं लोगों को आगाह भी किया है कि इस वायरस का असर अभी ख़त्म नहीं हुआ है,लिहाज़ा लगातार सावधानी बरतना जरुरी है.वैक्सीन को सर्वोत्तम सुरक्षा कवच बताते हुए उन्होंने इस पर भी जोर दिया कि सभी देशवासी प्रोटोकॉल के अनुरूप जल्दी से जल्दी वैक्सीन लगवा लें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें.


'जान गंवाने से ज्यादा जानें बचाईं' 
राष्ट्रपति ने इस अभिभाषण के जरिये सरकार पर लगाये गए उन आरोपों को भी परोक्ष रुप से खारिज़ किया है जिसमें कहा गया था कि कोरोना से हुई मौतों के वास्तविक आंकड़ों को सरकार ने छुपाया है. राष्ट्रपति ने कहा, "हमें इस बात का संतोष है कि इस महामारी में हमनें जितने लोगों की जानें गंवाई हैं, उससे अधिक लोगों की प्राण रक्षा कर सके हैं. एक बार फिर, हम अपने सामूहिक संकल्प के बल पर ही दूसरी लहर में कमी देख पा रहे हैं. हर तरह के जोखिम उठाते हुए, हमारे डॉक्टरों, नर्सों, स्वास्थ्य कर्मियों, प्रशासकों और अन्य कोरोना योद्धाओं के प्रयासों से कोरोना की दूसरी लहर पर काबू पाया जा रहा है.


'निम्न वर्ग के लिए उठाए कठोर कदम '
महामारी को देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी विनाशकारी बताते हुए राष्ट्रपति ने सरकार की इस बात के लिए सराहना की है कि इन सबके बावजूद गरीबों व निम्न वर्ग के लोगों का ख्याल रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. उनके मुताबिक इस महामारी का प्रभाव अर्थव्यवस्था के लिए उतना ही विनाशकारी है, जितना लोगों के स्वास्थ्य के लिए. फिर भी सरकार गरीब और निम्न मध्यम वर्ग के लोगों के साथ-साथ छोटे और मध्यम उद्योगों की समस्याओं के विषय में भी चिंतित रही है. सरकार, उन मजदूरों और उद्यमियों की जरूरतों के प्रति भी संवेदनशील रही है जिन्हें लॉकडाउन और आवागमन पर प्रतिबंधों के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है. उनकी जरूरतों को समझते हुए सरकार ने पिछले वर्ष उन्हें राहत प्रदान करने के लिए बहुत से कदम उठाए थे. इस वर्ष भी सरकार ने मई और जून में करीब 80 करोड़ लोगों को अनाज उपलब्ध कराया और अब यह सहायता दीपावली तक के लिए बढ़ा दी गई है.


मेडिकल खर्चे का दिया आंकड़ा
राष्ट्रपति ने अपने भाषण में एक महत्वपूर्ण आंकड़े का जिक्र किया है और वो ये है कि कोरोना महामारी के बाद केंद्र सरकार देश में मेडिकल सुविधाओं को बढ़ाने के लिए कितना पैसा खर्च कर रही है. उनके मुताबिक यह तथ्य विशेष रूप से संतोषजनक है कि चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार के लिए एक वर्ष की अवधि में ही 23220 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. 


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)