एक्सप्लोरर

ब्लॉग: चुनाव की बाल्टी और प्यासी जनता

राहुल गांधी से बेंगलूरु में पूछा गया कि अगर 2019 में कांग्रेस सत्ता में आई तो क्या वह प्रधानमंत्री बनना पसंद करेंगे. इस पर राहुल गांधी का जवाब था कि अगर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी तो वह जरुर प्रधानमंत्री बनना पसंद करेंगे. राहुल गांधी ने पहली बार प्रधानमंत्री बनने के सवाल पर सीधा जवाब दिया है और अपनी मंशा भी साफ कर दी है. लिहाजा यह बड़ी खबर है जिस पर अलग अलग दलों के नेताओं के बयान आने शुरु हो गये हैं. अब सवाल उठता है कि क्या राहुल गांधी इस सवाल के जवाब से बच सकते थे. क्या उन्हें बचना चाहिए था और गोलमोल जवाब दे देना चाहिए था.

यह सवाल इसलिए उठाया जा रहा है कि बीजेपी तो यही चाहती है कि 2019 का लोकसभा चुनाव नरेन्द्र मोदी बनाम राहुल गांधी हो जाए और राहुल गांधी ने ऐसा जवाब देकर बीजेपी का काम आसान कर दिया है. राहुल गांधी चाहते तो कह सकते थे कि कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है और चुनाव नतीजे आने के बाद संसदीय दल की बैठक में सासंद अपने नेता का चुनाव करते हैं और 2019 में भी ऐसा ही होगा. लेकिन राहुल गांधी ने सीधे सीधे कह दिया कि वह तैयार हैं. कर्नाटक चुनाव का प्रचार चरम पर है और इसके बीच जो सवाल पूछा गया उसका राहुल ने वही जवाब दिया जो कि इस समय दिया जाना जरुरी था.

अगर वह बच निकलने की कोशिश करते तो बीजेपी उन्हें जिम्मेदारी से भागने वाला बता देती. वैसे भी बीजेपी का कहना है कि दस साल राहुल गांधी देश के शैडो पीएम रहे और अब पीएम बनने का मौका उन्हें नहीं मिलने वाला है. बीजेपी के साथ के दल भी राहुल गांधी की काबीलियत पर सवाल उठा रहे हैं और कुछ का कहना है कि उन्हें अभी बहुत मेहनत करने की जरुरत है. यहां तक कि विपक्षी दल भी राहुल गांधी पर सवाल उठा रहे हैं.

सबसे दिलचस्प बयान तो खुद प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से आया है. उनका कहना है कि गांव में जिस तरह से दबंग पानी का टैंकर आने से पहले अपनी बाल्टी कतार तोड़ कर आगे रख देते हैं, उसी तरह का काम राहुल गांधी कर रहे हैं. प्रधानमंत्री बनने का दावा करके. मोदी को लगता है कि राहुल गांधी ( बिना नाम लिए ) ने ऐसा कह कर दुस्साहस किया है और अंहकार का परिचय दिया है. एक नामदार का यह अहंकार है कि नहीं. ऐसा सवाल मोदी ने अपनी रैली में जनता से पूछा भी है. अब सवाल उठता है कि क्या कोई नेता यह तक नहीं कह सकता है कि सबसे बड़ी पार्टी बनने की सूरत में वह उसका नेतृत्व करना चाहेगा.

प्रधानमंत्री के पद की तुलना गांव के दबंग की बाल्टी से करना भी कितना जायज है. मोदीजी आमतौर पर अच्छी चुटकी लेते हैं लेकिन इस मामले में लगता है कि कुछ चूक कर गए. इस समय देश में पानी के लिए हाहाकार मचा है. गांव-गांव शहर-शहर लोग बाल्टी, घड़े लिए टैंकर के इंतजार में कतार में खड़े हैं या पांच दस किलोमीटर पैदल चल कर पानी लाने को मजबूर हैं या सूखे कुएं में जान हथेली पर रख उतर रहे हैं. चुनावी रैलियों में एक दूसरे को गरियाने और अपने अपने शासन की गौरव गाथाओं का गायन करने वाले नेताओं से पूछा जाना चाहिए कि उन्हें खाली बाल्टी वालों से क्या कहना है. कर्नाटक में तो यह सवाल खासतौर से पूछा जाना चाहिए जहां पिछले चार सालों से सूखा पड़ रहा है. पिछले साल का सूखा तो पिछले 42 सालों में सबसे विकराल माना गया था. जहां सूखे में केन्द्रीय मदद को लेकर राजनीति होने के आरोप लगते रहे हैं और जनता की बाल्टी भी खाली है और आंखों का पानी भी सूख चुका है.

खैर अभी प्रधानमंत्री बनने के दावे-प्रतिदावे पर फिर से लौटते हैं. सवाल उठता है कि अगर राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनना है तो कांग्रेस को सबसे बड़े दल के रुप में सामने आना होगा. यानि सबसे ज्यादा सीटें जीतनी होगी और यह काम तभी हो सकेगा जब कांग्रेस कर्नाटक जीतेगी. यानि राहुल गांधी की सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस को कर्नाटक में फिर से सत्ता में लाना है. अगर ऐसा हो सका तो आगे का राजनीतिक सफर कुछ आसान हो जाएगा. दिसंबर में राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं, जहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला है और तीनों राज्यों में बीजेपी शासित सरकारों को एंटीइंम्बैंसी का सामना करना पड़ रहा है. कर्नाटक में राहुल गांधी ने सिद्दारमैया पर भरोसा किया. राजस्थान में सामुहिक नेतृत्व पर जोर दिया जा रहा और मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ की जोड़ी को आगे बढ़ाया गया है. अगर राहुल गांधी इन तीन राज्यों में भी कांग्रेस की वापसी का आधार तैयार करते हैं तो 2019 का चुनाव अपने आप में बेहद दिलचस्प हो जाएगा.

विपक्षी दलों में राहुल के प्रति सम्मान बढ़ेगा. राहुल गांधी के साथ सीटों के बंटवारे पर बात हो सकेगी. कैसे कहां बीजेपी को हराया जा सकता है, उस पर रणनीति बनाई जा सकेगी. यूपी में मायावती और अखिलेश अभी कांग्रेस को अपने कथित गठबंधन में रखने को तैयार नहीं दिख रहे. मुलायम सिंह तो कह ही चुके हैं कि यूपी में कांग्रेस सिर्फ दो सीटों ( अमेठी और रायबरेली ) की पार्टी है. लेकिन राहुल अगर कर्नाटक जीत जाते हैं और इस सिलसिले को तीन उत्तर भारतीय राज्यों में भी बनाए रखते हैं तो यूपी में वह बबुआ बुआ गठबंधन में सम्मानजनक तरीके से जगह पा सकते हैं. ममता बनर्जी का भी रुख नरम पड़ सकता है. शरद पवार महाराष्ट्र में साथ आ सकते हैं. यहां तक कि शिवसेना से टैक्टीकल अंडरस्टैडिंग भी संभव है. सबसे बड़ी बात है कि कर्नाटक जीतने पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं का अपने नेता पर भरोसा जमेगा. और अगर राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में भी हाथ को जनता का साथ मिलता है तो वोटर को भी लग सकता है कि कांग्रेस दिल्ली में सत्ता आ सकती है. पिछले आम चुनाव में 44 सीटों पर सिमटने वाली पार्टी के लिए इससे बेहतर बात कोई दूसरी हो ही नहीं सकेगी.

लेकिन अगर कर्नाटक भी हाथ से निकला तो राहुल गांधी हाथ मलते रह जाएंगे. उनकी पार्टी पंजाब और पुडुचेरी तक सिमट कर रह जाएगी. विपक्षी दलों की बात तो छोड़िए खुद की पार्टी के नेताओं का विश्वास भी डगमगा जाएगा. पार्टी में खेमेबाजी भी बढ़ेगी और गुटबाजी को भी बढ़ावा मिलेगा. बीजेपी पहले ही संकेत दे चुकी है कि अगले लोकसभा चुनावों में वह फिसड्डी सांसदों के टिकट काट सकती है. बीजेपी ऐसे में कांग्रेस के उन नेताओं को कमल के टिकट पर खड़ा करने में गुरेज नहीं करेगी जो उसकी नजर में सीट निकालने की क्षमता रखते हैं. जाहिर है कि ऐसे नेता बीजेपी में जाने का मौका भी नहीं चूकेंगे. अगर बीजेपी कर्नाटक जीती तो मोदी-शाह की जोड़ी दिसंबर में राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों के साथ साथ लोकसभा चुनाव करवाने की भी सोच सकती है.

कुछ अन्य बीजेपी शासित राज्यों में भी जल्दी चुनाव करवाए जा सकते हैं जहां अगले साल मई जून तक चुनाव होने हैं. हालांकि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ऐसी किसी संभावना से इनकार कर चुके हैं. अगर कर्नाटक जैसा मुश्किल चुनाव भी मोदी अकेले अपने करिश्में से जीत जाते हैं तो आने वाले राज्यों के चुनावों में भी बीजेपी का राजनीतिक दांव राहुल गांधी को सियासी शतरंज से ही पूरी तरह से परे कर सकता है. राहुल गांधी तब शायद कतार तोड़ कर आगे बाल्टी रखने का साहस भी नहीं जुटा पाएंगे. मोदीजी की बाल्टी के पानी में 2019 में कांग्रेस डूब जाएगी साथ ही राहुल गांधी भी. वैसे लोकतत्र में बाल्टी लेकर नेताओं को जनता के पास जाना पड़ता है और वही तय करती है कि किस बाल्टी में कितना पानी रुपी वोट डालना है.

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

नहीं सुधर रहा चीन, भूटान में डोकलाम के पास बसाए 22 गांव, बढ़ाई भारत की टेंशन
नहीं सुधर रहा चीन, भूटान में डोकलाम के पास बसाए 22 गांव, बढ़ाई भारत की टेंशन
Maharashtra: 'पिछली महायुति सरकार में 6,740 किसानों ने की आत्महत्या', अंबादास दानवे का बड़ा दावा
महाराष्ट्र: 'पिछली महायुति सरकार में 6,740 किसानों ने की आत्महत्या', अंबादास दानवे का बड़ा दावा
'पुष्पा 2' प्रीमियर के दौरान हुई भगदड़ में घायल बच्चे की अब कैसी है हालत? जानें यहां
'पुष्पा 2' प्रीमियर के दौरान हुई भगदड़ में घायल बच्चे की अब कैसी है हालत? जानें यहां
IND vs AUS: 'गाबा का घमंड' तोड़ने निकली टीम इंडिया, जीत के लिए बनाने होंगे 275 रन
'गाबा का घमंड' तोड़ने निकली टीम इंडिया, जीत के लिए बनाने होंगे 275 रन
ABP Premium

वीडियोज

Amit Shah ने शरिया कानून की वकालत करने वालों को जमकर सुनाया, तेजी से वायरल हो रहा भाषणTop News: 11 बजे की बड़ी खबरें | Sambhal News | Delhi Elections | Weather Updates Today | ABP NewsSambhal Mandir News: कल पहुंचेगी ASI की टीम, 46 साल पुराने मंदिर और कुएं की होगी कार्बन डेटिंगParliament Session: Amit Shah का Congress पर आरोप, 'निजी हितों के लिए संविधान में किया बदलाव..'

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
नहीं सुधर रहा चीन, भूटान में डोकलाम के पास बसाए 22 गांव, बढ़ाई भारत की टेंशन
नहीं सुधर रहा चीन, भूटान में डोकलाम के पास बसाए 22 गांव, बढ़ाई भारत की टेंशन
Maharashtra: 'पिछली महायुति सरकार में 6,740 किसानों ने की आत्महत्या', अंबादास दानवे का बड़ा दावा
महाराष्ट्र: 'पिछली महायुति सरकार में 6,740 किसानों ने की आत्महत्या', अंबादास दानवे का बड़ा दावा
'पुष्पा 2' प्रीमियर के दौरान हुई भगदड़ में घायल बच्चे की अब कैसी है हालत? जानें यहां
'पुष्पा 2' प्रीमियर के दौरान हुई भगदड़ में घायल बच्चे की अब कैसी है हालत? जानें यहां
IND vs AUS: 'गाबा का घमंड' तोड़ने निकली टीम इंडिया, जीत के लिए बनाने होंगे 275 रन
'गाबा का घमंड' तोड़ने निकली टीम इंडिया, जीत के लिए बनाने होंगे 275 रन
मुनव्वर फारुकी के बेटे को है कावासाकी की बीमारी क्या है? जानें इसके कारण और लक्षण
मुनव्वर फारुकी के बेटे को है कावासाकी की बीमारी क्या है? जानें इसके कारण और लक्षण
NEET 2025: पेन और पेपर मोड में नहीं बल्कि ऑनलाइन आयोजित होगी नीट परीक्षा? शिक्षा मंत्री ने कही ये बात
पेन और पेपर मोड में नहीं बल्कि ऑनलाइन आयोजित होगी नीट परीक्षा? शिक्षा मंत्री ने कही ये बात
बढ़ती उम्र के साथ और भी यंग और हैंडसम होते जा रहे हैं अनिल कपूर, जानें क्या है बॉलीवुड के लखन का फिटनेस सीक्रेट
बढ़ती उम्र के साथ और भी यंग और हैंडसम होते जा रहे हैं अनिल कपूर, जानें उनका फिटनेस सीक्रेट
Mahakumbh 2025: महाकुंभ प्रयागराज का पूर्णिमा तिथि और महाशिवरात्रि से क्या है संबंध
महाकुंभ प्रयागराज का पूर्णिमा तिथि और महाशिवरात्रि से क्या है संबंध
Embed widget