मां हीराबेन के निधन के बाद पीएम मोदी ने दिया कंधा और फिर चल पड़े कर्तव्यपथ पर...
Heeraben Modi Passed Away : सुबह के 5 बजे थे. अभी पूरा देश सो कर उठ रहा था तभी ये खबर आई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीरा बा का 100 साल की आयु में निधन हो गया. पहले तो भरोसा नहीं हुआ, एक दिन पहले ही अहमदाबाद से लौटे थे. वहां डॉक्टर्स ने बताया था कि सब ठीक है जल्द ही हीरा बा को डिस्चार्ज कर दिया जाएगा. फिर अचानक से लगा कि ये क्या हो गया, फिर लगा कि देश के प्रधानमंत्री की मां हैं तो अंतिम दर्शन यात्रा निकाली जाएगी. उनको सलामी दी जाएगी और फिर पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
अभी यही सब सोच ही रहा था तब तक खबर आई की पीएम मोदी अपनी मां के दर्शन करने के लिए निकल चुके हैं. क़रीब साढ़े आठ बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अहमदाबाद हवाई अड्डे पर उतरे. थोड़ी ही देर में वे अपने छोटे भाई पंकज मोदी के घर के लिए रवाना हो गये. यहां उनके भाई सोमा भाई और और पंकज भाई मोदी, प्रधानमंत्री का इंतज़ार कर रहे थे. अंतिम यात्रा की पूरी तैयारी हो चुकी थी. क़रीब 9.30 बजे प्रधानमंत्री मोदी अपनी प्यारी मां हीरा बा की अर्थी को कंधा दिये हुए दिखाई दिये. हीरा बा की अंतिम यात्रा प्रारंभ हो चुकी थी. भारत के प्रधान सेवक की माता जी का इलाज गुजरात के एक सरकारी अस्पताल में चल रहा था. हीरा बा के पार्थिव शरीर को जिस वाहन से ले जाया जा रहा था वो भी सरकारी शव वाहिनी थी. पीएम मोदी उसमें खुद बैठे हुए दिखाई दे रहे थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बेटे होने का कर्तव्य निभाते हुए अपनी मां को कंधा दिया. एक सामान्य नागरिक की तरह अपनी मां की अंतिम यात्रा में शामिल हुए. उस दौरान ना कोई ट्रैफिक जाम हुआ, ना कोई वीआईपी विजिट हुई, ना कोई राजसी तामझाम और ना कोई भीड़भाड़ हुई. ऐसा लग रहा था मानो कोई सामान्य परिवार अपने किसी सदस्य के निधन के बाद उनके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया कर रहा है.
अंतिम संस्कार के दिन एक दिन की छुट्टी भी नहीं ले रहे हैं
दुनिया के सबसे ताकतवर नेताओं में शुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां एक सामान्य सी अर्थी पर लेटी हुई हैं. पीएम मोदी अपनी मां की अर्थी को कंधा दिए हुए हैं. हीरा बा की इस अंतिम यात्रा में कोई भीड़भाड़ नहीं थी, बस परिवार के लोग और कुछ करीबी लोग शामिल थे. सुबह के 8.30 बजे एक और विस्मयकारी खबर आई कि प्रधानमंत्री सभी पूर्व निर्धारित सरकारी कार्यक्रमों में शामिल होंगे. इसके लिए वे वर्चुअल माध्यम से जुड़ेंगे. ये सोच भी परे था कि दुनिया के सबसे ताकतवर इंसान में से एक अपनी माँ के अंतिम संस्कार के दिन एक दिन की छुट्टी भी नहीं ले रहा है. वो अपनी माँ के जाने का दुख मनाने के लिए एक दिन भी नहीं निकाल रहा है, जबकि उनके एक इशारे पर देश भर में राष्ट्रीय शोक की घोषणा भी हो सकती है. सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द भी हो सकते हैं. उनके एक इशारे पर अगले कुछ दिनों के लिए गांधी नगर देश के हज़ारों नेताओं के आवाजाही का केंद्र बन सकता है. उनके एक इशारे पर कामकाज की छोड़ो पूरा देश छुट्टी पर जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
संभवत: ये दुनिया में पहला ऐसा मामला होगा जब किसी राष्ट्र प्रमुख ने अपने परिवार के सदस्य और वो भी माँ के अंतिम संस्कार के लिए एक दिन की छुट्टी भी नहीं ली. ये तब है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपनी मां हीरा बा से लगाव और जुड़ाव पूरी दुनिया जानती है. पीएम मोदी ने अपनी माँ से मिले संस्कारों को सबसे ऊपर रखा. अपने निजी दुख को राष्ट्र धर्म से ऊपर रखा, और वे पुत्र धर्म के निर्वहन के बाद राष्ट्र धर्म निभाने के लिये कर्तव्य पथ पर चल दिये.
उनका हाथ कभी नरेंद्र के सिर पर आशीर्वाद और स्नेह से नहीं फिरेगा
हीरा बा का अंतिम संस्कार बेहद सादगीपूर्ण तरीके से चल रहा था. उस समय की तस्वीरें ख़ास तौर पर प्रधानमंत्री मोदी का चेहरा, उनकी आँखें उनके भीतर की वेदना को प्रकट कर पा रही थी. मोदी अपने चित को अभूतपूर्व तरीक़े से शांत बनाए हुए थे. संयम और धैर्य का पाठ उन्होंने अपनी मां से पढ़ा था. उसकी मानों आज अग्निपरीक्षा थी. सादगी का पाठ भी उन्होंने अपनी माँ हीरा बा से सीखा था. वही सादगी हीरा बा के अंतिम संस्कार में दिखाई दी. पीएम मोदी की मां की अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू हुई जो तकरीबन 10.30 बजे जाकर पूरी हुई. एक शताब्दी अपने भीतर समेटे हीरा बा सदा के लिये पंचतत्व में विलीन हो गई. अपने कोख से विश्व के सबसे ताकतवर राजनेता को जन्म देने वाली वो योगिनी सदा के लिए चिर निंद्रा में विलीन हो गई. अब वो नहीं लौटेगी, अब उनका हाथ कभी नरेंद्र के सर पर आशीर्वाद और स्नेह से नहीं फिरेगा. ये सोच कर भी नरेंद्र मोदी का कलेजा फटा जा रहा होगा, लेकिन अंतिम संस्कार के बाद जब कोलकाता के सरकारी कार्यक्रम में उनका वर्चुअल भाषण हुआ तो उन्होंने बड़े ही संयमित अन्दाज़ में ये कह कर ना आने के लिए माफ़ी माँग ली कि “ निजी करणों से वे इस कार्यक्रम में ख़ुद उपस्थित नहीं हो पा रहे हैं”, भाषण के आख़िरी में उन्होंने ये भी कहा “किसी भी सूरत में राष्ट्र निर्माण रुकना नहीं चाहिए” ये शब्द राष्ट्र योगी के संकल्प को बयान करने के लिए काफ़ी जान पड़ते हैं.
अंतिम यात्रा को देखकर मन में ये बात आई कि भारत के प्रधानमंत्री की मां और इतना सादगी भरा अंतिम संस्कार. ये विरले ही देखने को मिलेगा क्योंकि भारत में तो नेताओं और उनके परिजनों की मौत पर लोगों का तांता लग जाता है. वीआईपी विजिट के लिए पार्थिव शरीर को कई दिनों तक रखा जाता है. उनके लिए बहुत बड़ा समाधि स्थल बनाया जाता है. पीएम मोदी ने अपनी मां के लिए इतनी सादी अंतिम यात्रा निकाल कर खुद के जमीन से जुड़े होने और सामान्य नागरिक की तरह सादा जीवन जीने के का परिचय एक बार फिर दे दिया.
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