पैगंबर मोहम्मद के बारे में की गई अपमानजनक टिप्पणी को लेकर शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के बाद देश के कई हिस्सों में जबरदस्त हिंसा हुई है. कई स्थानों पर हालात इतने बेकाबू हो गए, जिसमें कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं. बेशक लोकतंत्र में हिंसा की कोई जगह नहीं है और ऐसे तत्वों से सख़्ती से ही निपटा जाना चाहिए, लेकिन सरकार को भी कार्रवाई करते समय ये देखना होगा कि इसमें मजहब को लेकर कोई भेदभाव न किया जाए.


दोषियों को बिल्कुल न बख्शा जाए, लेकिन इसकी आड़ में किसी बेकसूर के घर पर बुलडोज़र भी नहीं चलना चाहिये. जिस तरह हर हिन्दू कट्टरपंथी नहीं है, उसी तरह हर मुसलमान को आतंकवादी समझने की गलती करने से भी बचना होगा. कुछ ताकतें देश में इस वक़्त जैसा माहौल बनाने की कोशिश कर रही हैं, वह एक बड़े साम्प्रदायिक फ़साद के खतरे का इशारा दे रही हैं. इसलिये दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ ही अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों में सुरक्षा का ये भरोसा भी पैदा करना होगा कि कोई भी सरकार उनकी दुश्मन नहीं है और बहुसंख्यकों की तरह वह उनकी भी जानमाल की रक्षा के लिए उतनी ही फ़िक्रमंद है.


यूपी के आधा दर्जन शहरों से लेकर पश्चिम बंगाल के हावड़ा और झारखंड की राजधानी रांची में सबसे अधिक हिंसा हुई है. रांची में शुक्रवार को हुई हिंसा में गोली लगने से दो लोगों की मौत हुई है तो वहीं जिले के SSP को भी चोटें लगीं हैं. घटना के बाद रांची मे कर्फ्यू लगाना पड़ा और इंटरनेट बंद कर दिया गया है.


शुक्रवार को हुई हिंसा के बाद यूपी पुलिस की कार्रवाई तेज हो गई. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को हुई हाईलेवल की बैठक में दोषियों के खिलाफ सख्ती बरतने और उनके मकान तोड़ने के निर्देश दिए हैं. प्रयागराज में उपद्रव वाले इलाकों में दो बुलडोजर पहुंच गए. लोगों से मकान के दस्तावेज मांगे जा रहे हैं और उसके जरिये उपद्रवियों को चिन्हित करने की कोशिश की जा रही है. कल हुई हिंसा के बाद सीएम योगी उपद्रवियों को बख्शने के मूड में नहीं है. माना जा रहा है कि आरोपियों कि खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जा सकती है. इससे पहले भी शुक्रवार को सीएम योगी ने आला अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि सभी उपद्रवियों को चिन्हित किया जाए और उन पर सख्त कार्रवाई हो. 


उच्चाधिकारियों के साथ हुई बैठक में सीएम योगी ने कहा है कि हम एक लोकतांत्रिक देश के नागरिक हैं. ऐसे में हमें सभी पक्षों से संवाद बनाए रखना होगा. धर्मगुरुओं/सिविल सोसाइटी से सतत संवाद-संपर्क बनाए रखे. इसके साथ-साथ उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई भी जारी रखी जाए. कार्रवाई ऐसी हो जो असामाजिक सोच रखने वाले सभी तत्वों के लिए एक नजीर बने. माहौल बिगाड़ने के बारे में कोई सोच भी न सके. ऐसे में संवाद और सेक्टर स्कीम लागू की जाए. 


हालांकि योगी को एक सख्त प्रशासक माना जाता है, लेकिन उनकी छवि घनघोर हिंदुत्व वाली भी है, इसलिये अतीत में भी उनकी सरकार द्वारा की गई कार्रवाई को लेकर अल्पसंख्यक समुदाय के नेता सवाल उठाते रहे हैं और ये आरोप लगाते रहे हैं कि वो बदले की भावना से कार्रवाई करती है. आज उन्होंने अफसरों को साफ निर्देश दिये हैं कि किसी भी बेकसूर को सिर्फ इसलिये न तंग किया जाए कि वो मुसलमान है. योगी ने कहा कि शरारतपूर्ण बयान जारी करने वालों के साथ जीरो टॉलरेंस की नीति के साथ कड़ाई से पेश आएं. माहौल खराब करने की कोशिश करने वाले अराजक तत्वों के साथ पूरी कठोरता की जाए. ऐसे लोगों के लिए सभ्य समाज में कोई स्थान नहीं होना चाहिए. एक भी निर्दोष को छेड़ें नहीं और कोई निर्दोष छोड़े नहीं. 


चूंकि उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा सूबा है और मुसलमानों की सबसे अधिक आबादी भी यहीं है, इसलिये योगी सरकार को सख्ती के साथ अपना मानवीय चेहरा भी दिखाना होगा और किसी भी चिंगारी को शोला बनने से पहले ही उसे बुझाना होगा.


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)