सोरायसिस एक क्रॉनिक इंफ्लेमेटरी और ऑटोइम्यून बीमारी है. यह विश्व की 2-4% आबादी को प्रभावित करता है. यह बचपन से लेकर किसी भी उम्र में शुरू हो सकता है. यह रोग 15-25 साल में हो सकता है और 50-60 साल में इसकी चरम शुरुआत होती है. 


सोरायसिस के सामान्य लक्षण 


सोरायसिस के सामान्य लक्षणों में खुजली, शरीर पर लाल रंग के पैचेस और सफेद पपड़ियां मुख्य रूप से कोहनी, घुटनों, सिर और कमर, हाथ-पैर और यहां तक कि नाखूनों पर भी कुछ मामलों में देखा गया है. गठिया, मोटापा, उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह जैसी अन्य संबंधित स्वास्थ्य स्थितियां होने की वजह से भी सोरायसिस की समस्या हो सकती है. अधिकतर लोगों में धब्बे केवल छोटे आकार के होते हैं और वे उसी से प्रभावित होते हैं, कुछ मामलों में, धब्बों की वजह से खुजली या सूजन तक आ सकती है. वैसे तो यह किसी भी उम्र में शुरू हो सकता है, लेकिन अधिकतर 35 वर्ष से कम उम्र के वयस्कों में विकसित होता है, यह अवस्था पुरुषों और महिलाओं को समान रूप से प्रभावित करती है. 


सोरायसिस के कुछ मुख्य कारण


इस बीमारी के सामान्य ट्रिगर कारक संक्रमण, दवाएं, मोटापा, धूम्रपान, या अत्यधिक शराब का सेवन, त्वचा का आघात, सर्दी का मौसम, वंशानुगत और तनाव होना आदि हैं. इसे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम की समस्या से संबंधित माना जाता है. प्रतिरक्षा प्रणाली रोग और संक्रमण के खिलाफ आपके शरीर की रक्षा करता है, लेकिन इस रोग से ग्रस्त होने वाले लोगों के लिए, यह गलती से स्वस्थ त्वचा कोशिकाओं पर हमला करता है. यह रोग खानदानी यानी आनुवंशिक भी हो सकता है, हालांकि त्वचा से संबंधित रोग पैदा करने में आनुवांशिकी की सटीक भूमिका स्पष्ट नहीं है.


सोरायसिस का  इलाज आसान


सोरायसिस न केवल रोगियों को शारीरिक रूप से प्रभावित करता है, बल्कि रोगी के मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य पर भी बड़ा प्रभाव डालता है, इसलिए समय पर उपचार और रोग का नियंत्रण बहुत महत्वपूर्ण है. जीवनशैली में बदलाव बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जैसे- नियमित व्यायाम, हरी पत्तेदार सब्जियां, फल जैसे अधिक एंटीऑक्सीडेंट युक्त उचित पौष्टिक और संतुलित आहार लेना, खुद को हाइड्रेटेड रखना, तनाव नियंत्रण, उचित नींद लेना, शराब और धूम्रपान से परहेज करना आदि सभी को अपनाकर सोरायसिस की समस्या से बचा जा सकता है. सोरायसिस से बचने के लिए त्वचा को हाइड्रेटेड रखना बहुत महत्वपूर्ण है, जिसे सामान्य पानी (बहुत गर्म/ठंडा नहीं) के साथ 5 मिनट से अधिक समय तक छोटी अवधि के शॉवर लेने, हल्के क्लींजर का उपयोग करने और शरीर पर सेरामाइड्स, शिया बटर युक्त लोशन/क्रीम लगाने से किया जा सकता है.


जब भी आपको सोरायसिस के ऐसे कोई संकेत और लक्षण दिखाई दें तो कृपया उचित उपचार के लिए अपने त्वचा विशेषज्ञ से परामर्श लें क्योंकि इन दिनों इसके लिए अच्छे उपचार के तरीके ओरल और सामयिक दवाओं के साथ उपलब्ध हैं. जैसे PUVA थैरेपी, एक्साइमर लेजर और बायोलॉजिक्स से रोग को इलाज किया जा सकता है. ध्यान रहे कि घर पर स्वयं ही किसी तरह का इलाज लेने से बचे, नहीं तो समस्या और बढ़ सकती है. किसी तरह की गंभीर समस्या नजर आए तो तुरंत चौबीस घंटे उपलब्धता की सुविधा देने वाले अस्पताल जाएं जहां उचित इलाज मिल सके. सोरायसिस का सही समय पर इलाज नहीं किया जाए तो दूसरी बीमारियों का खतरा हो सकता है. शुरुआती लक्षण दिखते ही त्वचा रोग विशेषज्ञ के पास जाकर इस रोग का इलाज कराना चाहिए.



[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ़ लेखक ही ज़िम्मेदार हैं.]