Punjab Assembly Elections 2022: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले हुए अब तक के सर्वे यही इशारा कर रहे हैं कि पंजाब में आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी ताकत बनकर उभर सकती है. लेकिन चुनावों की तारीख का ऐलान होने से पहले ही सियासी तस्वीर अब कुछ बदलती हुई दिखने लगी है. जिस बीजेपी को इस पूरी चुनावी-लड़ाई में अब तक हाशिये पर समझा जा रहा था, वही कैप्टन अमरिंदर सिंह की नई पार्टी के साथ गठबंधन करने के बाद अब कुछ ज्यादा एक्टिव होती नजर आ रही है. ये नया गठबंधन सत्ता पाने के कितने  नजदीक पहुंचेगा, ये तो कोई सियासी नजूमी भी नहीं बता सकता, लेकिन लगता यही है कि कांग्रेस के इस किले पर फतह हासिल करने के लिए कैप्टन बीजेपी के साथ मिलकर अपनी पूरी ताकत लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाले हैं.


लेकिन पंजाब की सियासत में रविवार को अचानक ऐसी हलचल देखने को मिली, जिसका अंदाजा न तो पंजाब की कांग्रेस सरकार को था और न ही सूबे में पार्टी की कमान संभालने वाले नवजोत सिंह सिद्धू को ही इसका अहसास था. केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी अचानक अमृतसर के अस्पताल में उस अमनदीप कौर से मुलाकात करने जा पहुंची, जो हाल ही में चन्नी सरकार की पुलिस की बदसलूकी का शिकार हुई हैं और घायल अवस्था में उनका इलाज हो रहा है. लेकिन सोचने वाली बात ये है कि नयी दिल्ली की सांसद मीनाक्षी लेखी को ही पार्टी ने वहां क्यों भेजा. जानकार मानते हैं कि बीजेपी ने उन्हें वहां भेजकर एक बड़ा सियासी संदेश देने के साथ ही महिलाओं को अपने साथ जोड़ने की दिशा में एक मजबूत कदम उठाया है. हालांकि कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि ये आइडिया देने के पीछे कैप्टन अमरिंदर सिंह का दिमाग भी हो सकता है. वह इसलिये कि मीनाक्षी पंजाबी भाषी हैं, जो वहां की महिलाओं से उनकी भाषा में ही संवाद करके उन्हें पार्टी की तरफ खींचने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हैं. वैसे लेखी को पंजाब चुनाव में पार्टी ने सह प्रभारी का जिम्मा भी दे रखा है. लिहाज़ा,रविवार को अस्पताल जाकर अमनदीप कौर से लेखी के मिलने की घटना कांग्रेस समेत आप के सियासी गलियारों में भी चर्चा का विषय बनी रही.


दरअसल, अमनदीप कौर पंजाब के उन कांट्रेक्ट मल्टीपर्पज हेल्थ वर्करों में से एक हैं, जिन्हें कोरोनाकाल के दौरान पंजाब सरकार ने लोगों की सेवाओं में लगाया था लेकिन वादे के मुताबिक उनके पूरे पैसों का भुगतान अब तक नहीं किया गया. अपनी इसी जायज़ मांग को लेकर शनिवार को नवजोत सिंह सिद्धू के घर के बाहर हुए एक प्रदर्शन में वे भी शामिल थीं, जहां पुलिस ने उनसे बदसलूकी भी की और उन पर डंडे भी बरसाए जिनमें उन्हें चोट लगी. इसीलिये मीनाक्षी लेखी ने अमृतसर के अस्पताल में उनका हाल जानने के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए इसे बेहद दुखद घटना करार देते हुए कहा कि "इन महिलाओं ने घरों से बाहर निकलकर देश के लिए काम किया और टीकाकरण को गति दी. यह देशभक्ति थी. उन्हें 500 रुपये प्रतिदिन टीकाकरण के लिए मिलना चाहिए था. खाने का इंतजाम भी होना चाहिए था लेकिन बेहद अफसोस कि बात है कि पंजाब की कांग्रेस सरकार में ऐसा हुआ नहीं. इस घटना में आईपीसी के तहत केस दर्ज करना बनता है. पुलिस को मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ केस दर्ज करना चाहिए." गौरतलब है कि लेखी सांसद व मंत्री होने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट की वकील भी हैं,लिहाज़ा वे कानून की बारीकियों से भी बखूबी वाकिफ़ हैं.


अगर गौर से देखें, तो हेल्थ वर्कर्स की जायज़ मांगों का ये मसला अब चुनावी मुद्दा बनता दिख रहा है और बीजेपी, आप व अकालियों समेत समूचा विपक्ष इस पर कांग्रेस की चन्नी सरकार को घेरने के मूड में है. पंजाब के गरीब व निम्न-मध्यम वर्गीय परिवारों की महिलाओं की ये नाराज़गी कांग्रेस को भारी पड़ सकती है. वैसे भी आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने वहां अपनी सरकार बनने पर 18 साल से ज्यादा उम्र की हर महिला को एक हजार रुपये उसके खाते में ट्रांसफर करने का जो चुनावी वादा किया है, वह गांव-कस्बों में काफी हद तक क्लिक भी कर रहा है. हालांकि न तो कांग्रेस और न ही बीजेपी-कैप्टन का गठबंधन ही अब तक इसका कोई तोड़ निकाल पाया है कि वे केजरीवाल के इस चुनांवी-वादे वाले गुब्बारे की हवा कैसे निकाल पाएंगे.


दिल्ली से अमृतसर पहुंची मीनाक्षी लेखी जिस वक्त अस्पताल में घायल अमनदीप कौर की खैरियत जान रही थीं, तकरीबन उसी समय कंट्रैक्ट मल्टीपर्पज हेल्थ वर्कर सिद्धू के आवास को घेरने के लिए अपना प्रदर्शन कर रहे थे. यूनियन की उप प्रधान सुखप्रीत कौर ने शनिवार को अमनदीप कौर के साथ हुई घटना की निंदा करते हुए चेतावनी दी कि लोग इसका जवाब विधानसभा चुनावों में देंगे. सुखप्रीत कौर ने ये भी कहा कि "जेड सिक्योरिटी के कर्मचारी का रवैया बेहद  अपमानजनक था. इस घटना से पंजाब के लोगों में जो संदेश पहुंचा है, उससे लोगों में जबरदस्त गुस्सा है. जनता इसका जवाब विधानसभा चुनावों में देगी.इसलिये कि पंजाब की वे बेटियां पिछले डेढ़ महीने से अपने जायज अधिकारों के लिए सड़कों पर बैठी हैं, जिन्होंने कोविड काल के दौरान न जाने कितने लोगों की जान बचाई थी."


लिहाज़ा, सवाल पंजाब के कांग्रेसी नेताओं से नहीं बल्कि पार्टी की शीर्ष नेत्री प्रियंका गांधी से पूछा जाना चाहिए जिन्होंने यूपी चुनावों को लेकर नारी सम्मान की खातिर नारा दिया है- "लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ." कि कोरोना काल में लोगों की जान बचाने वाली इस नारी शक्ति ने आखिर ऐसा कौन-सा गुनाह कर दिया ? अगर नहीं,तो फिर वे सड़कों पर क्यों हैं?



(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)