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Opinion: आस्था को राजनीति में बदलने की कोशिश है जगन्नाथ मंदिर कॉरिडर, धार्मिक राजनीति को काउंटर करने की चाल

अयोद्धया में भव्य श्री राम मंदिर बनाया जा रहा है. 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन किया जएगा. पूरे देश को राममय किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद 11 दिनों का उपवास-अनुष्ठान कर रहे हैं. कोई हाथों के बल अयोध्या की ओर जा रहा है, तो कोई लाखों की खड़ाऊँ लेकर पदयात्रा कर रहा है. नेपाल से 1000 की संख्या में 'भार' आ रहे हैं, तो मॉरीशस में 2 घंटे का राजकीय अवकाश दिया जा रहा है. ठीक उसी समय 800 करोड़ रुपये की लागत से उड़ीसा में जगन्नाथ पुरी मंदिर का कॉरिडोर बनाया जा रहा है. कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नवीन पटनायक ने भाजपा की धार्मिक राजनीति को काउंटर करने की यह चाल बड़ी खूबसूरती से चल दी है. 

नवीन बाबू कर रहे हैं राजनीति

एक तरफ अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है, राम जन्मभूमि में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है. इस आन्दोलन में जिन जनता, संगठन ने साथ दिया है, उनके सहयोग से मंदिर बनने जा रहा है. प्राण प्रतिष्ठा के लिए 22 तारीख चुना गया है. पूरे देश ही नहीं बल्कि इसका उत्साह पूरी दुनिया में है. दूसरी ओर जगन्नाथ पुरी मंदिर में कॉरिडोर बनाया जा रहा है. मंदिर के अंदर कुछ बदलाव नहीं किया गया है. मंदिर की जो दीवार है, उसके ही चारों तरफ खाली करके जगह बनाया गया है. इसको लेकर जिस तरह की राजनीति ओडिशा की सरकार कर रही है, वह समझने की बात है. ओडिशा का विधानसभा का चुनाव और लोकसभा का चुनाव एक ही साथ होना है. अभी चुनाव आने वाला है, इसलिए ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की सरकार यह कोशिश कर रही है कि किस प्रकार से इस आस्था को राजनीति में बदला जाए और जनता की आस्था को जीतने के लिए राजनीति को इस्तेमाल करते हुए, जगन्नाथ मंदिर के नाम का इस्तेमाल करते हुए वोट लेने की कोशिश की जाए.

राम मंदिर में जनता का सहयोग 

एक तरफ राम मंदिर जनता का मंदिर है, जहां जनता के सहयोग से राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है. राम मंदिर के लिए पूरा देश उत्सुक है और उसी से लोगों का ध्यान हटाने के लिए ओडिशा की सरकार ने राजनीति करने की कोशिश की है. इसमें पूरे प्रदेश भर में सरकारी रथ घुमाये गए हैं. जगन्नाथ भगवान की छोटी सी मूर्ति को दीन-हीन स्थिति में रखकर, उसके अगल-बगल नवीन बाबू और उनके अधिकारियों के बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाकर पूरे प्रदेश भर में घुमाया जा रहा है. इसके लिए सरकार ने हर पंचायत को  2-2 लाख की सहायता देने की घोषणा की है, जिसमे से 20-20 हजार रुपए अधिकारी कमीशन के लिए रख रहे हैं, ऐसा भी आरोप है. इसको लेकर लोगों से जो भी चावल, सुपारी लेकर भेजा जाता है, वह तो ये जगन्नाथ पुरी की संस्कृति के विपरीत है. जिन लोगों को आमंत्रित किया जाता है उनके घर में चावल और सुपारी भेजे जाते हैं न कि हम जनता से लेते हैं. 

राम मंदिर है जन-जन का, सरकारी काम नहीं 

राम मंदिर में पूजित अक्षत वितरण का काम सभी को दिया गया है. जितने भी सहयोगी संगठन हैं, सभी निमंत्रण भेजने के लिए ही घर-घर जा रहे है. ये कोई नहीं कह रहा हैं कि राम मंदिर हमने बनाया, ना ही भाजपा ने ये कहा है कि मंदिर हम बनवा रहे है. जो भी भगवान राम का भक्त है, वो अपनी श्रृद्धा से मंदिर जाए. जैसे बनारस में काशी विश्वनाथ का, उज्जैन में महाकाल कॉरिडोर का काम पूरा होने के बाद उद्घाटन किया गया, उद्घाटन में न्योता देकर लोगों को नहीं बुलाया गया कि हमने यह काम किया है  और आप आकर देंखे. जिस प्रकार सरकारी तौर पर हर कान्ट्रैक्टर को पैसा भेजा गया, कितने जगह पर सरपंचों ने यह विरोध कर दिया कि हमें जो 2-2 लाख दिया गया था उसमें से 20-20 हजार कमीशन भी रखा गया है. यह सब नवीन बाबू को देखना चाहिए. जनता के बीच में कॉरिडोर के लिए रथ घुमाना वो भी जगन्नाथ भगवान की प्रतिमा को दीन-हीन स्थिति में बिठाकर, मुख्यमंत्री और उनके सहयोगियों का होर्डिंग लगाकर प्रचार करना ये आस्था का विषय नहीं बल्कि पूरी तरह से राजनीति करने की कोशिश है.

सरकारी ताकत का है दुरुपयोग

कुछ दिन पहले जगन्नाथ भगवान के प्रचार-प्रसार के लिए इन्होंने एक ब्लॉगर भी हायर किया, जिसका नाम कामिया जानी है. कामिया जानी वही हैं जो केरल और गोवा में होटल में बीफ का प्रचार करने के लिए गौ-मांस के वीडियो बनाए थे. वहीं महिला अब जगन्नाथ भगवान के मंदिर में जाए तो ये जगन्नाथ संस्कृति के लिए विपरीत है. जगन्नाथ पुरी मंदिर में गौ मांस खाने वालों के लिए प्रवेश निषेध है. फिर भी उनको सरकारी क्षमता का दूरपयोग करते हुए प्रचार के लिए लिया गया है. जगन्नाथ पुरी मंदिर का मैनेजमेंट प्रदेश सरकार के पास है. सरकार का प्रशासन वहां मौजूद होता है जो इसके संपूर्ण मैनेजमेंट की देख-रेख करते है. सरकार के मैनेजमेंट की क्षमता को दूरुपयोग करते हुए सारी चीजें की जा रही है. जो कि जनता के आस्था और भक्ति को चोट पहुंचाना है. 

जगन्नाथ पुरी मंदिर के पास अभी अतिक्रमण हटाया गया है. अभी वहां सिर्फ बाथरूम और कुछ मार्केट बनाया गया है, एक- दो शॉपिंग  मॉल बनाया गया है. मंदिर को सुंदर बनाने के लिए काम किया गया है. इसका हम सब समर्थन कर रहें है. लकिन जिस तरह इस विषय को लेकर राजनीति करने की कोशिश की जा रहीं है, वो गलत है. जगन्नाथ पुरी मंदिर कॉरीडोर का निर्माण राम मंदिर से बिल्कुल विपरीत है. यह विशुद्ध राजनीति है और हम उसी का विरोध कर रहे हैं. 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]

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